Revenue and Land Reform Campaign: बिहार सरकार ने राजस्व महाअभियान के अगले चरण को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. अब तक जमीन से जुड़ी कार्यवाहियां शिविरों में कागजों पर चल रही थीं, लेकिन अब यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी.
सरकार ने विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को शिविरों में प्राप्त आवेदनों को दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस पोर्टल पर चढ़ाने का आदेश दिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के इस निर्णय से उम्मीद है कि लंबित मामलों का निपटारा तेजी से होगा और आमलोगों को समय पर राहत मिलेगी.

राजस्व महाअभियान का चौथा चरण, नई रणनीति
16 अगस्त से 20 सितंबर तक चले महाअभियान के दौरान पूरे राज्य के राजस्व ग्रामों में जमाबंदी पंजी की प्रतियां बांटी गईं. इसी दौरान शिविरों के माध्यम से नामांतरण और जमाबंदी सुधार से जुड़े आवेदन भी प्राप्त किए गए. अब चौथे और पांचवें चरण में इन आवेदनों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर, उनका निष्पादन करना विभाग की प्राथमिकता है. यही वजह है कि सरकार ने विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की सेवाएं इस काम में लेने का फैसला किया है.
राज्य में चल रहे विशेष सर्वेक्षण अभियान ने जमीन संबंधी कार्यों को एक नई दिशा दी है. इन कर्मियों के पास जमीनी स्तर की जानकारी है और वे तकनीकी कामकाज को संभालने में दक्ष हैं. विभाग का मानना है कि अगर इन्हीं कर्मियों को शिविरों में मिले आवेदनों को ऑनलाइन करने का काम सौंपा जाए, तो पूरी प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी. इससे एक तरफ लोगों का भरोसा बढ़ेगा, वहीं दूसरी तरफ विभागीय पदाधिकारियों पर भी काम का दबाव कम होगा.
आवेदनों की डिजिटल प्रोसेसिंग से बढ़ेगी पारदर्शिता
अब तक शिकायत रही है कि नामांतरण और जमाबंदी सुधार से जुड़े कई आवेदन महीनों तक दफ्तरों की फाइलों में दबे रहते हैं. डिजिटल प्रोसेसिंग से इस स्थिति में सुधार की उम्मीद है. दाखिल-खारिज पोर्टल और परिमार्जन प्लस पोर्टल पर आवेदनों को अपलोड करने से न सिर्फ रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा बल्कि आवेदक भी ऑनलाइन अपनी स्थिति देख सकेंगे.
यह बदलाव सीधे-सीधे भ्रष्टाचार और देरी पर अंकुश लगाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
अधिकारियों को भेजा गया स्पष्ट आदेश
विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिला समाहर्त्ताओं को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं. आदेश में साफ कहा गया है कि शिविरों में मिले सभी आवेदन अब ऑनलाइन किए जाएं और इसके लिए विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को लगाया जाए. इतना ही नहीं, इस आदेश की प्रति बंदोबस्त पदाधिकारियों, अपर समाहर्त्ताओं, अनुमंडल पदाधिकारियों, भूमि सुधार उप समाहर्त्ताओं और अंचल अधिकारियों तक भेजी गई है, ताकि किसी स्तर पर लापरवाही की गुंजाइश न रहे.
बिहार में जमीन से जुड़े विवाद हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहे हैं. नामांतरण और जमाबंदी सुधार की प्रक्रिया लंबी होने के कारण कई बार आम नागरिक न्याय और अधिकार से वंचित रह जाते हैं .नए आदेश से इन विवादों के निपटारे में तेजी आएगी. हर आवेदन की डिजिटल एंट्री होने के बाद उसकी ट्रैकिंग आसान होगी और जिम्मेदारी तय करना भी सरल होगा.
राज्य सरकार की बड़ी मंशा
राजस्व महाअभियान केवल एक सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि इसे राज्य सरकार लोगों के अधिकार और न्याय से सीधे जोड़कर देख रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही इस अभियान को प्राथमिकता दे चुके हैं. अब जब चौथे और पांचवें चरण की शुरुआत हो रही है, तो सरकार का इरादा है कि किसी भी आवेदक को अनावश्यक देरी या भटकाव का सामना न करना पड़े.

