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बिहार म्यूजियम में नारी शक्ति को दर्शाने वाली ‘रेट्रोस्पेक्टिव प्रदर्शनी’ की हुई शुरुआत, जानें इसमें क्या है खास

Bihar Museum यह प्रदर्शनी लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व के इतिहास का ऐसा पुनः प्रस्तुतिकरण है, जिसमें समकालीन मूर्तिकला और प्राचीन परंपरा का एकीकरण भी समाहित है.

Bihar Museum राजधानी पटना के बिहार म्यूजियम में शनिवार को नारी शक्ति को दर्शाने वाली ‘रेट्रोस्पेक्टिव प्रदर्शनी’ की शुरुआत हुई. दो समकालीन कलाकार सीमा कोहली और प्रो अमरेश कुमार की कलाकृतियों, फोटोग्राफी, पेंटिंग, स्कल्पचर आदि की प्रदर्शनी का उद्घाटन बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने किया. सीमा कोहली की प्रदर्शनी का शीर्षक ‘सीमा कोहली : बिटवीन रियलम्स एंड ड्रीम्स अलॉन्ग रियलिटीज एज’ है. जबकि, मूर्तिकार प्रो अमरेश कुमार की प्रदर्शनी का शीर्षक ‘मोक्ष’ रखा गया है. इस अवसर पर दो पुस्तक ‘मोक्ष’ और ‘रेस्टलेस लाइन इन द आर्ट ऑफ सीमा कोहली’ का भी विमोचन किया गया.

दो हजार पूर्व के इतिहास से रूबरू होंगे कलाप्रेमी : महानिदेशक
प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि प्रो अमरेश कुमार एक ऐसे चर्चित मूर्तिकार हैं, जिन्होंने विगत चार दशकों में अपनी कला सक्रियता से राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की समकालीन मूर्तिकला को एक विशेष पहचान दिलायी है. वे मूलतः मूर्तिकार हैं और इन दिनों बनारस हिन्दू विवि के कला संकाय से बतौर प्राध्यापक जुड़े हैं. उनकी यह रेट्रोस्पेक्टिव प्रदर्शनी एक महत्वपूर्ण परिघटना के तौर पर कला प्रेमियों के सामने उपस्थित है.

यह प्रदर्शनी लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व के इतिहास का ऐसा पुनः प्रस्तुतिकरण है, जिसमें समकालीन मूर्तिकला और प्राचीन परंपरा का एकीकरण भी समाहित है.उन्होंने कहा कि वहीं, सीमा कोहली की प्रदर्शित कलाकृतियां उनके कला के प्रति समर्पण एवं उनके बहु-विषयक अभिव्यक्ति को परिभाषित करती है. उनकी रचनाएं कविता के समान उनकी कला में तीव्र भावनाओं को प्रकट करने का काम करती हैं. वे समकालीन कलाकार, मूर्तिकार और कवि भी हैं. मौके पर पूर्व मुख्य सचिव बिहार सरकार नवीन ने अपने विचारों को रखा. मंच पर लोगों का स्वागत अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने और धन्यवाद ज्ञापन उपनिदेशक सुनील कुमार झा ने किया. मौके पर बताया गया कि 15 मार्च को संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. इसमें आर्ट कॉलेज के बच्चे भी शामिल होंगे.

संग्रहालय में 15 से ज्यादा प्रदर्शनी लगायी गयी है
संग्रहालय में रेट्रोस्पेक्टिव प्रदर्शनी 15 से ज्यादा लगायी गयी हैं. जिसमें यह दो प्रदर्शनी एक महीने के लिए लगायी गयी हैं. अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि इस संग्रहालय का दायित्व है कि ऐसे गतिविधियों के जरिये कला प्रेमियों को जोड़े रखा जाये. यह प्रदर्शनी हमें वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल अपनी आत्मा की गहराइयों और छायाओं का पता लगाने के लिए आमंत्रित करती हैं. मुझे बहुत खुशी है कि बिहार संग्रहालय इन विधा, मिथकों और वास्तविकताओं में निहित कलात्मकता को आम दर्शकों तक पहुंचाने का माध्यम बन रहा है.

पटना में धरोहरों की कमी नहीं : प्रो अमरेश
प्रो अमरेश कुमार ने कहा कि अपने घर में आकर सम्मानित होना सुखद अनुभव है. साल भर पहले संग्रहालय की ओर से आमंत्रित किया गया था. एक साल की मेहनत के बाद मोक्ष प्रदर्शनी आपके समक्ष है. मेरी कलाकृतियों में जो जीवन है वह पटना ने दिया है. पटना में धरोहरों की कमी नहीं है. मुझे धरोहरों के साथ यहां के लोक कलाओं के कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला. मैं अपनी कलाकृतियों के साथ जुनून के साथ काम करता हूं.जुनून की वजह से मुझे आज यह मंच मिला है जहां पर दर्शक बनारस और पटना के बीच की यात्रा को कलाकृतियों के माध्यम से देख सकेंगे.

मेरी कला कई कहानियों को ब्यां करती हैं : सीमा कोहली
सीमा कोहली ने कहा कि मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मुझे ऐसे में संग्रहालय के साथ काम करने का मौका मिलेगा, जिसकी ख्याति पूरे विश्व में है. बचपन से ही मुझे लगता था कि मैं अपनी कला से कम्यूनिकेट करती हूं और फिर लोगों में इस कला से खुद को कम्यूनिकेट करते हैं. मेरी कला, मेरी पूरक है. जब भी कुछ बनाती हूं मेरी कला मुझसे बात करती है और एक साथ आकर कई कहानी को बयां करती हैं. यह कागज के चित्र नहीं है यह जिंदगी है.

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