बिहार में अवैध प्लॉटिंग पर अब मुकदमा होगा. रेरा ने राज्य में रियल स्टेट सेक्टर को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए सख्ती बढ़ा दी है. नयी व्यवस्था को लागू किया है ताकि ठगी की आशंका कम हो. अब रजिस्टर्ड रियल स्टेट एजेंटों को एक विशिष्ट क्यूआर कोड भी दिया जाएगा.
जमीन या फ्लैट खरीदने वालों को होगी सहूलियत
अब जमीन या फ्लैट खरीदने वालों के लिए सुरक्षित निवेश आसान होगा. रेरा ने व्यवस्था दी है कि उसके निबंधित प्रोजेक्ट में ही फ्लैट, दुकान या प्लॉट की बिक्री की अनुमति होगी. एजेंट द्वारा खुद प्लॉट बना कर जमीन की खरीद-बिक्री करने पर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा. रेरा ने इसके लिए अब सभी निबंधित रियल एस्टेट एजेंटों को भी क्यूआर कोड प्रदान कर दिया है. इस नयी व्यवस्था को सोमवार से लागू कर दिया गया.
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निबंधित एजेंटों को मिलेगा क्यूआर कोड
अब सभी निबंधित एजेंटों को अपने कार्यालय में अपने निबंधन प्रमाणपत्र के साथ-साथ इस क्यूआर कोड को भी प्रदर्शित करना होगा. इसके साथ-साथ अगर वे प्रचार-प्रसार करते हैं तो उन्हें अपनी निबंधन संख्या से साथ इस कोड को भी प्रदर्शित करना होगा. इस क्यूआर कोड को मोबाइल द्वारा स्कैन किये जाने पर संबंधित एजेंट की सारी जानकारी उपलब्ध हो जायेगी. अगर वे इस प्रावधान का उल्लंघन करते हुए पाये जाते हैं तो उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
निबंधित एजेंट भी करते हैं गड़बड़
रेरा के सर्वे में यह बात भी सामने आयी है कि कुछ निबंधित एजेंट गैरकानूनी ढंग से खुद ही प्लॉटेड डेवलपमेंट की परियोजना बनाकर जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे है. प्राधिकरण ने यह निर्णय लिया है कि ऐसे एजेंटों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किये जायेंगे. रेरा का मानना है कि ऐसे एजेंट रेरा निबंधन की शर्तों के उलंघन के साथ-साथ आम लोगों को भी ठगने का प्रयास किया है, जो एक आपराधिक कृत्य है.
रेरा के अनुसार…
रेरा के अनुसार किसी प्रोजेक्ट एवं किसी एजेंट का निबंधन दो अलग-अलग बातें है. प्रोजेक्ट के निबंधन प्रमोटर करवाते हैं, ताकि वो परियोजना बनाकर फ्लैट, दुकान या प्लॉट की बिक्री कर सकें. एजेंट का काम निबंधित प्रोजेक्ट में फ्लैट, दुकान या प्लॉट खरीद-बिक्री करवाने तक सीमित है. एजेंट अपनी परियोजना नहीं बना सकते है.
यह भी जानना है जरूरी…
यह भी जानना आवश्यक है कि प्रोजेक्ट की निबंधन संख्या बीआरइआरएपी अक्षरों से शुरू होती है. जबकि एजेंट की निबंधन संख्या बीआरइआरएए अक्षरों से शुरू होती है. लोगों के इस बात का – ध्यान रखने की जरूरत है कि वो किसी भी परियोजना में फ्लैट, दुकान या प्लॉट खरीदने से पहले उस परियोजना की निबंधन संख्या, जो बीआरइआरएपी अक्षरों से शुरू होती है, की जांच जरूर कर लें.
क्या होगा नयी व्यवस्था के लागू होने का फायदा?
इस नयी व्यवस्था के लागू होने पर रेरा बिहार के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने कहा कि प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य राज्य के भूसंपदा क्षेत्र में पारदर्शिता लानी है, ताकि घर-दुकान एवं प्लॉट के खरीदार किसी भी एजेंट की सेवा लेने से पहले यह सुनिश्चित कर सकें कि वह रेरा निबंधित है कि नहीं. उन्होंने कहा कि आम लोगों से आग्रह किया गया है कि वो रेरा अधिनियम के विषय में जागरूक बनें एवं प्राधिकरण द्वारा किये जा रहे प्रचार-प्रसार का उपयोग अपने हितों की रक्षा करें.