Rajgir Hockey Academy: बिहार में हॉकी के लिए यह क्षण ऐतिहासिक साबित हो सकता है. राजगीर स्पोर्ट्स अकादमी, जो अब तक केवल राज्य स्तर पर चर्चित थी, अब एशियन हॉकी फेडरेशन की मान्यता से अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर होगी.
शुक्रवार को आयोजित खेल सम्मेलन में न सिर्फ इस घोषणा ने खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि हॉकी के भविष्य को लेकर कई अहम पहलुओं पर चर्चा भी हुई.
बिहार बन रहा है हॉकी की नई पहचान
राजगीर के खेल अकादमी हॉल में शुक्रवार को आयोजित इस कॉन्क्लेव में देशभर से आए वरिष्ठ खिलाड़ी, कोच और खेल अधिकारी मौजूद थे. मंच पर जब फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल हॉकी के प्रेसिडेंट तैयब इकराम ने बिहार को यह सौगात दी, तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा. उन्होंने कहा कि “हॉकी ने बिहार में बहार लाई है. राज्य ने लगातार दो बार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की सफल मेजबानी की है और भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा.”
इकराम ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि किसी भी खेल के विकास के लिए मजबूत नेतृत्व और साफ दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को केवल बड़े लक्ष्य थोपने की बजाय छोटे-छोटे टारगेट देकर उनकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को बढ़ाना चाहिए.
आर्थिक मजबूती के बिना नहीं संभव प्रोफेशनल हॉकी
हॉकी के विकास पर बोलते हुए तैयब इकराम ने स्पष्ट किया कि आर्थिक सहयोग के बिना प्रोफेशनल हॉकी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में सरकार, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) और हॉकी इंडिया के समर्थन से ही यह खेल जिंदा है. उन्होंने जोर दिया कि हॉकी को लंबे समय तक टिकाए रखने के लिए आर्थिक स्थायित्व बेहद जरूरी है.
इकराम ने यह भी चिंता जताई कि स्कूलों में हॉकी लगभग गायब हो गई है. उन्होंने कहा कि पहले एकलव्य हॉकी सेंटर से नए खिलाड़ी निकलते थे, लेकिन अब उन्हें फिर से स्थापित करने की जरूरत है. उन्होंने सुझाव दिया कि ग्रासरूट और हाई परफॉर्मेंस सेंटर को जोड़ना होगा ताकि नए खिलाड़ियों की एक मज़बूत पाइपलाइन तैयार हो सके.
बिहार में नई नियुक्तियां, नये कोच मिलेंगे
कॉन्क्लेव में एक और बड़ी घोषणा बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवींद्रण शंकरण ने की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही विभिन्न खेलों के लिए कोच नियुक्त करने जा रही है. प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसके बाद खिलाड़ियों को तकनीकी प्रशिक्षण और मार्गदर्शन में बड़ी मदद मिलेगी.
शंकरण ने कहा कि अगर बिहार को खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलानी है, तो कोचिंग की मज़बूत व्यवस्था करना बेहद जरूरी है. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में बिहार से कई खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.
बिहार की मेजबानी को मिली तारीफ
इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन के प्रेसिडेंट ने बिहार की मेजबानी की सराहना करते हुए कहा कि यहां खेल आयोजन हमेशा अनुशासन और उत्साह से भरे होते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार ने लगातार दो अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट को सफलतापूर्वक आयोजित किया है, जिससे हॉकी की दुनिया में राज्य की साख बढ़ी है.
कॉन्क्लेव में शामिल खिलाड़ियों और कोचों ने भी माना कि राजगीर स्पोर्ट्स अकादमी को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलना बिहार के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इसका फायदा न सिर्फ मौजूदा खिलाड़ियों को मिलेगा, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलेगी. स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण सुविधाएं बढ़ने से खिलाड़ियों को राज्य से बाहर जाने की जरूरत कम होगी.
इस मौके पर कई वक्ताओं ने यह भी कहा कि हॉकी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों की संस्कृति और पहचान है. बिहार में हॉकी की जड़ें गहरी रही हैं और अब समय आ गया है कि उन्हें फिर से मजबूत किया जाए.
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