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बिहार बोर्ड ने 10 साल बाद दिया इंटर साइंस का रिजल्ट, पटना हाई कोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

BSEB Bihar Board: पटना हाई कोर्ट ने बिहार बोर्ड को बड़ी सजा दी है. इंटर साइंस 2012 का रिजल्ट 10 साल की देरी से जारी करने पर कोर्ट ने बोर्ड पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि तय समय में राशि जमा नहीं हुई तो छात्रा को मुआवजा देना होगा.

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BSEB Bihar Board: पटना हाई कोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) पर इंटर साइंस परीक्षा 2012 का रिजल्ट 10 साल की देरी से जारी करने के मामले में लगाया गया जुर्माना घटा दिया है. हाई कोर्ट ने पहले लगाए गए 10 लाख रुपये के जुर्माने को कम करते हुए इसे 5 लाख रुपये कर दिया. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि यदि तीन महीने के भीतर यह राशि जमा नहीं की जाती है, तो संबंधित छात्रा को 20 हजार रुपये मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने होंगे.

खंडपीठ ने दिया आदेश

पटना हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यह फैसला परीक्षा समिति की अपील पर सुनवाई के बाद सुनाया. इस मामले की सुनवाई जस्टिस पी. बी. बजंथ्री और जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा की पीठ ने की. दरअसल, इससे पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 4 जुलाई 2020 को इंटर साइंस परीक्षा 2012 का रिजल्ट जारी करने में हुई देरी को लेकर बिहार बोर्ड पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

बिहार बोर्ड ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें उसने तर्क दिया कि परीक्षा के सात साल बाद यह मामला अदालत में लाया गया. बोर्ड ने अदालत को बताया कि याचिका में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि छात्रा को परीक्षा परिणाम में देरी के कारण किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

बिहार बोर्ड का पक्ष

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. इस कमेटी ने पूरी जांच के बाद औसत अंकों के आधार पर रिजल्ट जारी करने का फैसला लिया. बोर्ड ने यह भी बताया कि इस गलती के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है और विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है.

बिहार बोर्ड ने हाई कोर्ट के सामने यह भी तर्क रखा कि इतने वर्षों बाद इस मामले को अदालत में लाना न्यायोचित नहीं है. इसके बावजूद, अदालत ने जुर्माना पूरी तरह से खत्म करने की जगह इसे 10 लाख से घटाकर 5 लाख कर दिया.

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छात्रों के भविष्य पर असर

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर इस तरह के मामलों को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. परीक्षा परिणाम में देरी से छात्रों के करियर पर असर पड़ता है और कई बार उन्हें उच्च शिक्षा या नौकरियों के अवसरों से वंचित होना पड़ता है. हालांकि, बोर्ड का दावा है कि वह परीक्षा प्रक्रिया को पहले से अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाने के लिए लगातार सुधार कर रहा है.

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