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Aurangzeb Tomb Nagpur : महाराष्ट्र के नागपुर में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग के बाद हिंसा भड़क उठी और इस हिंसा के बाद शहर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हैं और 65 उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है. उग्र भीड़ ने कई बाइक और तीन कार को आग के हवाले कर दिया. यहां सवाल यह है कि आखिर मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर बवाल क्यों मचा है? देश में कई अन्य मुगल बादशाहों के भी कब्र हैं, लेकिन उन्हें लेकर कोई विवाद नहीं है, तो भी औरंगजेब की कब्र को लेकर इतनी नफरत क्यों है? आखिर मुगल बादशाह औरंगजेब ने ऐसा क्या किया था कि महाराष्ट्र के लोग उसकी कब्र को वहां से बाहर करना चाहते हैं?
औरंगजेब की हिंदू विरोधी नीति
मुगल बादशाह औरंगजेब की नीतियां हिंदू विरोधी थी. उसने अपने शासनकाल में कई मंदिरों को ध्वस्त किया और हिंदुओं पर जजिया कर फिर से लगाया. प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब A SHORT HISTORY OF AURANGZIBВ में लिखा है कि मुगलों का शासनकाल इस्लामिक कानून पर आधारित था, जहां अन्य धर्म के लोगों को बराबरी का दर्जा प्राप्त नहीं था. हालांकि कई मुगल बादशाह ऐसे भी हुए जिन्होंने अन्य धर्म के लोगों को तवज्जो भी दी. मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान इस्लामिक कानून को लागू किया और शुरुआत में हिंदू धर्म पर कपटपूर्ण तरीके से आक्रमण की शुरुआत की. जदुनाथ सरकार ने लिखा है कि उन्होंने बनारस के एक पुजारी को दिए दस्तावेज में यह कहा कि उनका धर्म उन्हें नए मंदिरों की स्थापना की इजाजत नहीं देता है, इसलिए वे नए मंदिर नहीं बनवा सकते. उसने शुरुआत में यह भी कहा कि उसका धर्म उन्हें पुराने मंदिरों को तोड़ने की इजाजत भी नहीं देता है. लेकिन समय के साथ ही उसने अपना बयान बदला और यह आदेश दिया कि ओडिशा में कटक से मिदनापुर तक 10-12 साल में जितने भी मंदिर बने थे उन्हें तोड़ दिया जाए. औरंगजेब के शासनकाल में किसी भी पुराने मंदिर को मरम्मत की अनुमति नहीं दी गई. 1669 में औरंगजेब ने यह आदेश दिया था कि काफिरों के सभी स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाए. उनकी धार्मिक शिक्षा और प्रथाओं को खत्म कर दिया जाए.
कर वसूली में भी हिंदुओं के साथ भेदभाव

औरंगजेब ने कर वसूली के मामले में भी हिंदुओं के साथ भेदभाव किया. उसने अकबर द्वारा बंद किए गए जजिया कर को दोबारा से लागू कर दिया. इसके अलावा अन्य कई तरह के कर भी हिंदुओं पर लगाए, जिसमें से खराज भी एक था. खराज टैक्स को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. कई इतिहासकार यह मानते हैं कि औरंगजेब ने जजिया कर तो हिंदुओं पर लगाया, लेकिन खराज कर हिंदू और मुसलमान दोनों को देना पड़ता है. हां इसमें यह बात थी कि मुसलमानों को टैक्स कम देना पड़ता था, जबकि हिंदुओं को टैक्स अधिक देना पड़ता था. इसके अलावा भी औरंगजेब ने कई ऐसे कार्य किए जिससे आम जनता में उसके प्रति आक्रोश बढ़ा. जैसे कि जो लोग इस्लाम कबूल कर लेते थे, उनके समाज में सम्मान दिया जाता था, जबकि आम हिंदू को अपमान झेलना पड़ता था. शासन के प्रमुख पदों पर हिंदुओं को हटाकर मुसलमानों की नियुक्ति जबकि अकबर ने कई हिंदुओं को अपने शासनकाल में प्रमुख जगहों पर बैठाया था.हिंदुओं के मेलों पर प्रतिबंध लगाया और कई बचकाने प्रयास भी किए, जिसने हिंदुओं के मन में औरंगजेब के प्रति नफरत के बीज बो दिए.
सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर की हत्या करवाई
गुरु नानकदेव के समय मुगलों के साथ सिखों का विवाद नहीं था. लेकिन औरंगजेब ने जबरन कश्मीर पंडितों का जबरन धर्मांतरण करवाना शुरू किया तो गुरु तेग बहादुर ने इसका विरोध किया. उस काल में सिखों और मुगलों के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई थी. औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को गिरफ्तार करवाया और उनसे जान की कीमत के रूप में इस्लाम कबूल करने को कहा-जिसे गुरु तेग बहादुर ने स्वीकार नहीं किया, तो उनका सिर कलम कर दिया गया था. जबकि गुरु गोविंद सिंह के चारों बेटे जिन्हें साहिबजादे कहा जाता है उनकी शहादत मुगलों के साथ युद्ध में हुई थी. इनके दो बेटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम स्वीकार ना करने की वजह से पहले जिंदा पत्थरों में चुनवा दिया गया था, जबकि दो बेटे युद्ध में शहीद हुए थे.
मुगल और मराठा शासकों के बीच थी दुश्मनी
मुगल साम्राज्य का दबदबा जब पूरे उत्तर भारत में फैल गया था, तो उन्होंने दक्षिण की ओर रुख किया. दक्षिण में उनका सामना मराठों से हुआ, जो अपनी युद्धनीति में बहुत कुशल थे. मराठा मुगलों का आधिपत्य स्वीकार करना नहीं चाहते थे, लेकिन मुगल उन्हें अपनी अधीन करना चाहते थे, क्योंकि बिना मराठों को शिकस्त दिए दक्षिण पर कब्जा संभव नहीं था. इसी क्रम में मुगलों और मराठों के बीच हमेशा ठनी रही. मराठों और मुगलों का पहला सामना 1615 में हुआ था,जब मुगल बादशाह जहांगीर ने कुछ मराठा सरदारों को अपने साथ कर भी लिया. शिवाजी के पिता शाहजी भी उस दौरान मुगलों के साथ हो गए थे,लेकिन बाद में वे उनसे अलग हो गए. जहांगीर के समय ही मराठा साम्राज्य का उदय हुआ और उसने मुगलों को कड़ी टक्कर भी दी. मराठा छत्रपति शिवाजी और संभाजी ने तो मुगलों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था.मुगल शासकों में औरंगजेब ही वह शासक था,जिसने दक्षिण विजय की जिद की और इसके लिए उसने दिल्ली का त्याग किया और पूरे लाव-लश्कर के साथ दक्षिण की ओर कूच कर गया. लेखिका ऑड्री ट्रुश्के ने अपनी किताब ‘औरंगजेब द मैन एंड द मिथ’ लिखा है कि औरंगजेब के साथ पूरा कारवां गया था, जिसमें पूरा हरम. दरबारी सभी शामिल थे. औरंगजेब को दक्षिण विजय की ऐसी सनक थी उसने दिल्ली छोड़ ही दिया और अपने जीवन के अंतिम वर्षों तक वो दक्षिण में ही रहा. मराठों को दबाने के लिए उसने पहले शिवाजी के साथ युद्ध किया, लेकिन जब उनके बेटे संभाजी ने औरंगजेब को टक्कर दी तो वो खुद मैदान में उतर गया. संभाजी को शुरुआती युद्ध में औरंगजेब हरा नहीं पाया था, लेकिन बाद में उसने संभाजी को गिरफ्तार कर लिया. संभाजी पर औरंगजेब ने कई क्रूरता की,लेकिन उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया. मराठा ग्रंथों में इस तरह का वर्णन है कि संभाजी की जुबान काट दी गई, आंखें गर्म सलाखों से फोड़ दी गई. शरीर की ऊपरी त्वचा को निकलवा दिया गया, लेकिन संभाजी ने इस्लाम स्वीकार नहीं किया. जदुनाथ सरकार ने भी संभाजी के ऊपर हुए अत्याचार का जिक्र किया है, लेकिन आंख फोड़ने की घटना का जिक्र नहीं किया है. इतिहास में मुगलों ने कई बार मराठों से युद्ध किया और जीता भी, लेकिन वे मराठों को पूरी तरह नेस्तानाबूद नहीं कर सके.
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औरंगजेब की कब्र कहां है?
औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है.
किस मराठा शासक को औरंगजेब ने प्रताड़ित किया था?
छत्रपति संभाजी