खबर में ये है खास
Patna First Power Museum : राजधानी पटना में करबिगहिया की ओर से गुजरते वक्त आपने एक अजीब से टावर वाला खंडहर तो जरूर देखा होगा! इसे ज्यादातर युवा पीढ़ी नहीं जानती है। लेकिन लोगों के मन में ये यह सवाल जरूर होता था कि यह खंडहर किस चीज का है? तो आपको ये बता दें कि यह पुराना पावर प्लांट है. जहां कभी बिजली बनती थी. मगर अब ये खंडहर हो चुका है. मगर अब खंडहर एक फिर जगमगाएगा. मगर इस बार वैश्विक पहचान के साथ.

भारत का पहला ऊर्जा संग्रहालय, होगी नई पहचान
Karbigahiya Museum : बिहार शिक्षा, तकनीक, विरासत और पर्यटन चारों मोर्चों पर एक बड़ी छलांग लगाने जा रहा है. राजधानी पटना के करबिगहिया में 50 साल से बंद पड़ा पुराना पावर हाउस अब अपनी वैश्विक पहचान के लिए जाना जाएगा. जी हां, अब इसे देश के पहले और दुनिया के चौथे ‘ऊर्जा संग्रहालय’ (Power Museum) के रूप में डेवलप किया जा रहा है. यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था. 3 एकड़ में बनने वाला यह Energy Museum पटना की पहचान ही नहीं, बिहार के तकनीकी इतिहास को भी नया रूप देगा.
1930 में बना, 1934 में बंद… और फिर 50 साल तक खंडहर!
Power Museum Patna : इस पावर प्लांट का निर्माण राजधानी पटना में बिजली की जरूरत और उत्पादन को ध्यान में रख कर किया गया था. इस प्लांट को 1930 में स्थापित किया गया था. मगर दुर्भाग्यवश इस पावर प्लांट के निर्माण के महज 4 साल 1934 में इसे बंद कर दिया गया. कहा जाता है, आबादी बढ़ने और इलाके का विस्तार इसे बंद करने की वजह थी. जो आम लोगों के गले से उतरती नहीं है. पावर प्लांट को बंद करने के बाद यह इमारत 50 साल से अधिक समय तक वीरान, जर्जर और उपेक्षित पड़ी रही. मगर 2019 में इसे ऊर्जा संग्रहालय में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है.
कैसा होगा नया ‘Power Museum’
- 3 एकड़ जमीन पर हाई-टेक ऊर्जा संग्रहालय
- बिजली उत्पादन, ग्रिड, ट्रांसफॉर्मर, नई ऊर्जा तकनीक की इंटरैक्टिव गैलरी
- पुराने पावर हाउस की विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक संरचना
- बिहारी युवाओं, छात्रों और रिसर्चरों के लिए लर्निंग हब
अभी लगेगा थोड़ा और समय
Patna New Museum : इस परियोजना की जिम्मेदारी बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दी गई है. पेसू के महाप्रबंधक दिलीप सिंह के अनुसार, इसके लिए एक विशेष सिविल विंग बनाई गई है. जो इसके निर्माण कार्य से भी जुड़ी है. मगर 2–3 साल में यह म्यूजियम पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा. इसके साथ ही राजधानी पटना का ये वीरान और अजीब सा दिखने वाले खंडहर में जबरदस्त लाइटिंग के साथ देश के पहले ऊर्जा संग्रहालय के रूप में पहचाना जाएगा.
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