पटना:
पटना जिले की 14 विधानसभा सीटों में इस बार भी जातीय समीकरणों का गणित लगभग जस का तस दिख रहा है. चाहे एनडीए जीते या महागठबंधन-विधायक उसी जाति के बनेंगे, जो पिछले चुनावों में बनते रहे हैं. राजनीतिक दलों ने टिकट बांटते वक्त परंपरागत जातीय समीकरणों को ही तरजीह दी है.यही वजह है कि दोनों गठबंधनों ने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, उससे साफ है कि पांच सीटों पर यादव और दो सीटों पर भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंचेंगे. फतुहा, दानापुर, मनेर और पालीगंज में दोनों गठबंधनों ने यादव जाति के प्रत्याशी उतारे हैं. यानी इन सीटों पर जीत किसी की भी हो, विधायक यादव ही बनेगा. वहीं बिक्रम व मोकामा में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने भूमिहार को टिकट दिया है. इन दोनों सीटों का नतीजा चाहे जो हो, विधायक भूमिहार ही होगा. इसके अलावा बाढ़ में राजद ने यादव उम्मीदवार को मौका दिया है, जबकि सुरक्षित सीटों-फुलवारी और मसौढ़ी को छोड़कर बाकी अधिकतर जगहों पर जातीय समीकरण जस के तस हैं.राजपूत उम्मीदवारों की संख्या में उछाल
इस बार पटना जिले में यादव और भूमिहार के बाद सबसे ज्यादा सीटें राजपूत जाति को मिली हैं. कुल छह विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न दलों ने राजपूत उम्मीदवार उतारे हैं. बाढ़ से भाजपा के सियाराम सिंह और जनसुराज के महेश सिंह दोनों ही राजपूत हैं. दीघा से जनसुराज के रितेश रंजन उर्फ बिट्टू सिंह और माले की दिव्या गौतम भी राजपूत जाति से हैं. फतुहा से जनसुराज के राजू कुमार और मनेर से संदीप कुमार को मौका मिला है. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में जिले से सिर्फ एक राजपूत उम्मीदवार (बाढ़ से भाजपा के ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू) विजयी हुए थे.कुर्मी-कायस्थ को सबसे कम हिस्सेदारी
अन्य जातियों की बात करें, तो कुर्मी और कायस्थ उम्मीदवारों की हिस्सेदारी सबसे कम रही है. भाजपा ने बांकीपुर से एक बार फिर कायस्थ नेता नितिन नवीन को मैदान में उतारा है. जनसुराज ने कुम्हरार से कायस्थ उम्मीदवार केसी सिन्हा और बख्तियारपुर से कुर्मी उम्मीदवार बाल्मिकी सिंह को टिकट दिया है.B
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