संवाददाता, पटना राज्य सरकार ने असैनिक सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों व पदाधिकारियों की प्रोन्नति प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. अब निगरानी स्वच्छता प्रमाण पत्र के लिए अलग से अधियाचना करने की आवश्यकता नहीं होगी. निगरानी विभाग ने दिसंबर 2024 तक के दर्ज आपराधिक मामलों और आरोप पत्रों की अद्यतन सूची सभी विभागों को सीडी के रूप में भेज दी है.इस बदलाव का सबसे बड़ा असर यह होगा कि अब प्रोन्नति से पहले किसी भी कर्मचारी की पृष्ठभूमि जांच विभागीय स्तर पर ही सुनिश्चित की जाएगी. विभागों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे इस सूची के आधार पर अपने स्तर से निगरानी स्वच्छता का संधारण करें और अपने रिकॉर्ड को अपडेट रखें. इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिन कर्मियों पर भ्रष्टाचार या आपराधिक मामले लंबित हैं, उन्हें स्वच्छता प्रमाण पत्र के अभाव में स्वतः प्रोन्नति से रोका जा सकेगा. इस व्यवस्था से एक ओर जहां समय की बचत होगी, वहीं दूसरी ओर प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा. अब निगरानी विभाग से प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा किए बिना ही विभाग अपने निर्णय ले सकेंगे. अब हर विभाग को निगरानी सूची को समय-समय पर अपडेट रखना होगा और उसी के आधार पर निर्णय लेने होंगे. पहले क्या होता था किसी कर्मचारी को प्रोन्नति देने से पहले विभाग को निगरानी विभाग से स्वच्छता प्रमाण पत्र मंगवाना पड़ता था. यह प्रक्रिया धीमी और जटिल थी, जिससे प्रोन्नति में देर होती थी. कई बार जिन कर्मचारियों पर मामले चल रहे होते थे, उनके नाम सूची में नहीं जुड़ते थे और वे प्रोन्नति पा जाते थे. विभागों को जानकारी हर बार अलग से लेनी पड़ती थी. नयी व्यवस्था निगरानी विभाग ने दिसंबर 2024 तक के मामलों की पूरी सूची सभी विभागों को पहले ही भेज दी है. अब 30 जून 2025 तक की प्रोन्नतियों के लिए अलग से कोई प्रमाण पत्र मंगवाने की जरूरत नहीं है. हर विभाग को अपने स्तर पर यह देखना होगा कि कर्मचारी पर कोई मामला तो नहीं है. इससे प्रोन्नति की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी. जिन पर केस हैं, उनकी प्रोन्नति अपने आप रुक जाएगी.
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