11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गरीबों के लिए मुसीबत, तस्करी को बढ़ावा, पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी को बताया उद्देश्य से भटका हुआ कानून

Liquor Ban in Bihar : शराबबंदी पर सख्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा, कहा, "शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं. पुलिस अक्सर तस्करों के साथ मिलीभगत में काम करती है. कानून से बचने के लिए नए तरीके विकसित किए गए हैं."

Liquor Ban in Bihar : पटना. पटना हाईकोर्ट ने एक बार फिर बिहार में लागू शराबबंदी कानून की आलोचना की है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि शराबबंदी कानून बिहार में शराब और अन्य अवैध सामानों की तस्करी को बढ़ावा दे रहा है. यह कानून गरीबों के लिए मुसीबत बन चुकी है. इस कानून के तहत एक पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ जारी किए गए डिमोशन के आदेश को रद्द करते हुए कोर्ट ने यह गंभीर टिप्पणियां की हैं.

उद्देश्य से भटका कानून

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कोर्ट नेकहा कि बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट, 2016 को सरकार द्वारा नागरिकों के जीवन स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने के उद्देश्य से लागू किया था, लेकिन यह कानून कई कारणों से इतिहास की गलत दिशा में चला गया है. एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह फैसला न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने 29 अक्टूबर को सुनाया गया था और 13 नवंबर को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर फैसला अपलोड किया गया है. कोर्ट का यह फैसला मुकेश कुमार पासवान द्वारा दायर की गई याचिका के जवाब में आया.

शराब तस्करी को मिल रहा बढ़ावा

न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने अपने फैसले में कहा, “पुलिस, एक्साइज, राज्य वाणिज्यि क कर और परिवहन विभागों के अधिकारी इस शराबबंदी का स्वागत करते हैं, क्योंकि उनके लिए यह कमाई का जरिया है. शराब तस्करी में शामिल बड़े व्यक्तियों या सिंडिकेट ऑपरेटरों के खिलाफ बहुत कम मामले दर्ज होते हैं. वहीं, शराब पीनेवाले गरीबों या नकली शराब के शिकार हुए लोगों के खिलाफ अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं.”

पुलिस और तस्करों में मिलीभगत

अपने फैसले में न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह ने पुलिस और तस्करों में मिलीभगत की ओर ध्यान दिलाते हुए स्पष्ट कहा, “शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं. पुलिस अक्सर तस्करों के साथ मिलीभगत में काम करती है. कानून से बचने के लिए नए तरीके विकसित किए गए हैं. यह कानून मुख्य रूप से राज्य के गरीब लोगों के लिए ही मुसीबत का कारण बन गया है.”

इंस्पेक्टर के इलाके में हुई थी जब्ती

याचिकाकार्ता मुकेश कुमार पासवान पटना बाईपास पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे. उन्हें इसलिए निलंबित कर दिया गया था क्योंकि राज्य के एक्साइज अधिकारियों ने उनके स्टेशन से लगभग 500 मीटर दूर छापेमारी की थी और विदेशी शराब जब्त किए थे. राज्य सरकार द्वारा 24 नवंबर 2020 को जारी किए गए सामान्य आदेश के तहत उन्हें डिमोशन की सजा दी गई. इस आदेश में कहा गया है कि जिस पुलिस अधिकारी के क्षेत्राधिकार में शराब की बरामदगी होती है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

हाईकोर्ट ने रद्द की सजा

याचिकाकार्ता मुकेश कुमार पासवान ने विभागीय जांच के दौरान भी अपना पक्ष रखा. इसके साथ ही उन्होंने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए अदालत का रुख किया. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि यह सजा पहले से निर्धारित थी, जिससे पूरी विभागीय प्रक्रिया मात्र औपचारिकता बनकर रह गई. अदालत ने न केवल सजा के आदेश को रद्द किया, बल्कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू की गई पूरी विभागीय कार्रवाई को भी रद्द कर दिया.

Also Read: Bihar Land Survey: नाकाफी रही ट्रेनिंग, सरकार सर्वे कर्मियों को अब देगी कैथी लिपि की किताब

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें