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India Pakistan War: 1971 की जंग के रास्ते पर है पाकिस्तान, इस बार हाथ से निकलेगा बलूचिस्तान या पीओके

India Pakistan War: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से जहां पूरा देश गौरवान्वित है, वहीं पूर्व सैनिकों का भी जोश हाइ है. देश की सेवा में कई साल खपाने वाले पूर्व सैनिकों का मानना है कि अब पाकिस्तान को सबक सिखाने का समय आ गया है और पाक अधिकृत कश्मीर को लेने में भारत को देर नहीं करनी चाहिए. पूर्व सैनिकों ने कहा कि भारतीय सेना फिर से उन्हें कॉल करे, तो वे कूच करने में देरी नहीं करेंगे और पाकिस्तान को सबक सीखा कर ही लौटेंगे. पूर्व सैनिको ने शुक्रवार को प्रभात खबर के साथ बातचीत करते हुए कहा- ‘पाकिस्तान भारत से 15 दिन भी युद्ध नहीं लड़ सकता’. पेश है रिटायर्ड अधिकारियों से बात के मुख्य अंश.

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India Pakistan War: दानापुर. पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव और अधिक गहरा गया है. इस भीषण हमले के जवाब में देश भर के नागरिकों में गहरा आक्रोश है. ऐसे समय में 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग ले चुके शहर के वीर सेवानिवृत्त सैनिकों ने एक स्वर में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा- ‘पाकिस्तान को पहलगाम की कीमत चुकानी होगी’. वरिष्ठ सैनिकों ने प्रभात खबर के साथ बातचीत करते हुए कहा- भारत हमेशा से शांति और प्रेम में विश्वास रखने वाला राष्ट्र रहा है, लेकिन जब हमारी सहनशीलता को कमजोरी समझा जाता है, तो हम चुप नहीं रहते. यदि हम अन्याय को नजरअंदाज करेंगे, तो वह हमें कमजोर बना देगा- और हम कमजोर नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को कई बार चेताया गया है कि भारत को उकसाना बंद करे. हर बार हमने संयम दिखाया है, लेकिन अगर बार-बार हमें ललकारा गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे. हमें तंग करोगे, तो करारा जवाब मिलेगा. पूर्व सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खुलकर सराहना करते हुए इसे सरकार का एक साहसिक और आवश्यक कदम बताया. उनका कहना है कि यह कार्रवाई न केवल आतंकवादियों के खिलाफ सीधा प्रहार है, बल्कि इससे पूरे विश्व को यह संदेश गया है कि भारत अब शब्दों से नहीं, कार्यों से जवाब देगा. हम अपने देश की रक्षा के लिए आज भी तैयार हैं.

वरिष्ठ व सेवानिवृत्त वीर सैनिकों ने कहा- ‘जरूरत पड़ी तो हम फिर से वर्दी पहनने से पीछे नहीं हटेंगे’

पाकिस्तान के पास सैनिक नहीं, आतंकी हैं: प्रवीण कुमार, रिटायर्ड ब्रिगेडियर

पाकिस्तान के पास सैनिक नहीं, आतंकी हैं और आतंकियों के सहारे भारत ही नहीं, अन्य देशों से वह युद्ध लड़ता रहा है. मेरे अंदर देश सेवा का जज्बा आज भी जिंदा है और मैं लड़ने को तैयार भी हूं. देश के लिए जब भी कुछ करने का मौका मिलेगा मैं पूरे दिल से करूंगा. मौजूदा हालात के मद्देनजर कहना है कि भारत को अपनी सैन्य शक्ति और कूटनीतिक स्टेट्समैनशिप के साथ एक बारीक लाइन पर चलना होगा. बिना फुल स्केल युद्ध को ट्रिगर किये हमें पाकिस्तान को करारा जवाब देते रहना है और फिर एक अनुकूल माहौल बनाकर पाकिस्तान को इतना दंडित करना है कि आगे से वह आतंकियों के समर्थन से भारत में किसी तरह के आक्रमण के बारे में न सोचें.

आज भारतीय सेना हर क्षेत्र में मजबूत: अरुण फौजी, पूर्व सैनिक

अगर देश को आज भी मेरी जरूरत पड़े, तो मैं देश सेवा के लिए तैयार हूं. हम खुश हैं कि लड़ाई में जाने के लिए हमारे लोगों ने लड़ाई से डरना नहीं सीखा. पूर्व के युद्ध में सेना को पूरी छूट नहीं मिलती थी. आदेश का इंतजार करना पडता था. मोदी सरकार ने सेना को पूरी छूट दे दी है, जिससे भारतीय सैनिक पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. आज भारतीय सेना हर क्षेत्र में मजबूत है और देश भी आर्थिक नीति में मजबूत है. भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बनते जा रहे हैं. पाकिस्तान रिहायशी इलाके में गोला- बारूद का इस्तेमाल कर रहा है और हमारी सेना हर हरकत का करारा जवाब के दे रही है. जरूरत पड़ने पर हम भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं.

आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति: हरेश पांडेय, पूर्व सैनिक

पहलगाम में हमारे 26 निहत्थे पर्यटकों की, केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर, आतंकियों द्वारा की गयी निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. यह कायरतापूर्ण और अमानवीय कृत्य न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा पर चोट है, बल्कि हमारी सांझी सांस्कृतिक विरासत और मानवता के मूल्यों के विरुद्ध सीधा हमला है. इस जघन्य अपराध के बाद देशभर में भारी आक्रोश है. इसका ठोस और निर्णायक उत्तर देते हुए हमारी सशस्त्र सेनाओं ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. यह कार्रवाई भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का स्पष्ट प्रमाण है. जरूरत पड़ी, तो हम भी सेना के साथ मिलकर लड़ने के लिए तैयार हैं.

अभी तो थल सेना का आक्रमण बाकी है: मनोज सिंह, पूर्व सैनिक, 1971 युद्ध के विजेता

भारतीय वायु सेना ने ही अभी तक मोर्चा खोला है. अभी तो थल सेना का आक्रमण बाकी है. पैदल सेना जूता-मोजा पहन कर तैयार हैं. पाकिस्तान पर चढ़ाई करने के लिए बस आदेश का इंतजार है. सेना के जांबाज सैनिक देश की रक्षा करने में सक्षम हैं. साल 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा चुके हैं. पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने समर्पण किया था. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है और मानवता के नाम पर, इसे जड़ से समाप्त करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. हम भी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध लड़ने के लिए तैयार हैं. भारत अब आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा.

सेना को मिली है खुली छूट, यह अच्छी बात: एपी सिंह, पूर्व सूबेदार, 1971 युद्ध के विजेता

मैं 1971 के युद्ध में शामिल था और उसमें हमने जीत हासिल की थी. वर्ष 1971 में होने वाले युद्ध भारतीय सैनिक शारीरिक क्षमता से पाक सैनिकों के साथ लड़ाई लड़कर विजयी हुई थी. अब भारतीय सेना आधुनिक हथियार के साथ ड्रोन से भी लड़ाई लड़ने की क्षमता है. हमारी सेना अब देश में बैठकर दुश्मनों से मुकाबला करने में सक्षम है. पहले सेना को युद्ध के लिए आदेश लेना पड़ता था. मोदी सरकार ने सेना को लड़ाई लड़ने के लिए पूरी छूट दे दी है. जिससे सैनिकों का मनोबल बढ़ा है. अभी मेरी उम्र 80 वर्ष है, अगर देश को आज भी मेरी जरूरत पड़े, तो मैं देश सेवा के लिए तैयार हूं. आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. जरूरत पड़ी तो हम फिर से वर्दी पहनने से पीछे नहीं हटेंगे.

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