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पीएमसीएच घोटाले में 3 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त, बढ़ती जा रही पूर्व अधीक्षक ओपी चौधरी की मुश्किलें

PMCH Scam: पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) में दवा और उपकरण खरीद घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा कदम उठाते हुए 3.01 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली हैं. यह कार्रवाई 16 साल पुराने उस घोटाले से जुड़ी है, जिसमें तत्कालीन अधीक्षक समेत कई अधिकारियों ने आपूर्तिकर्ताओं की मिलीभगत से ऊंची दरों पर खरीदारी कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया था.

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PMCH Scam: पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में दवा और उपकरण खरीद घोटाले के 16 साल पुराने मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए कुल 3.01 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर ली हैं. धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई इस कार्रवाई में 10 अचल और चल संपत्तियों को अंतिम रूप से कुर्क किया गया है. ये संपत्तियां पटना, दरभंगा और ग्रेटर नोएडा में स्थित हैं और मुख्य रूप से पीएमसीएच के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. ओपी चौधरी व अन्य आरोपियों की बताई जा रही हैं.

मिलीभगत से की गई थी फर्जी खरीदारी

ईडी की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि वर्ष 2008-09 और 2009-10 के दौरान डॉ. ओपी चौधरी और अन्य अधिकारियों ने मिलकर कुछ निजी आपूर्तिकर्ताओं के साथ साजिश रचते हुए जरूरत से कई गुना अधिक कीमत पर दवाएं, रासायनिक अभिकर्मक और मेडिकल उपकरण खरीदे. इस घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 12.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

ईडी का कहना है कि इन फर्जी खरीदियों से आरोपियों ने लगभग 3.01 करोड़ रुपये की अवैध आय अर्जित की, जिसे उन्होंने संपत्ति में तब्दील कर दिया. इन्हीं संपत्तियों को अब कुर्क किया गया है.

पहले भी हुई थी कार्रवाई

यह कोई पहली कार्रवाई नहीं है. नवंबर 2020 में भी इस मामले में ईडी ने डॉ. ओपी चौधरी, आपूर्तिकर्ता विनोद कुमार सिंह, गणेश प्रसाद सिंह, अमित कुमार ढांढानिया और बिमल डालमिया सहित उनके परिजनों के नाम पर 3.14 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थी. इसके बाद अप्रैल 2022 में इस घोटाले को लेकर विशेष अदालत में अभियोजन शिकायत दाखिल की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था.

जारी है जांच

ईडी ने अब तक जो संपत्तियां जब्त की हैं, उनमें मकान, फ्लैट, प्लॉट और बैंक बैलेंस शामिल हैं. एजेंसी का कहना है कि मामले में आगे भी कई नाम सामने आ सकते हैं और जांच लगातार जारी है. स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर यह मामला एक मिसाल बनता जा रहा है, जिससे साफ जाहिर है कि अब 16 साल पुराने मामलों में भी कानून का शिकंजा कस सकता है.

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