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Darbhanga Expressway: बिहार की पहली हाईस्पीड सड़क, जोड़ेगी तीन एयरपोर्ट और सात जिले

Darbhanga Expressway: बिहार की सड़कों पर जल्द ही दौड़ेंगी तेज रफ्तार गाड़ियां. आमस से दरभंगा तक बन रही सड़क न सिर्फ यात्रा का समय घटाएगी, बल्कि यह तीन-तीन एयरपोर्ट को एक साथ जोड़कर राज्य के विकास की नई तस्वीर भी पेश करेगी.

Darbhanga Expressway: बिहार में सड़क निर्माण का दायरा लगातार बढ़ रहा है. गांव-गांव तक पक्की सड़कें पहुंच रही हैं और बड़े शहरों को जोड़ने के लिए नए प्रोजेक्ट सामने आ रहे हैं. इन्हीं योजनाओं के बीच राज्य का पहला एक्सप्रेस वे भी आकार ले रहा है.

आमस से दरभंगा तक बनाई जा रही यह सड़क 30 फीसदी तक तैयार हो चुकी है. खास बात यह है कि इस सड़क पर गाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी.

दक्षिण से उत्तर तक अब होगी तेज कनेक्टिविटी

आज की तारीख में दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार पहुंचने में लोगों को सात से आठ घंटे लगते हैं. पर इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद यह दूरी घटकर महज दो से तीन घंटे में तय की जा सकेगी. यह सड़क दक्षिण और उत्तर बिहार के बीच पहली एक्सेस कंट्रोल्ड नेशनल हाईवे होगी, जिस पर गाड़ियां बिना रुकावट फर्राटा भरेंगी.

आमस-दरभंगा एक्सप्रेस वे बिहार की पहली ऐसी सड़क होगी, जो एक साथ तीन बड़े एयरपोर्ट को जोड़ने जा रही है. औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, पटना, वैशाली, समस्तीपुर और दरभंगा—इन सात जिलों से गुजरते हुए यह सड़क न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि इन इलाकों को हवाई सेवाओं से भी और निकट कर देगी.

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत तैयार हो रहा सपना

इस एक्सप्रेस वे का निर्माण भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है. सड़क की चौड़ाई करीब 200 फीट रखी गई है और इसे खास तकनीक से तैयार किया जा रहा है ताकि वाहनों को बिना बाधा तेज रफ्तार मिल सके. सड़क पर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट सीमित जगहों पर ही होंगे, जिससे ट्रैफिक कंट्रोल बना रहेगा. परियोजना पर करीब 5000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

मूल योजना के मुताबिक इस एक्सप्रेस वे का काम 25 जुलाई तक पूरा होना था, लेकिन जमीन अधिग्रहण की समस्या के कारण यह लक्ष्य टल गया. अब उम्मीद है कि दिसंबर तक इसका निर्माण कार्य समाप्त हो जाएगा. यानी अगले साल की शुरुआत में लोग इस सड़क का इस्तेमाल कर सकेंगे.

जहानाबाद से बदल रही तस्वीर

इस सड़क का सबसे बड़ा असर जहानाबाद जिले में दिखाई दे रहा है. करीब 28 किलोमीटर लंबे हिस्से से गुजर रही यह सड़क मखदुमपुर, घोसी, काको और मोदनगंज प्रखंडों को छू रही है. इसके कारण आसपास के गांवों की जमीनों की कीमत कई गुना बढ़ गई है. जहां पहले खेतिहर जमीन हजारों में बिकती थी, वहीं अब उसी जमीन की कीमत लाखों तक पहुंच गई है. रोजगार के नए अवसर भी सामने आने लगे हैं और स्थानीय लोग आने वाले समय में बेहतर बाजार और तेज यातायात सुविधा से जुड़ेंगे.

एक्सप्रेस वे सिर्फ तेज यात्रा का साधन नहीं है, बल्कि यह बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा कदम है. दक्षिण बिहार के किसानों और व्यवसायियों को अब उत्तर बिहार के बाजारों तक आसानी से पहुंच मिलेगी. वहीं, दरभंगा और समस्तीपुर जैसे जिलों से राजधानी पटना तक पहुंचना सरल हो जाएगा. सड़क से जुड़ने वाले दर्जनों गांवों में कारोबार और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.

रफ्तार और राहत दोनों का वादा

आमस-दरभंगा एक्सप्रेस वे बिहार के लिए सिर्फ एक सड़क नहीं है, बल्कि यह उम्मीदों की राह है. यह राज्य को नई गति और दिशा देगा. यात्रियों का समय बचेगा, किसानों और व्यापारियों को नई मंडियां मिलेंगी और लोगों की जिंदगी आसान होगी.

दिसंबर के बाद जब यह सड़क पूरी तरह बनकर तैयार होगी, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार ने आधुनिक बुनियादी ढांचे की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा लिया है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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