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763 बच्चों को मिली नयी जिंदगी बाल हृदय योजना बनी संजीवनी

मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना, दिल में छेद जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी से जूझ रहे मासूम बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है.

राज्य सरकार उठा रही हर खर्च संवाददाता,पटना मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना, दिल में छेद जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी से जूझ रहे मासूम बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के तहत राज्य के 763 बच्चों की हृदय सर्जरी सफलतापूर्वक की गयी है. अब ये बच्चे सामान्य जीवन जी पा रहे हैं. राज्य के दो प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों जिसमें इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना को इस योजना के लिए नामित किया गया है, जहां बच्चों का निशुल्क इलाज किया जा रहा है. योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्म लेने वाले शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों को न केवल निशुल्क ऑपरेशन की सुविधा दी जाती है, बल्कि स्क्रीनिंग, दवाइयों, अस्पताल में भर्ती, यात्रा और रहने-खाने तक का सारा खर्च भी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है. सरकार ने छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किया है. इलाज के दौरान मां के अतिरिक्त एक और परिजन के साथ रहने की अनुमति दी गयी है. यदि इलाज राज्य से बाहर स्थित किसी चिह्नित चैरिटेबल ट्रस्ट या निजी अस्पताल में होता है, तो परिवहन भाड़े के रूप में बच्चे के लिए पांच और अटेंडेंट के लिए यह राशि बढ़ाकर 10,000 कर दी गयी है. उनके साथ एक समन्वयक भी नियुक्त किया जाता है, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करते हैं.

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