Chhath Puja: छठ महापर्व बिहार की पहचान है. गंगा किनारे सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी है. पटना नगर निगम ने इस वर्ष छठ घाटों की तैयारी को लेकर बड़े स्तर पर योजना बनाई है.
गंगा का जलस्तर ऊंचा होने और कई घाटों को खतरनाक घोषित किए जाने के बावजूद 91 गंगा घाट और 62 तालाबों को अर्घ्य देने के लिए तैयार किया जा रहा है. दीपावली तक ज्यादातर घाट बनकर तैयार हो जाएंगे और नहाय-खाय तक उन्हें अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
191 परियोजनाओं पर होगा काम
नगर निगम ने इस बार घाट निर्माण और मरम्मती कार्यों के लिए 191 परियोजनाओं पर टेंडर जारी किया है. कुल 13 करोड़ 91 लाख रुपये की लागत से ये काम कराए जाएंगे. इसमें सबसे ज्यादा खर्च पाटलिपुत्र अंचल में होगा, जहां लगभग 6.38 करोड़ रुपये की राशि घाटों की तैयारी पर लगेगी.
बांकीपुर अंचल में 18 गंगा घाट और 8 तालाबों पर करीब 1.98 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. नूतन राजधानी अंचल में 16 तालाब और एक गंगा घाट को मिलाकर कुल 17 घाट तैयार किए जाएंगे, जिस पर 57.6 लाख रुपये खर्च होंगे. अजीमाबाद अंचल में 27 गंगा घाटों की मरम्मत और सजावट के लिए 2.84 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं.
पटना सिटी अंचल में 25 गंगा घाट और एक तालाब को तैयार किया जाएगा, जिस पर 2.08 करोड़ रुपये खर्च होंगे. वहीं, कंकड़बाग अंचल में एक तालाब को घाट के रूप में सजाने का काम होगा, जिस पर 3.80 लाख रुपये खर्च होंगे.
गंगा का जलस्तर और सुरक्षित घाट
इस साल गंगा नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. गांधी घाट पर पानी खतरे के निशान से ऊपर है और दीघा में थोड़ा कम. यही कारण है कि कई घाटों को खतरनाक की श्रेणी में रखा गया है. निगम की प्राथमिकता है कि व्रतियों को सुरक्षित स्थान पर अर्घ्य देने की व्यवस्था मिले. स्थायी तालाबों के अलावा मानिकचंद तालाब, कच्ची तालाब, बीएमपी तालाब और मंगल तालाब जैसे बड़े तालाबों को भी व्रतियों के लिए तैयार किया जा रहा है.
इसके अलावा शहर में अस्थायी तालाब और पार्कों को भी घाट का रूप दिया जा रहा है. कुल मिलाकर इस वर्ष 105 गंगा घाट और 63 तालाबों को छठ पूजा के लिए उपयुक्त बनाया जाएगा.
डिजिटल सेवा से जुड़ेगा पर्व

नगर निगम ने इस साल तकनीक का सहारा लेकर छठ व्रतियों को सुविधा देने की नई पहल की है. एक विशेष व्हाट्सएप नंबर जारी किया जाएगा, जिस पर लोग केवल “Hi” मैसेज भेजकर नजदीकी घाट की जानकारी पा सकेंगे.
भाषा चुनने के बाद व्रती अपना लोकेशन साझा करेंगे और सिस्टम उन्हें निकटतम घाट तक पहुंचने का रास्ता बताएगा. यह सुविधा खासकर उन लोगों के लिए मददगार होगी, जो नए हैं या अपने इलाके के सुरक्षित घाट के बारे में जानकारी नहीं रखते.
दीपावली तक होगी तैयारियां
निगम की योजना है कि ज्यादातर घाट दीपावली तक तैयार कर लिए जाएं. इसके बाद नहाय-खाय तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा. सफाई, लाइटिंग, सुरक्षा, बैरिकेडिंग और घाट तक पहुंचने के रास्ते की मरम्मत जैसे काम तेजी से किए जा रहे हैं.
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि छठ जैसे महापर्व में लाखों लोग जुटते हैं. ऐसे में सुरक्षा और सुविधा की जिम्मेदारी बड़ी होती है. इस बार घाटों की लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी और पानी के स्तर के आधार पर अंतिम सूची तय होगी.
पर्यावरण की चिंता भी शामिल
नगर निगम ने इस बार छठ के अलावा दुर्गा पूजा और लक्ष्मी पूजा को लेकर भी विशेष कदम उठाए हैं. गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के लिए 10 कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं, जहां मूर्ति और पूजन सामग्री का विसर्जन किया जाएगा.
दुर्गा पूजा के दौरान पाटलिपुत्र अंचल के दीघा घाट और पाटी पुल घाट, पटना सिटी अंचल के कंगन घाट, किला घाट और डमराही घाट, अजीमाबाद अंचल के भद्र घाट (पूर्वी और पश्चिमी), चित्रगुप्त तालाब और गायघाट पर यह व्यवस्था होगी. वहीं, लक्ष्मी पूजा के लिए अजीमाबाद अंचल के भद्र घाट और महावीर घाट तथा पाटलिपुत्र अंचल के दीघा घाट पर कृत्रिम तालाब बनेंगे.
नगर निगम का उद्देश्य है कि धार्मिक आस्था के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी भी निभाई जाए.
आस्था और तैयारी का संगम
छठ महापर्व सिर्फ पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है. गंगा किनारे लाखों लोगों का जुटना, व्रतियों का अनुशासन और सामूहिकता पूरे विश्व में अद्वितीय है. नगर निगम की इस बार की योजना आस्था और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है.
लोगों की नजर अब घाटों की तैयारियों पर है. दीपावली से लेकर नहाय-खाय तक जब घाट सजकर तैयार हो जाएंगे, तब ही व्रती सुकून से अर्घ्य देने का संकल्प पूरा कर पाएंगे.

