मुफ्त दवा नीति ने बदली बिहार की तस्वीर, पांच साल में 10 गुना बढ़ा आपूर्ति व वितरण
संवाददाता,पटना
राज्य सरकार द्वारा मुफ्त दवा वितरण की नीति का लाभ अब गरीब मरीजों को मिलने लगा है. उनकी जेब पर पड़ने वाले खर्च में कमी आयी है. मुफ्त दवाओं की आपूर्ति के मामले में बिहार देश के शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है.बिहार में सबसे अधिक 611 प्रकार की दवाएं मरीजों को ओपीडी में दी जाती हैं. साथ ही अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने से लेकर ऑपरेशन तक में सरकार मुफ्त दवा उपलब्ध कराती है. इतना ही नहीं कैंसर और हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं भी सरकार द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही हैं.
सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार मुफ्त दवाओं के वितरण की योजना आरंभ की थी. अस्पतालों में किये गये सेवाओं में सुधार और दवाओं की उपलब्धता के कारण आज बिहार स्वास्थ्य सेवाओं और दवा वितरण में देश का अग्रणी राज्य बन गया है. पांच वर्षों में राज्य सरकार ने मुफ्त दवा नीति के तहत दवा आपूर्ति और वितरण पर 10 गुनी खर्च बढ़ायी गयी है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में मुफ्त दवाओं पर लगभग 762 करोड़ खर्च किया गया है. स्वास्थ्य विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में मुफ्त दवाओं पर 1100 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया है. वर्ष 2005 के बाद से सरकार ने अस्पतालों में इलाज करानेवाले मरीजों के लिए जीवनरक्षक दवाओं की लिस्ट जारी की है. इसमें निरंतर वृद्धि की जाती रही है. मुफ्त दवा नीति की शुरुआत एक जुलाई 2006 से हुई. कैबिनेट से इसकी मंजूरी के बाद राज्य में मुफ्त दवा वितरण की नींव रखी गयी. वर्ष 2006 में सिर्फ 47 प्रकार की दवाएं उपलब्ध थीं जो वर्ष 2008 में बढ़कर ओपीडी मरीजों के लिए 33 प्रकार और आइपीडी मरीजों के लिए 112 प्रकार की कर दी गयी. वर्ष 2023 में जीवन रक्षक दवाओं की सूची में वृद्धि होकर 611 प्रकार की दवाइयां और 132 प्रकार के डिवाइसेज/कंज्यूमेबल्स शामिल हो गये हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है