Bihar News: पटना: बिहार की राजनीति में कांग्रेस ने धीरे-धीरे रंग दिखाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस इस बार हारी हुई सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं है. कांग्रेस ने राजद के सामने सीट शेयरिंग को लेकर दो फार्मूला रखा है. कांग्रेस ने राजद के सामने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार वो ऐसी सीटों को अपने हिस्से में नहीं लेगी जहां से एनडीए कई चुनाव जीत चुकी है. अगर ऐसी सीटों को इस बार भी कांग्रेस के माथे मढ़ा जाएगा तो कांग्रेस किसी भी तरह के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी.
अब पहलेवाली कांग्रेस नहीं
राहुल की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान ही राजद को इस बात के राजनीतिक संकेत मिल गये थे कि गठबंधन की राजनीति में इस बार उनका सामना पहले वाली कांग्रेस से नहीं है. ‘यस मैन’ पॉलिटिक्स को ना कहते कांग्रेस ने इस बार सीट शेयरिंग को लेकर अपनी शर्तें वार्ता के टेबुल पर रख दिया है. इसके लिए कांग्रेस के रणनीतिकारों ने दो फॉर्मूला तैयार किया है. एक कांग्रेस का उपमुख्यमंत्री और 50 सीट, जबकि दूसरा उपमुख्यमंत्री पद के बगैर 70 सीटें. इन दोनों फॉर्मूला पर बातचीत के लिए बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को अधिकृत कर दिया है.
सीटों को लेकर समझौते के मूड में नहीं कांग्रेस
कांग्रेस ने अपनी सीटों की सूची में इस बात का खास ख्याल रखा है कि उन सीटों पर दांव लगाया जाये, जहां जीतने की उम्मीद अधिक हो. सूची में कई ऐसी विधानसभा सीटों का नाम जोड़ा गया है, जहां दलित, अतिपिछड़ा, सवर्ण और मुस्लिम निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इन सीटों के बरक्स संभावित उम्मीदवारों के संदर्भ में विचार भी किया है. कांग्रेस का कहना है कि अगर उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद नहीं दिया जाता है, इस स्थिति में कांग्रेस 70 सीटों से कम पर किसी भी सूरत में तैयार नहीं होगी.
सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नंबर-1
बिहार में इस बार कांग्रेस ने राष्ट्रीय पार्टी की हैसियत दिखाते हुए वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली 70 सीटों की संख्या को यथावत रखने की बात कही है. लेकिन पार्टी उन्हीं सीटों पर इस बार फिर से नहीं लड़ेगी, जिन सीटों पर पिछली बार लड़ी थी. इस बार कांग्रेस के रणनीतिकारों ने जीतने लायक सीटों की सूची तैयार की है. राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान कमजोर विधानसभा सीटों का आंकलन कर पार्टी ने संभावित सीटों की सूची तैयार की है.
सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नंबर-2
महागठबंधन की सरकार बनने पर अगर कांग्रेस को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जाता है तो कांग्रेस सीटों को लेकर कुछ नरम रुख अपना सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान का टारगेट 60 से 50 सीटों के बीच हो सकता है. इन सीटों में जीती हुई 19 सीटें तो रहेंगी ही, इस पर कोई समझौता नहीं होगा. साथ ही सूची में कांग्रेस को हर जिले में कम से कम एक सीट अवश्य मिले. माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य भी प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में सीटों को लेकर यह बात कह चुके हैं कि कांग्रेस को 50 सीटों के आसपास लड़नी चाहिए.
बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु की राय
बिहार कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में हुई बैठक के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने सीट शेयरिंग के सवाल पर पत्रकारों से कहा था कि हम चाहते हैं कि सीटों की संख्या सम्मानजनक हो और वह कांग्रेस के जिताऊ समीकरण के तहत फिट बैठती हो. अच्छी और खराब सीटों का संतुलन बनाना जरूरी है. कांग्रेस इस बार वर्ष 2020 वाली गलती नहीं दोहराएगी. कांग्रेस ने ऐसी 45 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो एनडीए का गढ़ था. इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. इसे कांग्रेस नहीं दोहराएगी.

