Bihar News: पटना. खेल उत्पाद और फुटवियर बनानेवाली मल्टीनेशनल कंपनी एवरट्रेड इंडिया बिहार में निवेश करने जा रही है. बिहार के दरभंगा में कंपनी अपना प्लांट लगाने जा रही है. दुनिया की टॉप स्पोर्ट्स शू कंपनी के मालिक नीरेन कुमार आनंद ने कहा कि वे मिथिला में 100 करोड़ की लागत से फैक्ट्री लगाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे दरभंगा के रहने वाले हैं और सरकार के प्रस्ताव से उत्साहित हैं. कंपनी के मालिक नीरेन कुमार आनंद जिन्होंने चीन और हांगकांग में जूते की फैक्ट्री लगा रखी है, उड़ीसा में उनकी फैक्ट्री कार्यरत है और आने वाले दिनों में राजस्थान के बाद बिहार में भी यह इंडस्ट्री लगाने जा रहे हैं.
सरकार करेगी हर संभव मदद
पिछले दिनों राजधानी पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में नीरेन कुमार आनंद का कहना था कि बिहार सरकार को जमीन सुरक्षा और छोटी-मोटी समस्याओं के समाधान के लिए इंतजाम करने चाहिए. नीरेन कुमार के इस मांग पर बोलते हुए उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि जो भी उद्योगपति बिहार में 100 करोड़ से अधिक का निवेश करेगा उसे 40 करोड़ रुपये का इंसेंटिव मिलेगा. सरकार निवेशकों को हर संभव सुविधा देने के लिए तैयार है. बिहार को विकसित बनाने के लिए सरकार ने औद्योगिक निवेश पर फोकस बढ़ा दिया है. 2024 के इंडस्ट्रियल समिट में 1 लाख 80 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए. सरकार ने 8000 एकड़ का लैंड बैंक तैयार किया है. ऐसे उद्योगपतियों से जमीन वापस ली जा रही है, जिन्होंने उद्योग नहीं लगाए.
पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं निरेन
मूल रूप से दरभंगा जिले के रहनेवाले कंपनी के संस्थापक निरेन कुमार आनंद अपना कारोबार भुवनेश्वर(ओडिशा) से शुरू किया है. खेल और फुटवियर व्यवसाय में पहली पीढ़ी के उद्यमी रहे निरेन ने अपने दृढ़ संकल्प, समर्पण और दृढ़ता के बल पर एवरट्रेड इंडिया की स्थापना की और समय के सफल उद्यमी बने हैं. निरेन आनंद इस उद्योग में दो दशकों से भी ज़्यादा का अनुभव है और उन्होंने ली निंग और योनेक्स जैसे प्रतिष्ठित वैश्विक ब्रांडों के साथ काम किया है. उनके व्यापक व्यावसायिक सफ़र में एशियाई क्षेत्र का व्यापक अनुभव शामिल है, जहाँ उन्होंने भारत, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और चीन जैसे देशों में काम किया है.
औद्योगीकरण में बिहार की पिछली चुनौतियां
बिहार के विभाजन के बाद औद्योगिक इकाइयां झारखंड चली गईं और राज्य को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एकीकृत बिहार में 87% रेवेन्यू झारखंड से आता था, जबकि बिहार से मात्र 13% आता था. बंटवारे के बाद बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की चुनौती खड़ी हो गई थी. इस संबंध में बिहार सरकार के वित्तमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि 2005 में बिहार का बजट 6000 करोड़ था, जो 2025 में बढ़कर 3 लाख 17 हजार करोड़ तक पहुंच गया. वहीं झारखंड का बजट मात्र 1 लाख 45 हजार करोड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह बिहार की आर्थिक प्रगति का प्रमाण है.
Also Read: MLC हो या MLA, बिहार विधानमंडल के सभी सदस्य अब कहे जायेंगे ‘विधायक’

