Bihar New Industries: पटना. राज्य में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार नई एक्जिट नीति लेकर आई है. इसके तहत उद्यमी बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों की जमीन वापस बियाडा को सुपुर्द कर पहले से जमा अपनी लीज राशि वापस ले सकते हैं. बीते 11 फरवरी को हुई बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार) के निदेशक पर्षद की 93वीं बैठक में इससे संबंधित निर्णय लिया गया और एक्जिट नीति–2025 को लागू करने को लेकर स्वीकृति प्रदान की गई. इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों में बंद पड़ी इकाइयों की भूमि का उपयोग करना है. उद्यमी बियाडा की तरफ से आवंटित भूमि को वापस कर सकते हैं. इस जमीन का आवंटन नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए किया जाएगा. इस नीति के तहत आवेदन की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 है.
इस नीति के तहत पात्र इकाई
- – ऐसी सभी इकाइयां जिनका वर्तमान में आवंटन वैध है.
- – ऐसी इकाइयां जिन्होंने आवंटन रद्दीकरण के विरुद्ध अपीलीय प्राधिकार, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर रखी है. ये लोग अपनी वाद याचिका वापस लेकर नियमानुसार इस नीति का लाभ उठा सकते हैं.
- – ऐसी सभी इकाइयां जिनका आवंटन रद्द हो चुका है लेकिन दखल कब्जा बियाडा ने अभी तक नहीं लिया है.
- – इन सभी मामलों में आवंटन या लीज की अवधि आवेदन की तिथि को वैध होना आवश्यक है.
इन पर लागू नहीं होगी यह नीति
- – जिनके आवंटन या लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है.
- – यदि तृतीय पक्ष को भूमि आवंटित हो चुकी है.
ऐसे होगा नीति का कार्यान्वयन
जिस उद्यमी की तरफ से भूमि वापस की जा रही है, उसे उस भूखंड की वर्तमान बियाडा दर (भूवापसी के आवेदन की तिथि को ) के आधार पर उनके स्तर से उपयोग की गई लीज या आवंटन अवधि की आनुपातिक कटौती कर शेष राशि निम्नांकित तरीके से वापस की जाएगी.
- -1 से 3 वर्ष की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन (नव आवंटित इकाई के अतिरिक्त) के मामले में 10 फीसदी राशि लौटेगी.
- -3 वर्ष से अधिक एवं 5 वर्ष से कम की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन की स्थिति में 15 फीसदी राशि लौटेगी.
- -5 वर्ष से अधिक की अवधि तक अकार्यरत उद्योगों की जमीन की स्थिति में 20 फीसदी राशि लौटेगी.
18 फीसदी जीएसटी देय होगा
सभी राशि पर 18 फीसदी जीएसटी देय होगा. इसके अतिरिक्त किसी भी बिजली संस्थान या बैंक या वित्तीय संस्थान या सरकार के किसी अन्य विभाग या बियाडा का बकाया होने की स्थिति में उसकी कटौती करने के बाद ही शेष राशि का भुगतान उद्यमी को किया जाएगा. अकार्यरत होने की तिथि का निर्धारण संबंधित उप महाप्रबंधक या क्षेत्रीय प्रबंधक या सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक के निरीक्षण प्रतिवेदन या रिपोर्ट के आधार पर ही किया जाएगा.
इकाइयों को देने होंगे ये दस्तावेज
- – इकाई के निबंधित लीज डीड एवं आवंटन पत्र की मूल प्रति
- – वित्तीय संस्थान या बैंक का अनापत्ति या बकाया रहित प्रमाण पत्र। अगर कोई ऋण नहीं लिया है, तो इसका शपथ पत्र
- – बिजली कंपनी से बकाया रहित प्रमाण पत्र या अपडेट विद्युत बिल
- – यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि इस इकाई पर कोई वित्तीय संस्थान या बैंक या बिजली कंपनी या कोई सरकारी विभाग का कोई बकाया नहीं है
तीन किश्तों में होगा राशि का भुगतान
इस नीति के तहत आवेदन स्वीकृत होने के बाद स्वीकृति की तिथि से संबंधित औद्योगिक इकाई को तीन महीने मोहलत दी जाएगी. इस दौरान वे अपनी संरचना या संयंत्र को हटा लें. इसके बाद भूमि का स्वामित्व बियाडा को सौंपना होगा. अगर इकाई अपने संयंत्र को निर्धारित अवधि में नहीं हटाती है, तो इसकी नीलामी सरकार करा देगी और इसमें होने वाले खर्च की राशि की कटौती भी संबंधित इकाई से की जाएगी. इस नीति में स्वीकृत आवेदन वाली इकाइयों को तीन किश्तों में राशि का भुगतान किया जाएगा. बियाडा को जमीन मिलने के चार महीने के अंदर 40 फीसदी तथा शेष राशि का भुगतान चार पर 30 फीसदी और फिर आठ महीने पर 30 फीसदी राशि का भुगतान किया जाएगा.
नव गठित इकाईयों के लिए यह है नीति
वैसी नवगठित इकाईयां, जो बियाडा भू आवंटन नीति, 2002 के तहत कार्यरत है और निर्धारित समयसीमा के अंतर्गत या किसी अन्य कारण से उद्योग स्थापित करने में सक्षम साबित नहीं हो पा रही है, तो वे भी इस नीति का लाभ उठा सकती हैं. इनके लिए उनके स्तर से उपयोग की गई लीज या आवंटित अवधि की आनुपातिक कटौती की जाएगी. इसके अतिरिक्त भूमि मद में भुगतान की गई कुल राशि का 10 प्रतिशत एवं लागू कर की कटौती करके शेष राशि का भुगतान किया जाएगा. अगर संबंधित उद्यमी का कोई किस्त बकाया है, तो ऐसे में बकाए किस्त की राशि का 2 प्रतिशत अतिरिक्त राशि दण्ड स्वरूप कटौती की जाएगी. आवेदन स्वीकृत होने की स्थिति में 3 महीने अंदर जमीन पर मौजूद सभी संरचनाओं को हटाना होगा. आवेदन को बियाडा मुख्यालय में कार्यकारी निदेशक उत्तर या दक्षिण के कार्यालय में समर्पित कर सकते हैं. आवेदन के साथ सभी संबंधित जरूरी दस्तावेज भी संलग्न करना होगा. किसी भी आवेदन पर विचार करने के लिए प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी हुई है, जिसका निर्णय ही अंतिम एवं मान्य माना जाएगा.
Also Read: देश को भाया नीतीश कुमार का बिहार मॉडल, स्कूली शिक्षा व्यवस्था में आया बुनियादी बदलाव