Bihar Highway: पटना. बिहार में विकास परियोजनाओं की बाढ़ आने वाली है. वित्त वर्ष 2025–26 में नेशनल एक्शन प्लान में शामिल सभी हाईवे प्रोजेक्ट्स में से लगभग दो-तिहाई की शुरुआत बिहार में की जाएगी. इन परियोजनाओं की कुल लागत 33,464 करोड़ है. यह देश में किसी भी राज्य के लिए सबसे अधिक आवंटन है. बिहार के लिए कुल 52 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं. राजस्थान दूसरे स्थान पर है, जिसे 14,811 करोड़ की परियोजनाएं मिली हैं. हालांकि, यह बिहार की रकम का आधा भी नहीं है. इसके बाद महाराष्ट्र आता है, जिसे 13,869 करोड़ के प्रोजेक्ट मिले हैं. बिहार की 52 परियोजनाओं की कुल लंबाई 875 किलोमीटर है. इसमें 7 पुल, 18 रेलवे ओवर ब्रिज/अंडर ब्रिज और 7 बायपास शामिल हैं.
जल्द से जल्द शुरू होगी टेंडर प्रक्रिया
बिहार के मुख्यसचिव अमृत लाल मीणा ने सभी जिला अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे अपने जिले की परियोजनाओं की साप्ताहिक समीक्षा करें., ताकि डीपीआर जल्दी तैयार हों, भूमि अधिग्रहण पूरा हो और टेंडर प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जा सके. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि सभी परियोजनाओं के टेंडर चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले जारी कर दिए जाएं. ध्यान देने वाली बात यह है कि बिहार की कार्ययोजना में शामिल 52 परियोजनाओं में से 46 को हाई प्रायोरिटी श्रेणी में रखा गया है. इसका मतलब है कि परियोजना के अनुमान और अन्य दस्तावेजों को जितना जल्दी हो सके, पेश किया जाना चाहिए.
बिहार को मिले प्रमुख प्रोजेक्ट
- अनीसाबाद और एम्स (पटना) के बीच 10 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर.
- समस्तीपुर शहर के पास यातायात भीड़ को कम करने के लिए मगरदही घाट पर एक पुल.
- बेतिया और सिवराही के बीच गंडक नदी पर एक पुल.
- कमला नदी पर एक पुल.
- अरवल, दाउदनगर और औरंगाबाद में बायपा स का निर्माण, ताकि शहरों की भीड़भाड़ से बचा जा सके.
- दरभंगा और जयनगर के बीच 38 किलोमीटर लंबा हाईवे.
- बेतिया और बगहा के बीच 69 किलोमीटर लंबा हाईवे.
- अरवल और बिहार शरीफ के बीच 89 किलोमी टर लंबा हाईवे.
केंद्र का राज्यों को निर्देश
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में देश भर में प्रस्तावित हाईवे परियोजनाओं की समीक्षा की. यह समीक्षा 19 अप्रैल 2025 से 12 जून 2025 के बीच आयोजित की गई. इसके आधार पर केंद्र सरकार ने 19 जून 2025 को सभी राज्य सरकारों के मुख्यसचिवों को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया. उन्हें यह निर्देश दिया गया कि वे प्री-कंस्ट्रक्शन प्रक्रियाओं को तेज करें, ताकि अनुबंध जल्द से जल्द आवंटित किए जा सकी.
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