Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान सात देशों के 14 प्रतिनिधि भारत की चुनावी प्रक्रिया को नजदीक से देखने के लिए पहुंचे हैं. भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने मंगलवार को “इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम 2025” की शुरुआत की, जिसके तहत विदेशी प्रतिनिधि भारत के चुनाव प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और पारदर्शिता की बारीकियां समझेंगे.
दिल्ली से शुरू हुआ लोकतंत्र का यह ‘ग्लोबल क्लासरूम’
नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयुक्त डॉ. विवेक जोशी ने विदेशी मेहमानों का स्वागत किया. कार्यक्रम का आयोजन भारतीय अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान (IIDEM) में हुआ.
यहां प्रतिनिधियों को भारत के चुनावी ढांचे की विस्तृत प्रस्तुति दी गई. कैसे मतदाता सूची तैयार होती है, मतदान केंद्रों की स्थापना होती है और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए किस तरह की व्यवस्थाएं अपनाई जाती हैं. अधिकारियों ने उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT प्रणाली का प्रदर्शन भी दिखाया. हर प्रतिनिधि को बताया गया कि भारत जैसे विशाल देश में कैसे तकनीक और मानव संसाधन का संतुलन बनाए रखा जाता है, ताकि हर नागरिक का वोट सुरक्षित और निष्पक्ष रूप से दर्ज हो सके.
सात देशों के प्रतिनिधि, एक साझा लक्ष्य
इस कार्यक्रम में शामिल सात देशों में फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और कोलंबिया के 14 प्रतिनिधि हैं. इनमें कई देशों के चुनाव आयोगों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.
इन सभी का उद्देश्य है भारत के अनुभव से सीख लेना—कैसे यह देश इतने विशाल पैमाने पर पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव आयोजित करता है.
विदेशी प्रतिनिधि पांच और छह नवंबर को बिहार दौरे पर रहेंगे. वे पटना और आसपास के जिलों में EVM डिस्पैच केंद्रों का निरीक्षण करेंगे, जहां से मतदान सामग्री भेजी जाती है. छह नवंबर को वे पहले चरण के मतदान के दौरान बूथों का भ्रमण करेंगे और मतदान प्रक्रिया को अपनी आंखों से देखेंगे. बिहार इस बार सिर्फ वोट नहीं डाल रहा. वह दुनिया को लोकतंत्र का पाठ भी पढ़ा रहा है.
भारत का चुनाव आयोग: दुनिया के लिए एक मॉडल
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “भारत का चुनावी तंत्र दुनिया के लिए एक मॉडल है. करोड़ों मतदाताओं, लाखों मतदान केंद्रों और हजारों अधिकारियों के समन्वय से जो प्रक्रिया चलती है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं. हमारी कोशिश है कि इस अनुभव को अधिक से अधिक देशों के साथ साझा करें.”
निर्वाचन आयुक्त डॉ. विवेक जोशी ने कहा कि चुनाव केवल वोटिंग नहीं, बल्कि जनभागीदारी और विश्वास की पुनर्पुष्टि है. उन्होंने बताया कि भारत के अनुभवों ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई देशों को अपनी चुनावी व्यवस्थाएं सुधारने में मदद की है.
2014 से अब तक दुनिया के लिए बना उदाहरण
इंटरनेशनल इलेक्शन विजिटर्स प्रोग्राम की शुरुआत 2014 में हुई थी. तब से अब तक एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के कई देशों के चुनाव अधिकारी भारत के चुनावों को देखने आ चुके हैं. इस पहल का मुख्य उद्देश्य है चुनावी पारदर्शिता, तकनीक और प्रबंधन की भारतीय मॉडल को साझा करना, ताकि अन्य लोकतंत्र भी इससे प्रेरणा लेकर अपनी प्रणालियों को मजबूत कर सकें. भारत का निर्वाचन आयोग न सिर्फ चुनाव कराता है, बल्कि हर बार इसे अधिक सुगम, पारदर्शी और सहभागी बनाने की दिशा में नए प्रयोग करता है. यही कारण है कि विश्व के कई लोकतंत्र भारत के अनुभवों को अपनी प्रक्रियाओं में शामिल कर रहे हैं.
लोकतंत्र की ‘टेक्नोलॉजी डिप्लोमेसी’
भारत के लिए यह कार्यक्रम सिर्फ चुनावी प्रक्रिया का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक प्रकार की “टेक्नोलॉजी डिप्लोमेसी” भी है. EVM और VVPAT प्रणाली अब भारत की सॉफ्ट पावर का हिस्सा बन चुकी हैं. जो दिखाती हैं कि लोकतंत्र तकनीक से टकराता नहीं, बल्कि उसके सहारे और मजबूत होता है.
विदेशी प्रतिनिधि भारत के इस ‘टेक्नोक्रेटिक लोकतंत्र’ से सीख लेकर अपने देशों में पारदर्शी चुनाव सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाने की उम्मीद रखते हैं.
बिहार का यह चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि यह भारत की राजनीतिक चेतना की जड़ों से जुड़ा राज्य है. यहां चुनाव सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का हिस्सा होता है और इस बार, जब विदेशी पर्यवेक्षक हर बूथ, हर कतार और हर मतदाता को देखेंगे, तो उन्हें भारत की असली ताकत का एहसास होगा.
छह नवंबर को बिहार के गांवों और कस्बों में लोकतंत्र का यह उत्सव शुरू होगा, तो दुनिया भी देखेगी कि कैसे एक देश सिर्फ वोट नहीं डालता. बल्कि हर वोट के साथ भविष्य लिखता है.

