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Bihar Election 2025: पटना में शिक्षा का एजेंडा अब भी हाशिए पर, बांकीपुर से लेकर मसौढ़ी तक युवाओं के सपनों को नहीं मिल पाया मंच

Bihar Election 2025: बच्चों के स्कूल, कॉलेजों की दशा या युवाओं की उच्च शिक्षा के अवसर पर कोई बात नहीं कर रहा. बांकीपुर से लेकर नौबतपुर तक हर जगह सड़कों और पुलों की बात होती है, लेकिन शिक्षा के सवाल पर सन्नाटा है.

Bihar Election 2025: अनुराग प्रधान, पटना. बिहार विधानसभा चुनाव का शोर तेज है. दीवारों पर नारों की भरमार है, गलियों में जुलूस निकल रहे हैं, सोशल मीडिया पर पोस्टरों की बाढ़ है, लेकिन इन सबके बीच शिक्षा का मुद्दा गायब है. बांकीपुर, कुम्हरार, पटना सिटी, दीघा, दानापुर, मनेर, मसौढ़ी, फुलवारी और नौबतपुर जैसी सीटों पर सियासी चर्चा रोजगार, सड़क और कानून व्यवस्था तक सिमट कर रह गयी है. बच्चों के स्कूल, कॉलेजों की दशा या युवाओं की उच्च शिक्षा के अवसर पर कोई बात नहीं कर रहा. बांकीपुर से लेकर नौबतपुर तक हर जगह सड़कों और पुलों की बात होती है, लेकिन शिक्षा के सवाल पर सन्नाटा है.

Bihar Chunav: क्यों गायब है शिक्षा का मुद्दा

स्थानीय समाजसेवी मनीषा चौबे बताती हैं, राजनीति में शिक्षा को मुद्दा बनाने से तत्काल वोट नहीं मिलता, इसलिए पार्टियां इसे पीछे रखती हैं. लेकिन दीर्घकाल में यही सबसे जरूरी निवेश है. युवाओं का कहना है कि रोजगार की नींव अच्छी शिक्षा से ही पड़ती है, लेकिन जब स्कूल और कॉलेज ही मजबूत नहीं होंगे, तो नौकरी की बात बेमानी है.

Bihar Chunav: बांकीपुर : कोचिंग हब में भी शिक्षा नहीं है एजेंडा

राजधानी का बांकीपुर इलाका पटना का शैक्षणिक केंद्र माना जाता है. बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थान और निजी स्कूल हैं, लेकिन यहां भी उम्मीदवार शिक्षा पर बात करने से बचते दिखते हैं. स्थानीय निवासी आकाश राज कहते हैं, हर साल सैकड़ों कोचिंग खुलते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों की हालत जस की तस है. यहां बच्चों के लिए न तो स्मार्ट क्लास है, न खेल का मैदान. चुनाव में किसी भी प्रत्याशी ने इस पर कोई ठोस योजना नहीं रखी.

Bihar Chunav: कुम्हरार : शिक्षक और संसाधनों की भारी कमी

कुम्हरार ऐतिहासिक महत्व का इलाका है, लेकिन यहां के सरकारी स्कूलों में शिक्षक और संसाधनों की भारी कमी है. नेहरू नगर की निवासी श्वेता मिश्रा बताती हैं, हमारे इलाके में एक इंटर स्कूल है, जिसमें साइंस लैब तक नहीं है. बच्चे सिर्फ किताबों से पढ़ते हैं, प्रयोग कभी कर ही नहीं पाते. युवाओं का कहना है कि यहां उच्च शिक्षा के अवसर सीमित हैं, जिससे छात्र राजधानी में होते हुए भी बाहर पलायन करने को मजबूर हैं.

Bihar Chunav: पटना सिटी : स्कूलों की इमारतें जर्जर

पटना सिटी यानी पुराना पटना- जहां गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मस्थली और ऐतिहासिक मंदिरों से लेकर घनी आबादी है, पर शिक्षा का ढांचा यहां भी चरमरा गया है. मारुफगंज के निवासी मोहम्मद फैजान कहते हैं, यहां पुराने स्कूलों की इमारतें जर्जर हैं. न प्रयोगशाला है, न डिजिटल क्लासरूम. बच्चे तो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन संसाधन नहीं हैं. महेंद्रू की छात्रा प्रिया भारती कहती हैं, पटना सिटी में पढ़ाई के लिए कई बड़े कॉलेज हैं, लेकिन कोर्स की अधिक व्यवस्था नहीं है. हमें पटना यूनिवर्सिटी तक रोज सफर करना पड़ता है. हर चुनाव में नेता वादा करते हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं होता.अगर शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया, तो अगली पीढ़ी मजबूर होकर पलायन करेगी.

Bihar Chunav: दीघा : विकास की चर्चा में स्कूल गायब

दीघा विधानसभा क्षेत्र में सड़कों और फ्लाइओवरों का विकास तो दिखता है, लेकिन शिक्षा का ढांचा बदहाल है. अशोक नगर के अभिषेक कुमार कहते हैं. मरीन ड्राइव की चमक तो है पर स्कूल अंधेरे में हैं. बच्चे फर्श पर बैठकर पढ़ते हैं. यहां विकास दिखता है, शिक्षा नहीं.

Bihar Chunav: दानापुर और मनेर : युवाओं की उम्मीदें धूमिल

दानापुर और मनेर दोनों ही क्षेत्र शिक्षा के मामले में पिछड़े हैं. दानापुर में कई स्कूल भवन जर्जर हालत में हैं. गुलजारबाग के रजनीश कुमार कहते हैं, राजनीति में शिक्षा सबसे आसान वादा है, लेकिन सबसे मुश्किल प्राथमिकता. नेताओं के भाषणों में यह शब्द ही नहीं आता. वहीं मनेर में कॉलेज की कमी से युवा परेशान हैं. स्थानीय छात्रा पूजा कुमारी कहती हैं, यहां लड़कियों को पढ़ने के लिए पटना या आरा जाना पड़ता है. सबके घर की आर्थिक स्थिति इसकी अनुमति नहीं देती.

Bihar Chunav: मसौढ़ी और फुलवारी : सरकारी स्कूलों में बदहाली, निजी में फीस महंगी

मसौढ़ी और फुलवारी में शिक्षा दो हिस्सों में बंटी दिखती है. गरीबों के बच्चों के लिए बदहाल सरकारी स्कूल और अमीरों के लिए महंगे निजी संस्थान. फुलवारी शरीफ के रहने वाले तौसीफ आलम कहते हैं, सरकारी स्कूलों में शिक्षक समय पर नहीं आते. बच्चों के हाथ में किताबें हैं, लेकिन भविष्य नहीं. मसौढ़ी के ग्रामीण इलाकों में अब भी कई प्राथमिक स्कूलों में एक ही शिक्षक से पूरी कक्षा चलती है.

Bihar Chunav: नौबतपुर : कॉलेज है, लेकिन कोर्स नहीं

नौबतपुर में कॉलेज तो हैं, लेकिन वहां पढ़ाई के हालात खराब हैं. स्थानीय छात्र अमन राज कहते हैं, हमारे कॉलेज में न तो नियमित क्लास होती है, न प्रयोगशाला चलती है. चुनाव में हर बार नेता कॉलेज खोलने की बात करते हैं, लेकिन मौजूदा कॉलेज ही निष्क्रिय हैं.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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