Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अब पूरे जोश और रणनीति के साथ उतरने को तैयार है. महागठबंधन के घटक दलों में सीट बंटवारे की कवायद लगभग पूरी हो चुकी है और अब प्रचार अभियान को रफ्तार देने की बारी है. 28 अक्टूबर को महागठबंधन का घोषणापत्र जारी होगा, जिसके अगले ही दिन राहुल गांधी राज्य में अपनी पहली चुनावी सभा को संबोधित करेंगे.
राहुल गांधी 29 अक्टूबर को बिहार में अपनी पहली चुनावी रैली करेंगे. पार्टी की योजना के मुताबिक, राहुल गांधी कुल 12 चुनावी सभाएं करेंगे, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा 10 रैलियों में हिस्सा लेंगी.
प्रियंका गांधी जल्द करेंगी पूरी रफ्तार से प्रचार
प्रियंका फिलहाल वायनाड के दो दिवसीय दौरे पर हैं, वह बिहार प्रचार अभियान का हिस्सा बनेंगी. कांग्रेस का मानना है कि राहुल और प्रियंका की जोड़ी से युवाओं और महिलाओं के बीच बेहतर संदेश जाएगा और गठबंधन के पक्ष में माहौल बनेगा.
प्रियंका का फोकस मुख्य रूप से महिला मतदाताओं, सामाजिक न्याय और युवा वर्ग पर रहेगा. वह बिहार के उत्तर, मगध और सीमांचल क्षेत्रों की सभाओं में हिस्सा लेंगी. पार्टी चाहती है कि राहुल और प्रियंका की संयुक्त उपस्थिति से महागठबंधन के प्रचार को अधिक ऊर्जा और कवरेज मिले.
घोषणापत्र से तय होगी चुनावी दिशा
28 अक्टूबर को महागठबंधन का घोषणापत्र जारी किया जाएगा. यह घोषणापत्र इस चुनाव में गठबंधन की नीतियों और वादों का आधार बनेगा. कांग्रेस इसे रोजगार, शिक्षा, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दे पर केंद्रित रखना चाहती है. घोषणापत्र जारी होने के ठीक अगले दिन राहुल गांधी की रैली से प्रचार अभियान को औपचारिक रूप से गति मिलेगी.
घोषणापत्र जारी करने के बाद राहुल गांधी की सभा को “प्रचार अभियान का औपचारिक शुभारंभ” माना जा रहा है. कांग्रेस ने पहले चरण के प्रचार के लिए अपने 40 स्टार कैंपेनर्स की सूची जारी की है, जिनमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत, केसी वेणुगोपाल, भूपेश बघेल, अजय माकन और कई दिग्गज शामिल हैं.
टिकट असंतोष को लेकर सक्रिय हुआ आलाकमान
पार्टी में टिकट वितरण को लेकर जो असंतोष उभरा था, उसे शांत करने के लिए आलाकमान ने खुद मैदान संभाला है. संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत और स्क्रीनिंग कमेटी प्रमुख अजय माकन पटना पहुंचे हैं.
शनिवार देर शाम से ये सभी नेता प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लगातार बैठकें कर रहे हैं. कई जिलों के नेताओं ने आरोप लगाया था कि टिकट बंटवारे में स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई है. हाईकमान ने स्पष्ट किया है कि “हर सीट पर स्थानीय समीकरणों और जीतने की क्षमता को प्राथमिकता दी गई है.”
कांग्रेस का फोकस अब आंतरिक एकजुटता पर है. राहुल गांधी प्रचार से पहले संगठन को एक मंच पर लाने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं ताकि मतदाताओं के बीच विभाजन की छवि न बने.
छठ के बाद रफ्तार पकड़ेंगे प्रचार अभियान
कांग्रेस की रणनीति है कि छठ पूजा के बाद प्रचार अभियान को तेज किया जाए, जब जनता का ध्यान पूरी तरह चुनाव पर केंद्रित होगा. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाओं से पहले पार्टी संगठन में एकता का संदेश देने पर जोर दिया जा रहा है.
राहुल गांधी इससे पहले बिहार में “वोटर अधिकार यात्रा” निकाल चुके हैं, जो 110 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी थी. पार्टी अब उसी अभियान से बने जनसंपर्क को चुनावी समर्थन में बदलने की कोशिश में है. कांग्रेस का मानना है कि बिहार में बदलाव का मूड है और अगर संगठनात्मक एकजुटता बरकरार रही, तो वह गठबंधन में निर्णायक भूमिका निभा सकती है.

