Bihar Bhumi: बिहार में भूमि से जुड़े मामलों में गड़बड़ी को दूर करने के लिए राजस्व महा-अभियान 20 सितंबर तक चलेगा. इस दौरान पंचायत और अंचल स्तर पर विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं, ताकि हर रैयत (भूमि मालिक) अपनी समस्या का समाधान करा सके.
विभाग ने यह भी साफ किया है कि अभियान खत्म होने के बाद भी बिहार भूमि पोर्टल पर ऑनलाइन सेवाएं लगातार मिलती रहेंगी.
ऑनलाइन सेवा अभियान के बाद भी जारी
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह के अनुसार, भले ही यह विशेष अभियान 20 सितंबर तक सीमित है, लेकिन इसके बाद भी ऑनलाइन माध्यम से सभी सेवाएं उपलब्ध रहेंगी. रैयत http://biharbhumi.bihar.gov.in/ पोर्टल पर जाकर अपनी समस्या का समाधान कर सकेंगे. परिमार्जन प्लस पोर्टल के जरिये जमाबंदी सुधार और छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करने की सुविधा जारी रहेगी, जबकि उत्तराधिकार नामांतरण और बंटवारा नामांतरण दाखिल-खारिज पोर्टल से किया जा सकेगा.
जय सिंह का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य लोगों को व्यापक स्तर पर जागरूक करना और उन्हें एकमुश्त समाधान देना है. जो लोग समय पर प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाएंगे, वे बाद में भी बिहार भूमि पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर पाएंगे.
विशेष शिविरों से लोगों को राहत
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी क्षेत्र में ऑनलाइन आवेदन या जमाबंदी सुधार में समस्या आ रही है तो पंचायत स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे. 20 सितंबर से पहले इन शिविरों का आयोजन किया जाएगा ताकि ग्रामीण स्तर तक हर रैयत को अपनी जमीन से जुड़ी परेशानियों का समाधान मिल सके.
गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह और सचिव जय सिंह ने सभी जिलों के अपर समाहर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। बैठक में तय किया गया कि प्रत्येक शिविर में कम से कम पाँच लोगों को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से प्रतिनियुक्त किया जाएगा. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी नागरिक को आवेदन प्रक्रिया में कोई कठिनाई न हो.
इसके अलावा शिविर प्रभारी और कर्मचारी सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक डटे रहेंगे. इस व्यवस्था से ग्रामीणों को सुविधा होगी और उन्हें अपने आवेदन में बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
चार मुख्य सेवाओं पर फोकस
राजस्व महाअभियान मुख्य रूप से चार सेवाओं पर केंद्रित है. इनमें जमाबंदी में त्रुटि सुधार, छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करना, उत्तराधिकार नामांतरण और बंटवारा नामांतरण शामिल है. इन चारों सेवाओं को लेकर लोग लंबे समय से दिक्कतें झेलते रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में लोगों को नामांतरण और दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में देरी का सामना करना पड़ता रहा है. इस अभियान से इन जटिलताओं को कम करने की कोशिश की जा रही है.
भूमि से जुड़े विवाद बिहार में लंबे समय से राजनीति और समाज का हिस्सा रहे हैं. सरकार का मानना है कि डिजिटल माध्यम से जमीन से संबंधित सेवाओं को सरल बनाकर इस परेशानी को कम किया जा सकता है. परिमार्जन प्लस और दाखिल-खारिज पोर्टल इसी प्रयास का हिस्सा हैं.
हालांकि चुनौती यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी जानकारी की कमी और इंटरनेट सेवाओं की सीमित उपलब्धता के कारण कई बार रैयत आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते. ऐसे में पंचायत स्तर पर शिविर लगाना सरकार का व्यावहारिक कदम माना जा रहा है.
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