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मखाना व चाय की प्रोसेसिंग में 350 करोड़ होगा निवेश, सात हजार को मिलेगा काम

राज्य सरकार मखाना, फल-सब्जियां, शहद, आयुर्वेदिक और सुगंधित पौधे, मक्का, चाय और बीज की प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 350 करोड़ रुपये निवेश करेगी.

मनोज कुमार, पटना

राज्य सरकार मखाना, फल-सब्जियां, शहद, आयुर्वेदिक और सुगंधित पौधे, मक्का, चाय और बीज की प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 350 करोड़ रुपये निवेश करेगी. राज्यभर में लगभग 270 प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जायेगी. इससे बिहार के लगभग सात हजार 465 लोगों को रोजगार मिलेगा. लाभुकों को प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार सब्सिडी देगी. 350 करोड़ में 70 करोड़ रुपये सरकार सब्सिडी के रूप में लाभुकों को देगी. 25 लाख से पांच करोड़ रुपये तक प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए दिये जायेंगे. बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत ये योजना चलायी जायेगी. कृषि विभाग के कृषि निदेशालय की ओर से योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा.

50 फीसदी कच्चा माल बिहार से लेना होगा

प्रोसेसिंग यूनिट लगाने वालों को मखाना, फल-सब्जियां, शहद, आयुर्वेदिक और सुगंधित पौधे, मक्का, चाय और बीज में स 50 फीसदी कच्चा माल बिहार से लेना होगा. 10 लाख से 25 लाख तक की परियोजना में 25 फीसदी अनुदान मिलेगा. 25 लाख से पांच करोड़ रुपये तक के व्यक्तिगत निवेश में 20 फीसदी अनुदान तथा किसान उत्पादक कंपनियों को 25 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी.

इन उत्पादों को भी प्रोत्साहन नीति में लाने का प्रस्ताव

कृषि विभाग ने इन उत्पादों के अलाव दूसरे उत्पादों को भी कृषि प्रोत्साहन नीति में लाने का प्रस्ताव तैयार किया है. पानी फल, कृषि उपकरण और औजार, फसल अवशेष आधारित उत्पाद, जूट, मोटे अनाज, तिलकुट, चूड़ा, मूढ़ी और दलिया को भी बिहार कृषि प्रोत्साहन नीति में लाने का प्रस्ताव तैयार किया है.

किसान व उद्यमियों से अधिक क्षेत्रों में विस्तार के आये थे प्रस्ताव

कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि किसानों और उद्यमियों से इस नीति में अधिक क्षेत्रों को जोड़ने के सुझाव आ रहे थे. इसमें छोटी परियोजनाओं को भी शामिल करने के सुझाव आ रहे थेे. इस कारण बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति का विस्तार 31 मार्च 2028 कर दिया गया है. साथ ही इसमें नये उत्पादों और छोटी इकाइयों को भी शामिल कर दिया गया है.

मुख्यमंत्री ने कोविड के बाद शुरू की थी पहल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोविड के बाद कृषि उत्पादों की प्रसंस्करण इकाई में निवेश की शुरूआत की थी. तब उद्योग विभाग की ओर से ब्याज पर सहयोग दिया जा रहा था. पूंजी के लिए सब्सिडी नहीं दी जा रही थी. इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दी गयी.

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