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Bhagwat: पटना के लोग जिंदादिल, मेजबानी व ऊर्जा बेजोड़, Actor Arshad बोले- लिट्टी चोखा का फैन बन गया हूं..

Bhagwat: मुन्नाभाई के सर्किट यानी अरशद वारसी (Arshad Warsi) अपनी फिल्म ‘भागवत चैप्टर 1 राक्षस’ के प्रमोशन के लिए पटना पहुंचे. उन्होंने कहा कि पटना के लोगों की मेजबानी और ऊर्जा बेजोड़ है और वे लिट्टी चोखा के फैन बन गए हैं. पढ़ें बातचीत के अंश.


Bhagwat: मुन्नाभाई के सर्किट के नाम से प्रसिद्ध अभिनेता अरशद वारसी (Arshad Warsi) और निर्देशक अक्षय शेरे (Akshay Shere) अपनी आगामी क्राइम थ्रिलर फिल्म भागवत चैप्टर 1 राक्षस (Bhagwat Chapter 1: Rakshas) के प्रमोशन के सिलसिले में पटना पहुंचे. दोनों ने फिल्म से जुड़े रोचक किस्से साझा किए. अभिनेता अरशद वारसी ने कहा कि ‘भागवत’ सत्य घटनाओं पर आधारित एक ऐसी कथा है जो सही और गलत, सत्य और भ्रम के बीच की बारीक लकीर को टटोलती है. यह रोमांचक फिल्म 17 अक्टूबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है. पढ़ें हिमांशु देव के साथ हुई बातचीत के अंश.

अभिनेता अरशद वारसी से बातचीत

सवाल: पटना में आपका यह दौरा कैसा रहा? यहां की संस्कृति और खान-पान का अनुभव कैसा रहा?
– पटना आकर अद्भुत अनुभव मिला. यहां के लोगों की मेजबानी और ऊर्जा सच में बेजोड़ है. मुंबई के ट्रैफिक की तुलना में यहां की ट्रैफिक भी ठीक लगी, यह एक राहत थी. सड़कों पर खाने के स्टॉल देखे, लोग मजे से बैठ कर खा रहे थे. मैंने सोचा. यार, बड़े मस्त लोग हैं, जिंदगी अच्छी जी रहे हैं. मैंने भी लिट्टी चोखा का स्वाद लिया. अब तो मैं भी इसका फैन बन गया हूं.

सवाल: फिल्म का कॉन्सेप्ट क्या है, और यह आपकी पिछली फिल्मों से कैसे अलग है, विशेष रूप से आपके गंभीर किरदार के संदर्भ में?
– यह फिल्म एक रियल स्टोरी पर इंस्पायर्ड है. इसका सबसे बड़ा पहलू यह है कि यह वहां खत्म नहीं होती जहां पर आपने क्रिमिनल को पकड़ लिया. अक्सर मैं सोचता था कि क्रिमिनल पकड़ा गया, मगर क्या उसका क्राइम साबित हुआ? भागवत में यही खास है. आप साबित करके दिखाओ कि क्रिमिनल ने जो क्राइम किया, वह साबित हो सकता है. क्योंकि यह क्रिमिनल इतना शातिर है, उसका क्राइम इतना क्लीन है कि इसे साबित करना लगभग नामुमकिन है. यह फिल्म का एक पूरा नया चैप्टर है. मैंने लास्ट ऐसी गंभीर फिल्म शहर की थी, जिसे क्रिटिकली बहुत पसंद किया गया था, और अब यह कर रहा हूं.

सवाल: बिहार के कलाकारों को आप कैसे देखते हैं और नए कलाकारों के लिए आपका क्या संदेश है?
– बिहार के कलाकार मेहनती और बहुत अच्छे एक्टर हैं. फिल्म इंडस्ट्री में केवल काबिलियत और टैलेंट ही चलता है. अगर आपमें टैलेंट है, तो आप कहीं से भी आए हों, आपको कोई रोक नहीं सकता. हालांकि, एक आउटसाइडर को थोड़ा वक्त लगता है और शुरुआत में थोड़ा मुश्किल होता है, जबकि एक सेलिब्रिटी के बच्चे को थोड़ी आसानी होती है. लेकिन अगर आपमें काबिलियत नहीं है, तो जनता आपको पसंद नहीं करेगी. जनता को कोई परवाह नहीं कि आप किसकी औलाद हैं.

सवाल: फिल्म की शूटिंग के दौरान आप एक असली जेल में गए थे. वह अनुभव कैसा था, खासकर डेथ रो के कैदियों से मिलना?
– हां हम लोग एक असली जेल में गए थे. वहां जो डेथ रो पर हैं, उनसे मेरी मुलाकात हुई थी. बाप रे.., वह बहुत अजीब अनुभव था. अजीब बात यह थी कि वह भी खुश था. वह आराम से बैठा था, कविताएं लिख रहा था और हमारे साथ गप्पे मार रहा था. हमें पता है कि उसे फांसी होने वाली है, और उसे भी पता है कि वह कब मरेगा. यह बहुत अजीब फीलिंग थी. समझ नहीं आ रहा था कि रिएक्ट कैसे करें, इस बंदे के साथ बातें कैसे करें. मैंने ऐसा एक्सपीरियंस पहले कभी नहीं लिया.

सवाल: आप खुद खुशमिजाज रहते हैं. इस बारे में आपका क्या मंत्र है और आप लोगों को क्या सलाह देंगे कि वह कैसे खुश रह सकें?
– मेरे हिसाब से, आपके काबू में कुछ नहीं है, यह लाइफ का फैक्ट है. तो क्यों कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हो? हम अक्सर वहीं दुखी होते हैं जहां हम वह करना चाहते हैं जो पॉसिबल नहीं है. मेरे खयाल से छोड़ देना चाहिए. जियो, जिंदगी है मजे से. ज्यादा सीरियस न होना ही मेरे हिसाब से सबसे बड़ी सलाह है.

ये भी पढ़ें: भोजपुरी में जातिगत भेद गलत, बिहार को पीछे ले जा रहे हैं! Kalpana Patowary का तीखा सवाल, Bhikhari Thakur के कार्यक्रमों का बजट कम क्यों?

निर्देशक अक्षय शेरे से बातचीत

सवाल: बिहार में कहानियों का भंडार है और यहां फिल्म निर्माण का दौर भी बढ़ा है. बिहार पर केंद्रित फिल्म की शूटिंग यहां होते देखेंगे?
– हमने अपनी फिल्म में चैप्टर वन लिखा है, शायद चैप्टर टू बिहार पर आधारित हो. अगर कोई अच्छी कहानी मिले, इंटरेस्टिंग हो, तो जरूर बनाएंगे. साथ ही, आज के समय में रियलिस्टिक होना पड़ता है. अगर कहानी बिहार की है, तो शूटिंग बिहार में ही होगी, क्योंकि अब लोग छोटी-छोटी डीटेल पर ध्यान देते हैं.

सवाल: फिल्म में भागवत नाम क्यों चुना गया है, क्या इसका कोई धार्मिक संदर्भ है?
– इस फिल्म में बिल्कुल भी माइथोलॉजी नहीं है. यह रियल लाइफ की कहानी है. भागवत सिर्फ एक किरदार का नाम है. हर तेंदुलकर क्रिकेटर नहीं होता. यह सिर्फ एक नाम है. फिल्म असली भावनाओं और वास्तविक संघर्षों से निकली कहानी है, जो हमारे समाज की सच्चाई और नैतिकता की परतें दिखाती है. हमने कहानी को पूरी सच्चाई के साथ पर्दे पर उतारा है.

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