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हरनौत बस बर्निंग कांड : …फिर निकल पड़े हादसों के सफर पर

नहीं सुधरे हालात. हरनौत की घटना के बाद भी बस संचालकों और प्रशासन ने नहीं ली सीख मीठापुर बस स्टैंड में 99 फीसदी बसें मानकों को पूरा करने में फेल पटना : हरनौत में बाबा रथ की बस में आग लगने से हुई यात्रियों की मौत की घटना के बाद भी बस संचालकों व कर्मियों […]

नहीं सुधरे हालात. हरनौत की घटना के बाद भी बस संचालकों और प्रशासन ने नहीं ली सीख
मीठापुर बस स्टैंड में 99 फीसदी बसें मानकों को पूरा करने में फेल
पटना : हरनौत में बाबा रथ की बस में आग लगने से हुई यात्रियों की मौत की घटना के बाद भी बस संचालकों व कर्मियों ने कोई सबक नहीं लिया है. पैसे कमाने की होड़ में सुरक्षा मानकों की अनदेखी बसों में शुक्रवार को भी जारी थी. एक-दो बसों ने अपने इमरजेंसी डोर को खोल वहां लगे शीशे को हटा दिया, लेकिन यह कहानी मात्र एक-दो बसों की ही थी. मीठापुर बस स्टैंड में मौजूद 99 फीसदी बसों में अभी भी इमरजेंसी गेट को बंद कर डबल सीट लगी थी.
प्रभात खबर की टीम ने शुक्रवार को एक बार फिर से मीठापुर बस स्टैंड में बसों में सुरक्षा मानकों की पड़ताल की. लेकिन किसी बस में सुरक्षा को लेकर कोई भी पर्याप्त इंतजाम नहीं दिखे. हरनौत की घटना से सबक लेकर बस संचालकों को कम से कम अपनी बसों में फायर उपकरण रखना चाहिए था, लेकिन दो दर्जन से अधिक बसों के मुआयना में किसी बस में फायर उपकरण नहीं मिले.
सिटी बसों में ठूंसे जाते हैं सीट से अधिक यात्री कंडम बसों को भी मिल जाता है फिटनेस
पटना : टूटे शीशे, लटके लोग, बैठने की जगह नहीं और अंदर में जानवरों की तरह ठूंसे गये यात्री. ये हाल है राजधानी की प्रमुख सड़कों पर दौड़नेवाली प्राइवेट सिटी बसों का. यह बसें हर दिन मौत का रेस लगाती है, जिसमें अधिकारियों की भी सहमति है. कई कंडम बसें दिन-रात डीएम आवास से होकर गुजरती हैं. लेकिन, उस पर अंकुश नहीं लगा पाते, क्योंकि इन बसों को डीटीओ ऑफिस से फिटनेस सर्टिफिकेट मिला रहता है और उनके सारे पेपर अपडेट होते हैं. गांधी मैदान, बोरिंग रोड, स्टेशन रोड, बेली रोड व अशोक राजपथ जैसी प्रमुख सड़कों पर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाती बेतहाशा तेज रफ्तार में सिटी बसें दौड़ती है, जो कभी भी कहीं भी पलट सकती है. क्योंकि, जब गाड़ी चालक ब्रेक मारता है, तो गाड़ी कुछ दूर जाकर रुकती है.
फिटनेस देते समय बस में यह रहना जरूरी
एमवीआइ फिटनेस देते वक्त बस का टायर, ब्रेक, हॉर्न, फायर, गेयर, लाइट, बॉडी की बारीकी से जांच की जाती है. लेकिन, यहां सड़कों पर चलनेवाली गाड़ियों की अगर जांच ठीक से की जाये, तो गाड़ियां मानक को पूरा नहीं करेगी.
कंडम बसों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाता है, लेकिन पेपर अप-टू-डेट रहने के कारण ऐसा नहीं पाता है. ऐसी गाड़ियों को फिटनेस देनेवाले अधिकारियों को अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए.
अजय कुमार, डीटीओ, पटना


ये हैं मानक
छोटी बसों में 17 लोगों के बैठने और बड़ी बसों में 53 यात्रियों के बैठने की जगह होती है. लेकिन, बसों में ड्राइवर मानक को तोड़ मनचाहे यात्रियों को बैठाते हैं.
बस की हाइट जमीन से अधिकतम 12 फुट होनी चाहिए.
हर बस में दो गेट होने अनिवार्य है, लेकिन कमाने के चक्कर में एक गेट को बंद रखते हैं.
बस में फायर सिस्टम, दुर्घटना को लेकर फर्स्ट एड बॉक्स
सामान रखने के लिए सीट के ऊपर व डिक्की अनिवार्य है.
बस में सीट से अधिक व्यक्ति नहीं बैठे और बस की छत पर बैठाने को लेकर जुर्माने का प्रावधान है.
बस ड्राइवर को भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है.
बस चलाने को लेकर ड्राइवर के पास मेडिकल फिटनेस होना चाहिए.
एसी बसों की स्थिति और भी है खतरनाक
एसी बसों की स्थिति और भी खतरनाक है. एसी बसों की बनावट इस प्रकार है कि उसमें लोगों को बैठने व साेने के लिए गद्देदार सीट तो जरूर है, लेकिन इमरजेंसी गेट इनमें भी नहीं है. अगर किसी प्रकार की अनहोनी हो जाये तो फिर बस के अंदर से बाहर निकलने के लिए समस्या विकट हो सकती है. इन एसी बसों की खिड़की का शीशा ही फोड़ कर निकला जा सकता है अगर गाड़ी के अगले हिस्से में आग लगी हो तो इस रास्ते भी निकलना आसान नहीं है, यह गेट जमीन से छह-सात फुट ऊपर है. युवक तो निकल सकते हैं, लेकिन महिलाएं व बच्चे तो कतई नहीं. खिड़की का शीशा भी काफी मजबूत है, उसे तोड़ना भी आसान काम नहीं है.
एसी बस में अगर शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग जाये तो फिर इन बसों से बाहर निकलना और भी मुश्किल है. हरनौत की घटना में भी यही हुआ. गेट के पास के फ्यूज बॉक्स में आग लगने से और इमरजेंसी गेट लॉक होने से निकलने के सारे रास्ते बंद हो गए. यह बात सामने आ चुकी है कि मीठापुर बस स्टैंड में लगे जितने भी बाबा रथ के बस थे, उन सभी के इमरजेंसी डोर परमानेंट लॉक किये हुए थे. उसे खोलना आसान नहीं था.
यात्री भी सुधरें
कम पैसे में यात्रा के लोभ में खेल रहे अपनी जान से
शुक्रवार को भी मीठपुर बस स्टैंड में यह नजारा अासानी से देखने को मिला कि भीषण गर्मी में भी बस कर्मी लोगों को छत पर बैठा कर पैसे वसूल रहे हैं. इसके साथ ही बस के अंदर भी सीट की क्षमता से अधिक लोगों को जगह दी गयी है. पड़ताल करने पर सामने आया कि बस की छत पर बैठने पर आधे पैसे देने पड़ते हैं. लोग भी बैठ रहे हैं और बस कर्मी भी अधिक कमाई के लोभ में बैठने की इजाजत दे रहे हैं. लगभग सभी बसों में आेवरलोडिंग की स्थिति दिखी. बसों की छतों पर बैठना एक तरह से मौत को दावत देना है. कई जगहों पर बिजली के तार काफी नीचे होते हैं, और अगर एक सटा तो फिर पूरे बस में करेंट दौड़ सकती है. लोगों की मानें तो सबकुछ देखते हुए भी प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.
फॉरेंसिक टीम पहुंची हरनौत, जांच शुरू
बिहारशरीफ : बस अग्निकांड की जांच के लिए शुक्रवार को विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की टीम पटना से हरनौत पहुंची. टीम में शामिल विशेषज्ञों ने घटनास्थल से कई अहम साक्ष्य जमा किये. विशेषज्ञों द्वारा बस के भीतर से यात्रियों के जले कपड़े, कार्बाइड का राख व बस के इंजन के समीप से कई तरह के नमूने लिये.
जांच टीम इस मामले में यह जानने का प्रयास कर रही है कि क्या बस में आग लगने का मुख्य कारण कार्बाइड ही था या फिर कोई और ज्वलनशील पदार्थ बस के अंदर रखा था. टीम के सदस्यों द्वारा जांच के पूर्व पूरे घटनास्थल को लाल रिबन से घेर दिया गया था.
नालंदा के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने बताया है कि पुलिस का हालिया अनुसंधान आग लगने का मुख्य कारण कार्बाइड को ही मान कर चल रहा है. जांच से पूर्व टीम के विशेषज्ञों द्वारा बस में आग लगने के सभी कारणों की जानकारी पुलिस के वरीय अधिकारियों से ली है. टीम के सदस्यों ने बताया है कि जिस तरह से आग ने अचानक बस को अपने चपेटे में लिया है, वह किसी अति ज्वलनशील पदार्थ के बस में होने का बोध कराता है. अगलगी के वक्त बस की छत पर गैस सिलिंडर व कॉपी-किताब के भी होने की जानकारी दी गयी है. विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की टीम ने अपने हालिया अनुसंधान में कार्बाइड को हीआग लगने का मुख्य कारण माना है. एसपी ने बताया कि जांच टीम के एक्सपर्ट सभी नमूनों को एकत्रित अपने साथ पटना लेकर गयी हैं.
पिंटू की बात मान लेते तो शायद टल सकता था हादसा
शेखपुरा. हरनौत बस हादसे में जिंदा बच निकले डिहरी पैन गांव निवासी पिंटू ने पत्रकारों को बताया कि बाबा रथ के चालक व कंडक्टर ने चंद रुपयों के लालच में कई लोगों की जान ले ली और दर्जन भर लोगों की जिंदगी दांव पर लगा दी. पिंटू ने कहा कि पटना से खुलने के बाद जब बस फोरलेन पर चढ़ी तो टोल टैक्स के आगे बस पर 10 बोरा कार्बाइड चढ़ा दिया गया. हालांकि जब पिंटू ने विरोध किया, तो कंडक्टर ने उसे डांटकर बैठा दिया और हरनौत के पहले ही जलने की बू आने लगी, तो लोगों ने चालक का ध्यान इस और आकर्षित करवाया. लेकिन चालक ने अनदेखा कर दिया. पिंटू ने किसी तरह से जान बचायी.
एक महिला, दो बच्चे समेत चार का नहीं मिला सुराग
शेखपुरा़ : इस घटना में अरियरी प्रखंड के ही नवीनगर ककराड गांव निवासी मो. मंगली, रोजी खातून समेत दो बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. लापता लोगों के परिजन व नवीनगर ककराड़ गांव निवासी मो. अशफाक ने बताया कि घटना के दिन पटना में रह रहे रिश्तेदार ने गुरुवार को उसी बाबा रथ यात्री बस पर उक्त लोगों को सवार कर शेखपुरा की ओर रवाना किया था. लेकिन इसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. पीड़ित ने बताया कि उनकी तलाश को लेकर शेखपुरा के साथ-साथ बिहारशरीफ व पटना के पीएमसीएच में भी काफी छानबीन की गयी, लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आ सका. परिजन उनकी तलाश में लगे हुए हैं.
चीत्कार के बीच मृतकों का अंतिम संस्कार
मृतकों के परिजनों ने शुक्रवार को शवों को लेकर अंतिम संस्कार कर दिया. मौत की हुई पुष्टि होने के बाद तीन गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. वही आश्रितों का चीत्कार थमने का नाम नहीं ले रहा है.
पटना से चल कर यात्री से भरे बाबा रथ बस में अचानक आग लगने की घटना ने जहां लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए, वहीं इस बड़े हादसे में शेखपुरा के तीन लोग मौत की नींद सो गये. इस घटना में मृतकों में पैन डिहरी गांव निवासी भोला पासवान (50), अरियरी प्रखंड के अरुआरा गांव निवासी सुबोध यादव की पत्नी मालती देवी, दतुआरा गांव निवासी सरजू यादव का पुत्र जयराम यादव शामिल है.
कैसे बन गयी बर्निंग बस
बस में लगी आग को लेकर जांच में जुटे अधिकारी
बस में लगी आग की जांच के लिए डीआइजी राजेश कुमार फॉरेंसिक टीम के साथ शुक्रवार सुबह पहुंचे. टीम के सदस्यों ने जली हुई बस के अलग-अलग हिस्सों से कई सेंपल लिये. खास कर इंजन के पास जहां से आग लगी थी, थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि जांच के बाद ही यह पता लग पायेगा कि इंजन के पास कौन सा केमिकल बोरे में रखा गया था.
काश! ऐसा नहीं होता
गैस सिलिंडर बना आग बुझाने में देरी का कारण
बस में आग लगते ही स्थानीय लोग तत्परता दिखाते हुए आग बुझाने में जुट गये, जिसको जो बन पड़ा बरतन लेकर दौड़ पड़े और बस पर पानी डालने लगे. उस समय बस के ऊपर गैस सिलिंडर रखा हुआ था, जिसे देख लोगों के मन में सिलिंडर फटने का भी डर था. हिम्मत वाले स्थानीय लोग ही आग बुझा रहे थे, जिसके चलते कभी-कभी भीड़ अफरा-तफरी कर एक-दूसरे को धक्का देते हुए भागते नजर आये.
पटना टॉल टैक्स से पहले चढ़ाया था कार्बाइड
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पटना टॉल टैक्स के पहले सात-आठ छोटे-छोटे बोरे में कुछ सामान
बस में चढ़ाया गया था. हरनौत पहुंचते ही अचानक बोरे में आग लग गयी, जिससे बस में अफरातफरी मच गयी. गेट के पास वाले लोग कूद गये. बोरे से उठ रहे धुआं से लोगों को सांस लेने में दिक्कतें होने लगी. उस दौरान खिड़की को पैर से तोड़ कर बाहर कूद कर जान बचाया.
बस में सुरक्षा मानक कमजोर: पहले होते थे चार गेट, अब िसर्फ एक ही
इस घटना के बाद बस निर्माता कंपनी के सुरक्षा मानकों पर भी सवालिया निशान लग गया है. पहले बस में चार गेट हुआ करते थे. एक चालक दूसरा आगे का बायें तरफ में गेट, तीसरा पीछे दाहिने साइड में इमरजेंसी गेट और चौथा पीछे बायें साइड में. अब सिर्फ बस में दो ही गेट है.
एक ड्राइवर का दूसरा बायीं तरफ गेट, जिससे विषम परिस्थिति में यात्रियों का बाहर निकलना मुश्किल है. वहीं अब बस का अधिकांश बॉडी फाइबर, फोम एवं खखसा की होती है, जो आग पकड़ने में तेज है. हरनौत बाजार जैसे अतिव्यस्ततम माने जाने वाले जगहों में सुरक्षा मानकों की कमी है, जहां आये दिन बाजार में जाम की समस्या बनी रहती है.
आक्रोशितों पर कार्रवाई: लोगों ने पुलिस पर निकाला गुस्सा
बस में लगी आग को बुझाने के दौरान स्थानीय लोग कम ही दिखे. जबकि पुलिस पर पथराव करते अधिक दिखे. कुछ उपद्रवियों के कारण ही मृतकों की संख्या बढ़ी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एक दो लोगों को और बचाया जा सकता था. उपद्रवी ने न बचाने में मदद की और न ही बचाने वाले पुलिस कर्मी को आने दे रहे थे. अगर ये लोग हंगामा करने की जगह याित्रयों की मदद करते तो कुछ और जानें बचायीं जा सकती थी.
छह नामजद समेत 100 पर प्राथमिकी
घटना के दौरान पुलिस पर पथराव करने वाले उपद्रवियों पर पुलिस नकेल कसने में जुट गयी है. थानाध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि पथराव में शामिल छह नामजद समेत सौ अज्ञात उपद्रवियों पर प्राथमिकी दर्ज की. बस में आग लगने की सूचना पर घटनास्थल पर पहुंची पुलिस कर्मियों पर उपद्रवियों ने चप्पल, जूता, पत्थर, डंडा से पथराव किया था, जिससे कई स्थानीय लोग सहित पुलिस कर्मी चोटिल हो गये थे.
हरनौत. गुरुवार को बस में लगी आग की घटना को लेकर सीओ उमेश कुमार ने स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. प्राथमिकी के अनुसार 25 मई को बाबा रथ बीआर 21 एल 6221 को शाम पांच बजकर पैंतालीस मिनट पर थाना मोड़ पहुंचते ही इंजन के पास आग लग गयी. जिसमें सात लोगों का शव बरामद हुआ है. वहीं घटना के दौरान आठ लोग घायल हुए हैं.
बस ड्राइवर, खलासी सहित बिहारशरीफ थाना के मुरौरा निवासी बस मालिक रणधीर कुमार पर संलिप्तता की बात कही गयी है. एफआईआर में कहा गया है कि पटना से आने के क्रम में संदेहास्पद सामान छुपाकर लोड किया गया था. प्रतीत होता है कि बस से विस्फोटक ज्वलनशील पदार्थ छुपाकर लाया जा रहा था.
शेखपुरा. बस हादसे में अरियरी प्रखंड के अरुआरा गांव निवासी मालती देवी अपने पुत्री फोटो कुमारी का इलाज करवाने अपने सगे भाई व दतुआरा गांव निवासी जयराम यादव एवं पुत्र राजेश के साथ पटना गयी थी. राजेश ने बताया कि पटना से चलने के बाद रास्ते में लगभग 15 बोरा रखा गया. जिससे बस कंडक्टर की मदद से बस में यात्री सीट के नीचे रखवा दिया गया. हालांकि इस दौरान राजेश के अलावे अन्य यात्रियों ने उस बोरे में रखे सामान से बदबू आने की बात कह कर विरोध भी किया.
अगलगी की घटना में पहले बोरे से बड़ी तेजी से धुआं निकलने लगा. आग को देखकर पीछे की ओर सीट पर बैठा राजेश ने हिम्मत दिखाते हुए निकास द्वार की ओर बढ़ा और साथ में अपनी बहन को भी लेकर निकला. इस घटना में राजेश का पैर बुरी तरह झुलस गया. लेकिन बहन भी आग की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गई.

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