पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के स्थापना दिवस के अवसर भोजनावकाश के बाद के विधानमंडल और संसद के सत्र के दौरान सदस्यों की कम संख्या पर अप्रसन्नता व्यक्त की और सदस्यों से अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन में अधिक सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया है. बिहार विधानसभा के स्थापना दिवस के अवसर विधानसभा के विस्तारीकृत भवन परिसर में आज आयोजित एक समारोह का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने भोजनावकाश के बाद के विधान मंडलों और संसद के सत्र के दौरान सदस्यों की कम संख्या पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए विधायकों और बिहार विधान परिषद सदस्यों से अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन में अधिक सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया है.
सदस्यों की भागीदारी जरूरी
उन्होंने कहा कि शून्यकाल और प्रश्नकाल में सामान्यत: सभी सदस्यों की जबर्दस्त भागीदारी रहती है, उसके बाद भोजनावकाश होता है और उसके बाद धीरे-धीरे सदस्यों की संख्या में कमी होने लगती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा सदस्य के रुप में और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अवसर मिला है. जब रेल बजट होता था तो पूरी रात बजट पर चर्चा चलती थी. उन्होंने कहा कि लोकसभा में कोरम के लिये दस प्रतिशत सदस्य चाहिए वह भी भोजन काल के बाद नहीं दिखता.
सदन सही ढंग से चलना चाहिए-सीएम
नीतीश ने कहा कि लोकसभा सदस्य बनते ही उन्हें बात कहने का मौका मिला. कई सदस्य पांच साल गुजारने के बाद भी सदन में कभी नहीं बोलते लेकिन उनमें कुछ खासियत होती थी तो उनसे बैठकर बात करते थे. संख्या कम हो या अधिक सदन सही ढंग से चलनी चाहिए. किसी भी मसले पर चर्चा से ही रास्ता निकल सकता है. मूल बात की जानकारी भी सदस्यों को होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा एवं बिहार विधान परिषद में हमेशा कोरम बनता है. संसद में तो बिना कोरम के भी कार्यवाही चलती है.
नयी पीढ़ी को संसदीय कार्य की जानकारी मिलती है-नीतीश
नीतीश ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को अच्छी पहल बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से पहचान बनती है और नई पीढ़ी को संसदीय कार्यों के बारे में जानकारी मिलती है. उन्होंने कहा कि नई पीढी को संसदीय कार्यों, लोकतंत्र अपनी संस्कृति एवं इतिहास के बारे में जरूर बताया जाना चाहिए ताकि उनका व्यक्तित्व बेहतर बन सके और दुनिया में जो भारत की अलग पहचान है वह कायम रह सके.
23 फरवरी से शुरू होगा बजट सत्र
नीतीश ने कहा कि इसके आयोजन के कुछ दिनों के बाद बजट सत्र, आगामी 23 फरवरी से शुरू होगा. इससे माहौल बनता है. उन्होंने कहा कि यह सिलसिला चलता रहना चाहिए और इसके साथ विधानमंडल के सदस्यों के लिए उन्मुखीकरण का कार्य होना चाहिए. नीतीश ने बिहार विधानमंडल के सदस्यों से कहा कि जब इस तरह का कोई कार्यक्रम होता है तो इन्हें विधानसभा एवं विधान परिषद की कार्यवाही में जरूर हिस्सा लेना चाहिए.
सेंट्रल हॉल की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने बिहार विधानसभा के विस्तारीकृत भवन में सेंट्रल हॉल का निर्माण किये जाने की चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा एवं विधान परिषद में जगह की बहुत कमी थी. लॉबी जो सतापक्ष और विपक्ष दोनों के लिये होती है, जगह की कमी थी, कामचलाऊ व्यवस्था में काम चल रहा था. इसमें सेंट्रल हॉल का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही के बाद बैठने की जगह नहीं थी. दिल्ली के सेंट्रल हॉल की तर्ज पर यहां बैठने की व्यवस्था की गयी है.नीतीश ने दिल्ली के सेन्ट्रल हॉल की चर्चा करते हुए कहा कि यह एक पारदर्शी जगह है. वहां कोई किसी से बात नहीं छिपाता है, सचमुच वह अच्छी जगह है. मैं समझता हूं कि पारदर्शिता यहां भी रहेगी लोकतंत्र में यह जरूरी भी है.