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लालू-नीतीश ने दी श्रद्धांजलि, कोनहारा घाट पर अंतिम संस्कार आज

पटना : पूर्व सांसद किशोरी सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को कोनहारा घाट पर होगा. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा. पटना में एसकेपुरी पार्क में पूर्व मुख्यमंत्री स्व सत्येंद्र नारायण सिंह की मूर्ति के पास ही स्व किशोरी सिन्हा की भी मूर्ति स्थापित की जायेगी. निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर लोगों […]

पटना : पूर्व सांसद किशोरी सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को कोनहारा घाट पर होगा. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा. पटना में एसकेपुरी पार्क में पूर्व मुख्यमंत्री स्व सत्येंद्र नारायण सिंह की मूर्ति के पास ही स्व किशोरी सिन्हा की भी मूर्ति स्थापित की जायेगी. निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर रखा गया था.
स्व सिन्हा के पुत्र व पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार मंगलवार को ही दिल्ली से दोपहर पटना पहुंचे. उनका आवासीय परिसर पूरी तरह से शोक में डूबा हुआ था. दोपहर में पूर्व सांसद व निकट संबंधी एनके सिंह पहुंचे और श्रद्धा सुमन अर्पित की. उनके आवास पर पहुंच सुबह से ही निकट संबंधियों, राजनीतिक नेताओं और शुभचिंतकों का आना जारी रहा जो देर रात तक जारी रहा. पटना पहुंचे उनके पुत्र निखिल कुमार ने कहा कि छोटे साहेब के बाद अब उनको बबुआ जी कहनेवाला कोई नहीं रहा.औरंगाबाद की यात्रा टाल सीएम आये निखिल बाबू के घर, किशोरी सिन्हा को दी श्रद्धांजलि मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व सांसद किशोरी सिन्हा के बोरिंग रोड स्थित आवास जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना की. मुख्यमंत्री ने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी. बाद में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि किशोरी सिन्हा के निधन से वे मर्माहत हैं. उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि थी और उनका स्नेह हमेशा मिला.
हम सब उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा और साथ ही पटना में पूर्व मुख्यमंत्री स्व सत्येंद्र नारायण सिंह की मूर्ति के पास स्व किशोरी सिन्हा की भी मूर्ति स्थापित की जायेगी. औरंगाबाद में कल होने वाली निश्चय यात्रा के संदर्भ में मुख्यमंत्री बताया कि किशोरी सिन्हा जी के निधन के कारण बुधवार को औरंगाबाद में आयोजित होने वाली यात्रा स्थगित कर दी गयी है. औरंगाबाद में निश्चय यात्रा मगध प्रमंडल के अन्य जिलों के साथ बाद में आयोजित की जायेगी.
राजद : राजद नेताओं ने भी स्व सिन्हा के निधन पर अपनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. इसमें प्रदेश अध्यक्ष डाॅ रामचंद्र पूर्वे वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, विधायक मुंद्रिका सिंह यादव शामिल थे.
कांग्रेस : पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने पूर्व सांसद किशोरी सिन्हा की पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सहाय ने कहा कि उनका जाना उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है.प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने भी किशोरी सिन्हा के आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किया. राकेश कुमार पप्पू ने भी गहरा शोक प्रकट किया है. इसके अलावा पूर्व सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह, विश्वमोहन शर्मा, अजय कुमार चौधरी, अरशद अब्बास, सत्येंद्र कुमार सिंह, संतोष कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार निराला, श्रीकांत सत्यदर्शी प्रमुख थे.
भाजपा : स्व सिन्हा को श्रद्धा सुमन अर्पित करनेवालों में विधानसभा में विरोधी दल के नेता डॉ प्रेम कुमार, पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा और तारकेश्वर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, प्रदेश उपाध्यक्ष संजय मयूख , ब्रजेश रमण आिद थे. वहीं, श्रद्धांजलि देनेवालों में डाॅ इंदू भूषण सिन्हा, डाॅ विनोद कुमार सिंह, डाॅ आरएन सिंह, डाॅ विनय कारक, डाॅ अमूल्य कुमार सिंह, नागेश्वर प्रसाद सिंह आदि भी शामिल हैं.
एक युग का अंत हो गया : लालू प्रसाद
स्व सिन्हा के आवास पर पहुंच राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पमाला अर्पित किया. पत्रकारों से बातचीत कहा कि स्व सिन्हा और उनके परिवार के साथ उनका घनिष्ठ संबंध था.उन्होंने वैशाली लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है.
भगवान उनको स्वर्ग में ऊंचा स्थान दें. इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने श्रद्धांजलि दी और कहा कि पहला परिचय उनसे एक शिक्षाविद् के रूप में हुआ था. दो दिन पहले ही उनसे मुलाकात हुई थी. उनका अचानक जाना समझ में नहीं आता. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी उनके आवास पर जाकर स्व सिन्हा को श्रद्धांजलि दी और शोक संवेदना व्यक्त की. स्व सिन्हा के निधन पर श्रद्धांजलि देने वालों में विधि मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी भी शामिल थे.
जदयू नेताओं ने भी चढ़ाये पुष्प
नागेश्वर कालोनी स्थित स्व सिन्हा के आवास पर पहुंचने वालों में जदयू के नेता मंजीत सिंह, विधान पार्षद संजय सिंह, छोटू सिंह, नंद किशोर कुशवाहा प्रमुख थे. पूर्व विधायक गौरीशंकर नागदंश ने भी शोक प्रकट किया. उन्होंने कहा सीतामढी के डुमरा में पैदा हुई किशोरी हुई समाज के सभी वर्ग में लोकप्रिय थीं.
रालोसपा ने जताया शोक
रालोसपा के अरुण गुट ने पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की धर्मपत्नी किशोरी सिन्हा के असामयिक निधन पर गहरा शोक जताया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद अरुण कुमार, विधायक ललन पासवान, महासचिव राजकुमार सिंह, मधेश्वर सिंह, संजीत कुमार चौधरी, रजनीश रंजन, नवीन सिंह और मनोज लाल दास मनु ने कहा है कि किशोरी सिन्हा हमेशा गरीबों एवं जरूरतमंदों की सेवा करनेवाली नेत्री थीं. वह धर्मपरायण व सादगी की प्रतिमूर्ति थीं.
मैं उनके परिवार से 1958 से जुड़ा हूं. वह कुशल प्रबंधक और विकास को लेकर चिंतित रहनेवाली महिला थीं. उनके पुत्र व पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार काॅलेज से ही मित्र रहे हैं.
निखिल कुमार के सभी दोस्त उनको चाची ही कहते हैं. यह बात कम ही लोगों को मालूम होगा कि पहली बार किशोरी सिन्हा ने ही सोनपुर-सुगौली रेल लाइन निर्माण का प्रस्ताव तत्कालीन रेल मंत्री माधव राव सिंधिया को दिया था. जब वह 1980 में वैशाली से लोकसभा चुनाव लड़ने गयीं तो लोगों ने उनसे एक शिक्षण संस्थान की मांग की. उसी साल चाची ने वहां अवध बिहारी सिंह काॅलेज की स्थापना लालगंज में की थी.
निखिल कुमार और मैं इलाहाबाद के म्योर हास्टल में एक साथ रहते थे. भारतीय प्रशासनिक सेवा का इंटरव्यू देने जब जनवरी 1961 में दिल्ली गया था, तो निखिल कुमार ने चाची के नाम से एक पत्र लिखा था. उसमें लिखा था कि रामउपदेश अपने घर में ही रहेंगे. तब पहली बार उनसे मुलाकात हुई थी. चाची निखिल कुमार के दोस्तों को बहुत स्नेह देती थीं, क्योंकि निखिल कुमार अपने दोस्तों को चाहते थे. उनका बचपन बहुत ही लाड़-प्यार में गुजरा था. वह बताती थीं कि उनके दादाजी उनके लिए खास किस्म का मटर दाना लगाते थे.
उनका रहन सहन का तरीका राजसी था. वह कुशल प्रबंधक व सभी का ख्याल रखती थीं. यही कारण है कि छोटे साहब ने एक अपवाद को छोड़कर कभी बाहर का खाना नहीं खाया. शिक्षा मंत्री के रूप में जब छोटे साहब मगध विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए गया के महंथ के पास जमीन की मांग करने गये तो महंथ साहब ने शर्त रखी कि जितनी जमीन चाहिए वह दे देंगे पर शर्त यह है कि उनके साथ खाना खाना होगा.
वही एक अपवाद है जब छोटे साहब ने घर से बाहर का खाना खाया . वह एक साथ पटना, डुमरा (सीतामढ़ी), मुजफ्फरपुर, पुश्तैनी घर लालगंज के जगन्नाथ बसंत और दिल्ली का प्रबंधन बैठे-बैठे करती थीं. चाची को गुस्सा होते कभी नहीं देखा पर वह अति संवेदनशील महिला थीं. कभी उनकी भावना पर ठेस लगता तो रूठ जाती थीं. वह अपने परिवार के निजी सहयोगियों के हर सुख-दु:ख की भागीदार बनतीं. यही बात है कि काठमांडु की सावित्री उनके पास छाया की तरह रहीं. नेपाल के कोइराला परिवार से निकटता होने के कारण कोइराला परिवार ने सावित्री को 1965 में पटना भेजा. तब से वह चाची के साथ रहीं.
चाची को अपने निजी सहायकों पर इतना भरोसा था कि वह पैसा कभी अपने हाथ से नहीं छूतीं. वह सहायकों को ही बताती कि पैसा कहां रखा है. चाची को बागवानी का बड़ा शौक था. फ्लावर शो में गुलाब भेजा और वह प्रथम स्थान पाया. वह गजल और संगीत की बहुत शौकीन थीं.
राम उपदेश सिंह (लेखक, भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर अधिकारी और छोटे साहेब के परिवार के करीबी रहे हैं)

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