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बिहार विधानसभा में छाया रहा बाढ़ का मुद्दा, हंगामे की भेंट चढ़ा दूसरा दिन

पटना: बिहार विधान सभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन की कार्यवाही के दौरान हंगामा बरपा रहा. विपक्षी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही को पूरी तरह हंगामेदार बना दिया.प्रश्नकालतोकुछ ऐसा रहा कि प्रश्नकर्ता के प्रश्न औरमंत्रीके जवाब किसी केपाले नहीं पड़े. सदन की कार्यवाही का आलम यह था कि सरकार की ओर से […]

पटना: बिहार विधान सभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन की कार्यवाही के दौरान हंगामा बरपा रहा. विपक्षी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही को पूरी तरह हंगामेदार बना दिया.प्रश्नकालतोकुछ ऐसा रहा कि प्रश्नकर्ता के प्रश्न औरमंत्रीके जवाब किसी केपाले नहीं पड़े. सदन की कार्यवाही का आलम यह था कि सरकार की ओर से जवाब देने के लिए उर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. अब्दुल गफूर ही जवाब दे पाये. वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टी भाजपा के सदस्यों के प्रश्न भी सदन के पटल पर नहीं रखे जा सके.

अध्यक्ष करते रहे बार -बार अनुरोध

इस बीच विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी विपक्षी सदस्यों को बार-बार अपनी सीट पर जाने का आग्रह करते रहे. वहीं विपक्षी सदस्य 40 मिनट तक वेल में ही खड़े रहे. सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे आरंभ हुई. जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ विपक्ष के नेता प्रेम कुमार अपने आसन से खड़े होकर सरकार से कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग करने लगे. उनकी मांग थी कि राज्य में बाढ़ और सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी है. सरकार सभी कार्यों को स्थगित रखकर पहले दिये गये बाढ़ -सुखाड़ के कार्य स्थगन पर चर्चा कराए.

कार्रवाई चलाने के लिये बने सहमति-प्रेम कुमार

विरोधी दल के नेता प्रेम कुमार ने कहा कि पहले सामान्य सहमति बनायी जाये उसके बाद आगे की कार्यवाही संचालित की जाये. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इसके लिए तो पहले नियमावली बदलनी होगी. साथ ही उन्होंने प्रतिपक्ष के नेता से आग्रह किया कि वह पहले सदस्यों को अपने आसन पर जाने को कहे, सदन जब व्यवस्थित हो जाये तो अपनी बात रखें. उन्होंने कहा कि कोई प्रश्न उठाने के लिए सदन की कार्य संचालन नियमावली बनी हुई है. उसी के तहत सवाल भी उठाये जा सकते हैं. विपक्ष द्वारा जनता का सवाल उठाया जा रहा है तो यहां उपस्थित सदस्य भी जनता के प्रतिनिधि ही जिनका समय लैप्स हो रहा है. इसमें विपक्ष के सदस्य भी शामिल हैं.

विपक्ष की मांग, कार्यस्थगन प्रस्ताव स्वीकार करे सरकार

इधर प्रेम कुमार अपनी बातों को सदन में दोहराते रहे कि सरकार पहले कार्यस्थगन का प्रस्ताव स्वीकार कर उस पर चर्चा करावे. राज्य 30 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. 28 लोगों की मौत हो चुकी है. राहत शिविरों में पका खाना देने की जगह आधा किलो चूड़ा दिया जा रहा है. बगहा में 37 करोड़ की लागत से निर्मित बांध में दरार आ गयी है. महानंदा बेसिन में 800 करोड़ की योजना पर काम नहीं पूरा हुआ है. कोसी क्षेत्र में दर्जनों तटबंध टूट चुके हैं. आपदा में मरनेवाले लोगों के आश्रितों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. यहां तक कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में मरनेवाले लोगों को कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत राशि नहीं दी गयी है.

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