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100 बरस के हो चुके हार्डिंग पार्क को मिला नया जीवन

पटना : बिहार को एक अलग प्रांत बनने में अहम भूमिका निभाने वाले वायसराय के सम्मान में बनाया गया हार्डिंग पार्क आज पूरे 100 बरस का हो गया और वर्षों की उपेक्षा के बाद इसका रूप रंग अब एक बार फिर से निखारा जा रहा है. हार्डिंग पार्क ने वर्ष 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स […]

पटना : बिहार को एक अलग प्रांत बनने में अहम भूमिका निभाने वाले वायसराय के सम्मान में बनाया गया हार्डिंग पार्क आज पूरे 100 बरस का हो गया और वर्षों की उपेक्षा के बाद इसका रूप रंग अब एक बार फिर से निखारा जा रहा है. हार्डिंग पार्क ने वर्ष 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स की मेजबानी की थी. करीब 22 एकड भूभाग में फैले इस पार्क को बिहार और ओडिशा के तत्कालीन गवर्नर सर एडवर्ड गेट ने 31 जनवरी 1916 में जनता के लिए खोला था. तब हरियाली और फूलों से सजे इस पार्क की शोभा को फव्वारे चार चांद लगा रहे थे.

पटना के साथ साथ यह पार्क गोलघर का भी एक मुख्य आकर्षण केंद्र था. प्रांत के तत्कालीन गवर्नर ने लंदन में प्रख्यात ब्रिटिश मूर्तिकार हर्बर्ट हैम्प्टन द्वारा तैयार लॉर्ड हार्डिंग की पांच टन वजनी कांस्य प्रतिमा का अनावरण भी किया. लेकिन कालांतर में औपनिवेशिक काल की याद दिलाने वाले अन्य स्थलों की तरह ही हार्डिंग पार्क भी उपेक्षा का शिकार हो गया. कई विरोध प्रदर्शनों के बाद पार्क से प्रतिमा हटा दी गई और 60 के दशक के आखिर में इसे पटना संग्रहालय में रख दिया गया. इसे 1990 के दशक में संग्रहालय के बगीचे के एक कोने में एक प्लेटफार्म पर फिर से लगा दिया गया. प्रतिमा के पास लगी पट्टिका में लॉर्ड हार्डिंग के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी दी गई है. अब इस प्रतिमा का एक हाथ टूट चुका है और यह इसी तरह खड़ी है.

बीते 100 बरसों में पार्क ने बहुत कुछ देखा। स्वर्णिम अतीत को समेटे पार्क स्वतंत्रता संग्राम का मूक गवाह रहा और औपनिवेशिक दौर के बाद का बदलाव भी उसने देखा. जारी भाषा

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