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लालू के खिलाफ एक और मुकदमा वापस, बिहार में गरमाया सियासी पारा

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसादयादव के खिलाफ दर्ज एक और आपराधिक मुकदमा सरकार के आवेदन पर अदालत द्वारा वापस कर दिया गया है. इस आशय में जिला अभियोजन पदाधिकारी बीएन सिंह द्वारा 23 जनवरी 2016 को आवेदन देकर न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि परसा बाजार थाना कांड संख्या 67/14 को राज्य सरकार […]

पटना : राजद सुप्रीमो लालू प्रसादयादव के खिलाफ दर्ज एक और आपराधिक मुकदमा सरकार के आवेदन पर अदालत द्वारा वापस कर दिया गया है. इस आशय में जिला अभियोजन पदाधिकारी बीएन सिंह द्वारा 23 जनवरी 2016 को आवेदन देकर न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि परसा बाजार थाना कांड संख्या 67/14 को राज्य सरकार आगे चलाना नहीं चाहती है. अदालत ने आवेदन के अनुरोध को स्वीकार किया. पटना व्यवहार न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी गायत्री कुमारी ने दंड प्रक्रिया की धारा 321 के तहत मुकदमा वापस करते हुए लालू प्रसाद यादव को मामले से मुक्त कर दिया. मुकदमा वापस लिये जाने के साथ ही बिहार में इसपर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है.

लालू प्रसाद के खिलाफ केस वापसी पर विधि मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि विभागीय समीक्षा के बादयह फैसला लिया गया. जदयू नेता श्याम रजकने इसमामले पर कहाकिराजदसुप्रीमो के केस वापसी को मुद्दा बना रही भाजपा को तथ्यों की जानकारी नहीं है. वहीं, भाजपा नेता नंदकिशोर यादवनेइससंबंध में प्रतिक्रियादेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू प्रसाद के दबाव में कम कर रहे है. उन्होंने कहा कि सभी दलों के नेताओं पर आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ा केस हैं. इससे पहलेपूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि यदिसीएम नीतीश कुमार सक्षम होते तो लालू प्रसाद के चारा घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के भी सभी मुकदमे वापस करा लेते.उन्होंने कहा कि नीतीशकुमारमुख्यमंत्री बने रहने के लिए कुछ भी कर सकते है.

विदित हो कि वर्ष 2014 में पाटलिपुत्रा लोक सभा क्षेत्र में वालमी से फुलवारीशरीफ तक लालू प्रसाद द्वारा रोड शो किया गया था. उक्त रोड शो के दौरान हो रही वीडियोग्राफी को अवरुद्ध करने के लिए लालू प्रसाद के बॉडीगार्ड ने वीडियोग्राफर चंदन राज को धक्का दिया था. इस पर फुलवारीशरीफ की तत्कालीन अंचल निरीक्षक सुनीता प्रसाद ने जन प्रतिनिधि कानून की धारा 171 एफ, 186 व 188 के तहत पांच अप्रैल 2014 काे मामला दर्ज किया था. अनुसंधान के बाद घटना को सत्य पाते हुए 27 मई 2015 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. हालांकि, लालू प्रसाद को उक्त मामले में पुलिस द्वारा जमानत दे दी गयी थी. अब सरकार के आवेदन के बाद मामला खत्म कर दिया गया. गौरतलब है कि इससे पूर्व सरकार द्वारा बिहार बंद के दौरान दर्ज आपराधिक मामले को भी वापस ले लिया गया था.

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