पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद ग्रामीण कार्य विभाग में तेजी आ गयी है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण सड़कों की डीपीआर नवंबर तक सौंपने के लिए विभाग के आलाधिकारी कार्य प्रमंडलों से हर दिन उसकी अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट ले रहे हैं. एजेंसियों की ओर से तैयार की जा रही रिपोर्ट की समीक्षा विभागीय सचिव, संयुक्त सचिव या मुख्य अभियंता के स्तर पर हो रही है. विभागीय मंत्री डॉ भीम सिंह ने दावा किया है नवंबर तक आठ हजार किमी का डीपीआर केंद्र को भेज दिया जायेगा. मंत्री के इस दावे को पूरा करने के लिए विभाग जी-जान से जुटा है.
24 एजेंसियों पर पैनी नजर : विगत वर्ष से ही ग्रामीण सड़कों का डीपीआर बनाने का काम चल रहा है. बिहार की ओर से 12 हजार किमी से अधिक ग्रामीण सड़कों का डीपीआर भेजना था. साढ़े पांच हजार किमी का डीपीआर इस वर्ष केंद्र को भेजा गया तो उसकी मंजूरी मिल गयी. सात हजार किमी का प्रस्ताव अभी भेजा जाना है. इसमें से अब तक मात्र चार हजार किमी का ही डीपीआर बन सका है.
विभागीय कर्मचारी बताते हैं कि डीपीआर बनाने के काम में शुरू से ही सुस्ती बरती गयी. हालांकि, कार्यपालक अभियंताओं को नियमित तौर पर पत्र लिखा गया. हर जिले के लिए एक -एक सहायक अभियंता को नोडल पदाधिकारी के तौर पर नामित किया गया. फिर भी तेजी नहीं आयी तो एजेंसियों को जिला आवंटित कर दिये गये. आइएलएफएस सहित 24 एजेंसियों का चयन हुआ. पर, डीपीआर बनाने का काम अब भी धीमा है.