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सीमित संसाधन व मुश्किल परिस्थिति में भी बिहार ने विकास में लगायी लंबी छलांग

इंटरनेट डेस्क पटना : जनसंख्या की दृष्टि से बिहार का देश में तीसरा स्थान है. बिजली के सीमित संसाधनों के बीच बिहार की अर्थव्यवस्था में बीते सात वर्षो के दौरान औसतन 10.7 फीसद वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गयी है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2005-06 के बाद से उत्तराखंड को छोड़ कर बिहार की […]

इंटरनेट डेस्क

पटना : जनसंख्या की दृष्टि से बिहार का देश में तीसरा स्थान है. बिजली के सीमित संसाधनों के बीच बिहार की अर्थव्यवस्था में बीते सात वर्षो के दौरान औसतन 10.7 फीसद वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गयी है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2005-06 के बाद से उत्तराखंड को छोड़ कर बिहार की अर्थव्यवस्था में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में तेजी से वृद्धि दर्ज हुई है. साथ ही इस अवधि के दौरान बिहार में प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि दर्ज की गयी है. प्रति व्यक्ति आय में 9.2 फीसद का इजाफा हुआ है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर में बीते वित्त वर्ष के दौरान कमजोरी दर्ज किये जाने के बावजूद भी बिहार की अर्थव्यवस्था में 9.5 फीसद वृद्धि दर्ज की गयी. बिहार के साथ ही मध्यप्रदेश एक राज्य था जहां की अर्थव्यवस्था में 10 फीसद के दर से वृद्धि दर्जकी गयी. हालांकि बिहार में दर्ज कीकी गयीयह आर्थिक वृद्धि ऊर्जा के कम सप्लाई एवं बिजली व्यवस्था के सीमित संसाधनों के बीच संभव हुआ. ऐसी परिस्थिति में सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर किसी तरह से बिहार की अर्थव्यवस्थाकीबेहतर विकास दर हासिल करना संभव हुआ. सवाल यह भी उठता है कि अगर बिहार में ऊर्जा व बिजली के संसाधनों को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाये तो राज्य की अर्थव्यवस्था में किस स्तर पर विकास संभव होगा.

सेंट्रल इलेक्ट्रिक ऑथोरिटी के मुताबिक बिहार में 2012-13 के दौरान वार्षिक पीक डिमांड 2500 मेगावाट थी,जबकि सप्लाई 1726 मेगावाट संभव हो सकी. इसके साथ ही 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 18.9 मिलियन जनसंख्या में मात्र 16.4 फीसद ही बिजली का इस्तेमाल कर पाते है. जबकि गुजरात में 90 फीसद घरों में बिजली की सप्लाई को संभव कर दिया गया है. बिहार में आज भी 82 फीसद घरों में रौशनी के लिए बिजली के विकल्प के तौर किरोसीन व अन्य पेट्रोलियम पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है. ऊर्जा व बिजली की इन व्यवस्थाओं के बावजूद सवाल उठना स्वाभाविक है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास कैसे संभव हो सका.

वहीं, बिहार की अर्थव्यवस्था में बीते वर्षो के दौरान कृषि व पशुपालन क्षेत्र के योगदान में भी गिरावट दर्ज की गयी. 2005-06 के दौरान राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि व पशुपालन सेक्टर का योगदान 25 फीसद था और अब 20 फीसद रह गया है. कृषि व पशुपालन के साथ ही बिहार की अर्थव्यवस्था में टूरिज्म व व्यापार से जुड़े व्यवसाय का योगदान दिखाई देता है. कृषि के साथ-साथ व्यापार एवं होटल व रेस्टोरेंट क्षेत्रों का बिहार की अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान दर्ज किया जाता है. बिहार के जीडीपी में यह सभी मिलकर लगभग 43 फीसद योगदान देते हैं.

बिहार की अर्थव्यवस्था से जुड़े अधिकतर सेक्टर बिजली पर निर्भर नहीं है. कृषि अधिकतर मानसून पर निर्भर रहती है और राज्य में बारिश अच्छी मात्रा में हो जाती है. हालांकि बाढ़ की समस्या से राज्य अछूता नहीं रहा है. संचार व्यवस्था में मुख्य भूमिका अदा करने वाली मोबाइल कंपनियां बिजली के बजाय जेनरेटर व अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल कर अपनीसेवाएंउपलब्ध करातीहैं.इन सब के बावजूद बिहार की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि आश्चर्य पैदा करती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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