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बागियों ने कहा, लोकतंत्र की हुई जीत

पटना : जदयू से निष्कासित विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई. बिहार विधानसभा के स्पीकर ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर फैसला दिया था, उसे हाइकोर्ट ने खारिज कर मुंहतोड़ जवाब दिया है. हाइकोर्ट के फैसले ने नीतीश कुमार के अहंकार, ईष्र्या और द्वेष का जवाब दिया […]

पटना : जदयू से निष्कासित विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि आखिरकार न्याय की जीत हुई. बिहार विधानसभा के स्पीकर ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर फैसला दिया था, उसे हाइकोर्ट ने खारिज कर मुंहतोड़ जवाब दिया है.
हाइकोर्ट के फैसले ने नीतीश कुमार के अहंकार, ईष्र्या और द्वेष का जवाब दिया है. करीब पांच महीने तक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उसके बाद स्पीकर की ओर से फैसला सुनवाया गया. नीतीश कुमार के इशारे पर ही सारी कार्रवाई हुई. घर पर हमला, एक्स एमएलए का दर्जा नहीं, गार्ड हटाने, मकान खाली कराने तक का नोटिस दिलवाया गया.
वे राजनीतिक रूप से एक्सपोज हो गये हैं. जिन लोगों ने उनका पुराने दिनों में साथ दिया, सभी को उन्होंने निकाल दिया. ज्ञानू ने कहा कि लालू प्रसाद से गंठबंधन कर नीतीश कुमार बिहार को एक बार फिर जंगल राज की ओर ढकेल रहे हैं. लालू की शरण में जाकर उनके ही भरोसे नीतीश राजनीति करने में लगे हैं. जदयू अगर हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रहा है तो जरूर जाये, लेकिन वहां भी हश्र यही होगा. हाइकोर्ट में दिये गये दलील में कई तथ्य सुप्रीम कोर्ट के ही हैं.
पूरे एपिसोड के नीतीश हैं विलेन : रवींद्र
विधायक रवींद्र राय ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले से लोकतंत्र बच गया. जिस लोकतंत्र का नीतीश कुमार द्वारा गला घोंटने का प्रयास किया जा रहा था, उसका पर्दाफाश हो गया है. नीतीश कुमार नैतिकता का हवाला देते थे, लेकिन अपने लोगों द्वारा जो अनैतिक काम करवाया था , वह जनता के सामने उजागर हो गया है. उन्होंने कहा कि उनकी विधायकी रद्द करने की नोटिस से लेकर रद्द करने तक के पूरे एपिसोड के विलेन नीतीश कुमार थे. हाइकोर्ट ने उनके इसी अहंकार को तोड़ने का काम किया है. वे राजद या फिर किसी से गंठबंधन कर लें, जनता उन्हें रिजेक्ट कर चुकी है.
फैसले से लोकतंत्र होगा मजबूत : राहुल
विधायक राहुल शर्मा ने कहा कि हाइकोर्ट के फैसले से लोकतंत्र मजबूत हुआ है. जनता की जीत हुई है. नीतीश कुमार के इशारे पर स्पीकर कोर्ट ने जो एकतरफा फैसला सुनाया था, उस पर अंकुश लग गया. इससे अब संविधान का राज स्थापित हुआ है.
कुछ लोगों ने जदयू को पॉकेट की पार्टी बना कर रख लिया है, हाइकोर्ट का फैसला उन पर प्रहार है. उन्होंने कहा कि जिस जंगल राज के खिलाफ आवाज उठा कर सत्ता में आये थे, उसी से समर्थन लेना गलत है. इसी का वह विरोध कर रहे थे, जिसके लिए उन लोगों की विधायकी रद्द कर दी गयी थी.
सत्य पराजित नहीं हो सकता : नीरज
विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन उसे कभी पराजित नहीं किया जा सकता. पटना हाइकोर्ट के फैसले ने उसे साबित कर दिया है. जून से जनवरी महीने तक जिस प्रकार पहले नोटिस, फिर कई तारीखों में सुनवाई और नवंबर में फैसला दिया गया, वह सिर्फ मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला था.
हाइकोर्ट के फैसले का पार्टी पहले अध्ययन करेगी. इसके लिए पार्टी के विधि परामर्शी से यह देखने को कहा गया है कि फैसले में क्या-क्या बातें हैं? जदयू इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है. जदयू के पास पटना हाइकोर्ट में ही अपर बेंच में अपील करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट जाने का भी ऑप्सन है. उन्हें फिर से पार्टी में लाने का कोई विचार नहीं है.
वशिष्ठ नारायण सिंह, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष
अदालत के फैसले पर किसी तरह की टीका-टिप्पणी नहीं की जा सकती. न्यायालय का निर्णय अपनी जगह पर है, पर अब विधानसभा के इन सदस्यों की नैतिकता पर सवाल खड़ा हो गया है. जिस भी पार्टी में हैं, उसके अंदर अंतर्विरोध हो सकता है.
अब्दुल बारी सिद्दीकी, राजद विधायक दल के नेता
हाइकोर्ट का यह निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तानाशाही रवैये की एक बड़ी पराजय भी है. उन्हीं के दबाव में विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कानून का मनमाना अर्थ निकाल कर सत्तारूढ़ दल के चार विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी.
नंदकिशोर यादव, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष
विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का फैसला पक्षपातपूर्ण, असंवैधानिक और दुर्भावना से ग्रसित था. उन्होंने तो चारों विधायकों को पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित कर दिया था.
पशुपति कुमार पारस, लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष
चार अन्य बागी भी आज देंगे चुनौती
जदयू के चार अन्य बागी अजीत कुमार,पूनम देवी,राजू सिंह और सुरेश चंचल स्पीकर कोर्ट के फैसले को बुधवार को पटना हाइकोर्ट में चुनौती देंगे. स्पीकर कोर्ट के फैसले के खिलाफ न्याय के लिए चारों बागी हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे. चारों बागियों की विधानसभा के स्पीकर कोर्ट ने 27 दिसंबर को सदस्यता रद्द कर दी थी.
इन पर भी राज्यसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा करने,पोलिंग एजेंट बनने,चुनाव एजेंट बनने और दूसरे विधायकों को मतदान करने के लिए बहलाने का आरोप था. इसी आरोप में इनकी सदस्यता रद्द की गयी और पूर्व विधायकों की सुविधाएं भी नहीं देने का फैसला सुनाया गया.
इसी आरोप में मंगलवार को चार बागियों ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार सिंह, राहुल शर्मा व रवींद्र राय की याचिका पर स्पीकर कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया. इस फैसले से अन्य चार बागी खुश हैं और उन्हें भी अपनी विधानसभा की सदस्यता फिर से बहाल होने का अनुमान है. इस मामले पर पूनम देवी ने कहा कि हाइकोर्ट में स्पीकर कोर्ट के खिलाफ बुधवार को अपील करेंगे.
फैसला हक में आयेगा. स्पीकर ने ऐसा फैसला सुनाया था जैसे कोई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सुना रहे हैं जबकि स्पीकर भी एक विधायक होते हैं और पार्टी की ओर से उन्हें स्पीकर बनाया जाता है. सुरेश चंचल ने कहा कि फैसला संविधान संवत आया है. स्पीकर ने कुरसी का दुरुपयोग कर मर्यादा को तार-तार कर दिया था. हाइकोर्ट ने उसे ठीक कर दिया. अजीत कुमार ने कहा कि अगर कोर्ट नहीं हो,तो राजनीतिज्ञ लोकतंत्र का गला घोट देंगे. विधानसभा अध्यक्ष का फैसला वैसा ही था,लेकिन हाइकोर्ट ने स्पीकर कोर्ट के फैसले को खारिज कर साबित कर दिया कि न्याय सभी को मिलता है.
नीतीश ने जतायी अनभिज्ञता
पटना. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाइकोर्ट के फैसले पर अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुङो कोई जानकारी नहीं हैं. आप लोगों (पत्रकारों) से ही जानकारी मिल रही है. श्री कुमार विधान परिषद में आचार समिति की बैठक में शामिल होने के लिए आये थे. बैठक के बाद इस मामले पर किसी भी जानकारी से उन्होंने इनकार किया.
हाइकोर्ट के डबल बेंच में जायेंगे: श्रवण
पटना : संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि दो-तीन दिनों में सिंगल बेंच के निर्णय के खिलाफ डबल बेंच में सरकार जायेगी. उन्होंने बताया कि रवि एस नायक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऑब्जव्रेशन विधानसभा कोर्ट के समान है.
एक ही तरह के मामले में दो तरह का निर्णय कैसे हो सकता है. सिंगल बेंच के द्वारा जो सुनवाई की गयी उसमें संसदीय कार्य मंत्री द्वारा उठाये गये बिंदुओं को फैसला लेते समय ध्यान में नहीं रखा गया.
इसके लिए उनके अधिवक्ता व परामर्शी फैसले का अध्ययन कर रहे हैं. आदेश को अध्ययन करने के बाद चुनौती दी जायेगी. फिलहाल डबल बेंच में जायेंगे. जरूरत पड़ी,तो सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जा सकता है.

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