संवाददाता, पटना : जिला उपभोक्ता आयोग ने चिकित्सकीय लापरवाही मामले में 16 साल बाद फैसला सुनाया है. आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्र व सदस्य रजनीश कुमार ने इलाज में लापरवाही बरतने पर मोकामा के नाजरथ अस्पताल को दोषी पाते हुए 15 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह राशि आठ जुलाई, 2009 से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देनी होगी. साथ ही 20 हजार रुपये मानसिक क्षति व 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च के रूप में चुकाने होंगे. यदि आदेश 120 दिनों में नहीं माना गया, तो वादी को 10 हजार रुपये अतिरिक्त वसूली खर्च भी मिलेगा. नवादा जिले के वारिसलीगंज थाने के नारोमुरार गांव की पूनम देवी ने 2009 में शिकायत दर्ज करायी थी कि गर्भावस्था के दौरान उन्होंने पांच मार्च, 2008 और 27 अगस्त, 2008 को अल्ट्रासाउंड कराया था, जिसमें केवल एक बच्चे का जिक्र किया गया. लेकिन, प्रसव के दौरान शिकायतकर्ता ने सर्जरी के माध्यम से क्रमशः शाम 5:50 बजे व 5:52 बजे दो बच्चियों को जन्म दिया था, जिनमें एक का वजन 1.5 किलो और दूसरी का 1.8 किलो था. कम वजन के कारण दोनों बच्चियां आज मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर हैं. अल्ट्रासाउंड कराने के लिए अस्पताल को 325 रुपये का भुगतान किया गया था. आयोग ने इस मामले में मेडिकल बोर्ड से विशेषज्ञ राय ली. बोर्ड ने माना कि दो बार अल्ट्रासाउंड में जुड़वां भ्रूण का पता न चल पाना गंभीर त्रुटि को दर्शाता है. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने इसे मेडिकल नेग्लिजेंस माना.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है