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राम मंदिर की नींव रखे जाने के दौरान कामेश्वर ने रखी थी पहली ईंट, ट्रस्ट में हुए शामिल, कहा- राम हमारे रिश्तेदार

पटना / सुपौल : राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी के दलित सदस्य के रूप में नामित बिहार के कामेश्वर चौपाल बीजेपी के हार्डकोर सदस्य रहे हैं. बिहार के मिथिलांचल निवासी कामेश्वर चौपाल साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुपौल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार भी रहे थे. सुपौल जिले के मरौना गांव के मूल निवासी […]

पटना / सुपौल : राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी के दलित सदस्य के रूप में नामित बिहार के कामेश्वर चौपाल बीजेपी के हार्डकोर सदस्य रहे हैं. बिहार के मिथिलांचल निवासी कामेश्वर चौपाल साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुपौल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार भी रहे थे. सुपौल जिले के मरौना गांव के मूल निवासी 1989 में पहली बार अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखे जाने के दौरान पहली ईंट इन्होंने ही रखी थी. 64 वर्षीय कामेश्वर चौपाल श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार के संयोजक रहे हैं. भाजपा के प्रदेश मंत्री रहे कामेश्वर चौपाल बिहार विधान परिषद के दो बार सदस्य भी रहे हैं. 1973 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करनेवाले कामेश्वर चौपाल की उच्च शिक्षा मधुबनी और दरभंगा में हुई है.

मिथिलांचल को राम की पत्नी सीता का घर कहा जाता है. इसी इलाके के रहनेवाले कामेश्वर चौपाल का कहना है कि ‘हम राम को अपना रिश्तेदार मानते हैं. मिथिला इलाके में शादी के दौरान वर-वधु को राम-सीता के प्रतीकात्मक रूप में देखने की प्रथा आज भी विद्यमान है.’ ट्रस्ट के सदस्य बनाये जाने पर उनका कहना है कि ‘मैं इसे जिम्मेदारी के रूप में लूंगा.’ मेरा जीवन राम मंदिर के लिए ही था. मेरी आंखों से संघर्ष कभी ओझल ही नहीं हुआ. ट्रस्ट में ‘दलित’ शब्द और दलित चेहरे को शामिल करना, लोगों की आंखें खोलनेवाली घटना होगी. आजाद भारत में इतने बड़े काम के लिए दलित का शामिल किया जाना बड़ी बात है. वाल्मीकि, व्यास दलित वर्ग से आये, फिर भी समाज ने उन्हें दिल से लगाया है. अगर भेदभाव होता, तो भीमराव अंबेडकर इस देश के नायक नहीं होते.

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