पटना : बिहार प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय बजट 2020-21 को जनता को निराश करनेवाला और दिशाहीन बजट बताया है. उन्होंने कहा है कि वर्तमान विकास दर कम है, जबकि अगले वित्तीय वर्ष में 10 प्रतिशत करने का सपना दिखाया गया है. वहीं, बिहार के पूर्व वित्त मंत्री एवं राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बजट को 'आंख बंद डिब्बा गायब' जैसा बताते हुए केंद्र सरकार पर आम जन को धोखा देने का आरोप लगाया है.
बजट पूरी तरह से दिशाहीन : मदन मोहन झा
बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ. मदन मोहन झा ने कहा कि बजट पूरी तरह से दिशाहीन है. ग्रामीण क्षेत्र एवं आम जनता को इस बजट से कोई राहत नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्रियों का आकलन कि पिछले 45 वर्षों में भारत में बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर है. इसके निराकरण के लिये कोई सार्थक पहल नहीं की गयी है. रसोई गैस, पेट्रोल एवं डीजल की कीमत में दो गुना वृद्धि की गयी है. इसे नियंत्रित करने का बजट में कोई प्रावधान नहीं है. बजट में बिहार की घोर उपेक्षा की गयी है. न तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है और नहीं कोई विशेष पैकेज की बात की गयी है.
सदानंद सिंहबोले,जनताको निराश करने वाला है बजट
इधर, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि संसद में पेश केंद्रीय बजट जनता को निराश करने वाला है. बजट में नये रोजगार की कोई बात नहीं की गयी है. विकास दर वर्तमान में पांच फीसदी से भी कम होने की संभावना है; उसे अगले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत करने की बात हकीकत से हटकर दिवास्वप्न जैसा है. इस बजट से बाजार में भी निराशा हुआ है. शेयर मार्केट में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है. बजट किसानों, नौजवानों, कारोबारियों, छोटे-मझोले उद्यमियों, आम लोगों की अपेक्षाओं पर भी खड़ा नहीं उतरा है. शिक्षा को रोजगारोन्मुखी भी नहीं बनाया गया है. पांच नये स्मार्ट सिटी की बात है पर पिछले 100 स्मार्ट सिटी के बारे में कोई चर्चा नहीं है.
उन्होंने कहा कि आयकर में थोड़ी बहुत छूट है परंतु पिछले करीब 70 रियायतों को छोड़ने के बाद. मेडिकल इक्विपमेंट, ऑटोपार्ट्स महंगे होने से मेडिकल और ऑटो सेक्टर उबर नहीं पायेंगे. श्री सिंह ने कहा कि यह बजट रेलवे, एलआईसी, एडीबीआई और अन्य सरकारी विभाग/कंपनियों के प्राइवेटाईजेशन को बढ़ावा देने वाला है. केंद्र सरकार एलआईसी, एडीबीआई में अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है. रेल गाड़ियों को चलाने, स्टेशनों के विकास, मेडिकल कॉलेज के निर्माण आदि सभी में निजीकरण को शामिल किया जा रहा है.
बिहार के लिये आंख बंद- डिब्बा गायब जैसा है ये बजट : सिद्दीकी
बिहार के पूर्व वित्त मंत्री एवं राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बजटपरतीखीप्रतिक्रियादेते हुए केंद्र सरकार पर आम जन को धोखा देने का आरोप लगाया है. बिहार विधानसभा में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर हुई बहाली का उदाहरण देते हुएउन्होंने कहा कि रोजगार, विशेषकर शिक्षा के अनुसार रोजगार के लिये कुछ नहीं है. निजीकरण कर नौकरी कम की जा रही हैं. महंगाई कम नहीं की. जूता- चप्पल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी. खेतिहर मजदूर को क्या दिया, वेयर हाउसिंग खोलेंगे, लेकिन अनाज के लिये मार्केट नहीं बनाया.
पूर्व मंत्री ने कहा कि बजट में घोषणा तक अधूरी है. बात देने की कही गयी, लेकिन हकीकत में वे जेब से पैसा वसूल रहे हैं. कोई सामान लेते हैंतो उसमें रेट के साथ बहुत सारा टैक्स लिखा रहता है. कोई बताये कि बजट में इनमें से कौन सा टैक्स कम किया है. पिछड़ा राज्य होने के बाद भी बिहार को कोई पैकेज नहीं दिया, जबकि बिहार असेंबली ने सर्वसम्मति से इसके लिये प्रस्ताव पारित किया था. बजट में केवल बहुत कुछ करने का दावा का ढोल पीटा गया है.
बजट ने बिहार के लोगों को मायूस कियाः उपेंद्र कुशवाहा
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने आम बजट को युवा व जनविरोधी बताते हुए कहा कि बजट ने बिहार के लोगों को मायूस किया है. हमें बजट से उम्मीद थी कि बिहार में डबल इंजन की सरकार विकास की पटरी पर दौड़ेगी, लेकिन बजट ने बिहार की डबल इंजन की सरकार को बुरी तरह डिरेल कर दिया है. बजट में बिहार के लिए कुछ भी प्रावधान नहीं है. बिहार में पलायन रोकने और रोजगार मुहैया कराने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है. उन्होंने स्वास्थ्य व शिक्षा के बजट में बिहार की अनदेखा करने पर नाराजगी जतायी और कहा कि केंद्र सरकार बिहार के साथ सौतेला रवैया अपना रही है.