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पटना : एनआरसी पर पीएम के बयान के बाद कोई भी भ्रम नहीं : सुशील मोदी
एनपीआर में शामिल हो जातीय जनगणना का कॉलम पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद अब कोई कन्फ्यूजन नहीं रह गया है. वहीं, उन्होंने जातीय जनगणना भी करवाने के लिए नेशनल […]
एनपीआर में शामिल हो जातीय जनगणना का कॉलम
पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद अब कोई कन्फ्यूजन नहीं रह गया है.
वहीं, उन्होंने जातीय जनगणना भी करवाने के लिए नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में एक कॉलम जोड़ने की केंद्र सरकार से मांग की. साथ ही कहा कि इस संबंध में बिहार विधानसभा में भी मार्च, 2019 में एक प्रस्ताव पास हुआ था और इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था. वे भाजपा प्रदेश मुख्यालय में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
उपमुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में एनपीआर पर यूपीए सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम का वीडियो जारी करते हुए कहा कि एनपीआर और एनआरसी की शुरुआत कांग्रेस सरकार के जमाने में हुई थी. माकपा नेता वासुदेव आचार्य और प्रकाश करात ने भी इसका समर्थन किया था. एनडीए सरकार एनपीआर को केवल अपडेट करने का काम कर रही है. यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के ऐसे अल्पसंख्यकों के लिए है जो भारत में शरणार्थी बनकर आये हैं.
इस मुद्दे पर कांग्रेस और राजद के बिहार बंद पर मोदी ने कहा कि राज्य में एक भी व्यक्ति शरणार्थी नहीं है. इसके बावजूद विपक्षी दलों ने भ्रम फैलाने की कोशिश की.
कांग्रेस जमाने में हुई थी शुरुआत
15 मई से बिहार में शुरू होगा एनपीआर, इन्कार करने वाले अधिकारियों पर एक हजार का जुर्माना: उन्होंने कहा कि 15 मई से 28 मई तक बिहार सहित सभी राज्यों में एनपीआर होगा. इससे कोई राज्य इन्कार नहीं कर सकता.
इसके लिए आइएएस अधिकारियों की नियुक्ति भी हो गयी है. एनपीआर करने से इन्कार करने वाले पदाधिकारियों पर एक हजार रुपये अर्थदंड के साथ तीन साल की सजा भी होगी. पहले चरण में मकान का सूचीकरण किया जायेगा उसके बाद मकान सहित लोगों की गणना होगी. इसके लिए कोई दस्तावेज नहीं देना होगा.
ममता को दी चुनाैती
सुशील कुमार मोदी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है, तो वे बंगाल में एनपीआर लागू नहीं करके दिखाएं. ऐसा करना संविधान का उल्लंघन होगा.
कोई भी राज्य सरकार एनपीआर लागू करने से नहीं रोक सकती. उन्होंने ननकाना साहिब में जगजीत कौर का अपहरण के बाद धर्मांतरण और पाक मुस्लिमों द्वारा गुरुद्वारे पर हमले का उदाहरण दिया. साथ ही कहा कि इसी धार्मिक प्रताड़ना के कारण पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की आबादी लगातार घटती जा रही है.
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