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पटना : बहन-बेटी की तय हिस्सेदारी से नहीं आ रहे बंटवारे के मामले

पटना : सरकार ने 100 रुपये के स्टांप पेपर पर पैतृक संपत्ति का बंटवारा और जमाबंदी (अभी कोर्ट की रोक) रहने पर ही रजिस्ट्री करने के आदेश को भले ही फर्जीवाड़ा रोकने के लिए किया हो, लेकिन कुछ ऐसे पेच हैं जो दोनों आदेश का रास्ता रोक रहे हैं. जिस तरह से मात्र 100 रुपये […]

पटना : सरकार ने 100 रुपये के स्टांप पेपर पर पैतृक संपत्ति का बंटवारा और जमाबंदी (अभी कोर्ट की रोक) रहने पर ही रजिस्ट्री करने के आदेश को भले ही फर्जीवाड़ा रोकने के लिए किया हो, लेकिन कुछ ऐसे पेच हैं जो दोनों आदेश का रास्ता रोक रहे हैं.
जिस तरह से मात्र 100 रुपये के स्टांप पर बंटवारे का नियम बनाया गया था, उस हिसाब से कागजी बंटवारे में तेजी आनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. रजिस्ट्री कार्यालय में महीने में एक से दो ही मामले ऐसे आते हैं जो इस आदेश के तहत फिट बैठते हैं. दरअसल 100 रुपये के स्टांप पेपर पर सिर्फ पैतृक संपत्ति का ही बंटवारा हो सकता है. यहां तक तो ठीक था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बेटी को भी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार माना जाता है.
इस बंटवारे में यही रोड़ा है. लोग इस वजह से पैतृक संपत्ति का 100 रुपये के स्टांप पर बंटवारा नहीं कर रहे हैं कि घर की बहन-बेटी को भी हिस्सा देना पड़ेगा. स्वेच्छा से बहन-बेटी अपने हिस्से को छोड़ सकती है. लेकिन अधिकांश मामले में विवाद है. इसलिए पैतृक संपत्ति की बिना जमाबंदी, बिना बंटवारे के रजिस्ट्री हो रही है. लेकिन जब जमाबंदी को अनिवार्य कर दिया जायेगा तो इस तरह की रजिस्ट्री करायी गयी जमीन की आगे बिक्री मुश्किल हो जायेगी.
खरीदी जमीन का कागजी बंटवारा करने में देना पड़ेगा 5% शुल्क
अगर कोई व्यक्ति खरीदे गये जमीन में बंटवारा कराना चाहता है तो वह 100 रुपये के स्टांप पेपर पर बंटवारा नहीं कर सकता है. 100 रुपये के स्टांप पेपर पर बंटवारा सिर्फ पैतृक संपत्ति का ही हो सकता है. खरीदी हुई जमीन का बंटवारा करने के लिए रजिस्ट्री कार्यालय में पांच प्रतिशत शुल्क देना पड़ेगा. जमीन के मूल्य का तीन प्रतिशत और दो प्रतिशत फीस देना पड़ेगा. बंटवारे का यह तरीका खर्चीला है. लोग सीधे जमाबंदी कराना चाहते हैं जिससे सीआे कार्यालय में उन्हें काफी चक्कर काटना पड़ रहा है.
सीओ कार्यालय में मांगा जा रहा है सहमतिपत्र
सीओ कार्यालय में जामबंदी के लिए बंटवारा का पेपर मांगा जा रहा है, वह लोग नहीं दे पा रहे हैं. सहमति पत्र में सभी हिस्सेदारों से लिखवा कर लाना है, तभी किसी व्यक्ति के नाम से जमाबंदी हो सकेगी. लेकिन जिस हिस्सेदार को अपनी जमीन नहीं बेचनी है, वह सहमति पत्र नहीं दे रहा है. इससे लोग काफी परेशान हाे रहे हैं.

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