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पटना : डाकघरों में सात करोड़ तक के घोटाले, कब होगी जांच
सुबोध कुमार नंदन पटना : पटना जीपीओ में हुए 4.50 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने के बाद पुराने घोटालों की फाइल खोलने की मांग भी उठने लगी है. इसमें डेढ़ साल पुराना नवादा प्रधान डाकघर में हुआ घोटाला भी शामिल है, जिसमें छह करोड़ रुपये से अधिक राशि […]
सुबोध कुमार नंदन
पटना : पटना जीपीओ में हुए 4.50 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने के बाद पुराने घोटालों की फाइल खोलने की मांग भी उठने लगी है. इसमें डेढ़ साल पुराना नवादा प्रधान डाकघर में हुआ घोटाला भी शामिल है, जिसमें छह करोड़ रुपये से अधिक राशि गायब हुई थी. बिहार सर्किल डाक विभाग के अधिकारियों पर इन घोटालों की जांच को लेकर भी दबाव बढ़ रहा है.
दस से अधिक डाकघरों में हुए घोटाले : मिली जानकारी के अनुसार सूबे के लगभग दस से अधिक ऐसे डाकघर है, जहां एक से लेकर सात करोड़ रुपये के घोटाले डाक विभाग के सामने आ चुके हैं. सबसे अधिक घोटाले पूर्वी परिक्षेत्र के डाक घरों में हुये हैं.
इनमें नवादा प्रधान डाकघर, बांका, मुंगेर, समस्तीपुर डाकघर शामिल हैं. इसके अलावा उत्तरी परिक्षेत्र में हाजीपुर डाकघर में भी एक करोड़ रुपये से अधिक घोटाले हुए हैं. लेकिन, इन घोटाले को लेकर बिहार सर्किल या डिवीजन के वरीय अधिकारी घोटाले को दबा रखा है. अब तक इन घोटाले की जांच सही तरीके से नहीं हो पायी है.
जांच कमेटी बना कर खानापूर्ति
मिली जानकारी के अनुसार इतने बड़े घोटाले के बावजूद सर्किल स्तर जांच नहीं किया. न तो चीफ पोस्ट मास्टर जनरल ने दौरा तक नहीं किया. जांच के नाम पर केवल कमेटी बनाकर खानापूर्ति किया गया. वहीं, हाजीपुर डाकघर (भगवानपुर) सहित अन्य कई डाकघरों में भी बड़े घोटाले सामने आयी है.
इस मामले में एक करोड़ रुपये से अधिक घोटाला होने के बावजूद तत्कालीन डाक अधीक्षक को पद से हटाया नहीं गया, बल्कि सेवा विस्तार दे दिया गया. वरीय अधिकारियों की मानें तो जांच सही तरीके से नहीं होने के कारण घोटाले करने वाले कर्मचारियों में भय नहीं है. इसके कारण आये दिन डाकघरों में घोटाले उजागर हो रहे है. जांच के नाम पर छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई होती है जबकि बड़े अधिकारी पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती है. इस संबंध में जब चीफ पोस्ट मास्टर जनरल एम इ हक से मोबाइल से संपर्क किया गया तो उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया.
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