पटना : त्रिपुरा हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को पटना हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनेंगे. इसकी अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने की है.
साथ ही कॉलेजियम ने पटना हाइकाेर्ट के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही का स्थानांतरण मद्रास हाइकोर्ट और जस्टिस राकेश कुमार का स्थानांतरण आंध्रप्रदेश हाइकोर्ट करने की भी सिफारिश की है. इसके अलावा पटना हाइकोर्ट से स्थानांतरित होकर पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट गये न्यायाधीश डाॅ रवि रंजन को झारखंड हाइकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की अनुशंसा कॉलेजियम ने करते हुए संचिका को केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय को भेज दी है.
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय से नियुक्ति की संचिका राष्ट्रपति के यहां जायेगी, जिस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये नयी जगहों पर शपथ लेंगे. त्रिपुरा हाइकोर्ट से पटना हाइकोर्ट आने वाले न्यायाधीश संजय करोल मूलतः हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. 25 अप्रैल, 2007 को हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट में उन्हें न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
वहां से उन्हें त्रिपुरा हाइकोर्ट भेज दिया गया था. पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश राकेश कुमार के स्थानांतरण की चर्चा बहुत पहले से चल रही थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के निर्णय को प्रकाशित कर दिया गया. मालूम हो कि न्यायमूर्ति राकेश कुमार ने न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार को लेकर तीखी टिप्पणियां की थीं और सीबीआइ जांच का आदेश दिया था.
उन्होंने पूर्व आइएएस अधिकारी केपी रामय्या को जमानत दिये जाने के मामले में पटना के जिला न्यायाधीश को भी जांच करने का आदेश दिया था. इस पूर्व आइएएस अधिकारी को न्यायमूर्ति कुमार ने पिछले साल भ्रष्टाचार के मामले में अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया था, लेकिन निचली अदालत ने उन्हें नियमित जमानत दे दी थी. न्यायमूर्ति कुमार ने अपने 28 अगस्त के आदेश की प्रतियां प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष अदालत की कॉलेजियम, कानून मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय को भेजने का भी निर्देश दिया था.
बाद में पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही की अध्यक्षता में न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ ने न्यायमूर्ति कुमार के आदेश को न्यायिक और प्रशासनिक दायरे से बाहर करार दिया था. न्यायमूर्ति कुमार को हाइकोर्ट के प्रशासन ने न्यायिक कार्य से वंचित कर दिया था, लेकिन एक दिन बाद ही उनके न्यायिक कार्य बहाल कर दिये गये थे.
