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15 वर्ष पुरानी गाड़ी, तो फिर से कराएं रजिस्ट्रेशन

रजिस्ट्रेशन से पहले एमवीआइ वाहन के फिटनेस की करेंगे जांच पटना : वाहन का रजिस्ट्रेशन 15 वर्षों के लिए होता है. यदि वाहन के रजिस्ट्रेशन की अवधि पूरी हो गयी हो, तो उसका फिर से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इसके लिए आवेदन के साथ आवेदक को जितने वर्षों से रजिस्ट्रेशन फेल है, उतने अवधि के फाइन […]

रजिस्ट्रेशन से पहले एमवीआइ वाहन के फिटनेस की करेंगे जांच
पटना : वाहन का रजिस्ट्रेशन 15 वर्षों के लिए होता है. यदि वाहन के रजिस्ट्रेशन की अवधि पूरी हो गयी हो, तो उसका फिर से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. इसके लिए आवेदन के साथ आवेदक को जितने वर्षों से रजिस्ट्रेशन फेल है, उतने अवधि के फाइन और अगले पांच वर्षों के रोड टैक्स के साथ आवेदन देना होगा. रजिस्ट्रेशन से पहले एमवीआइ वाहन के फिटनेस की जांच करेंगे.
उसके बाद उसका अगले पांच वर्षों के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन किया जायेगा. बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाने का फाइन पांच हजार रुपया है. साथ ही, रजिस्ट्रेशन फेल करने के बाद वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी नहीं बनवाया जा सकता है जिसका फाइन 10 हजार रुपया है. ऐसे में वाहन का रजिस्ट्रेशन करवा लेना ही बेहतर होगा.
एक नजर
गलती फाइन
बिना नंबर प्लेट 500
शीशा काला होना 500
नो पार्किंग 500
बिना सीट बेल्ट 1000
सरकारी आदेश की
अवहेलना 2000
बिना डीएल 5000
बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट 10000
ओवर स्पीडिंग 2000
ट्रैफिक सिग्नल नहीं मानना 5000
स्टॉप लाइन तोड़ना 5000
वाहन चलाते समय
मोबाइल पर बात करना 5000
नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाना 25000
डिजिलॉकर के अलावा नहीं मान्य होगा कहीं और रखा सर्टिफिकेट
पटना. वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, डीएल, इंश्योरेंस और पॉल्यूशन प्रमाण पत्र की डिजिटल कॉपी तभी मान्य होगी, जब यह डिजिलॉकर में रखा गया होगा. एम परिवहन एप या मोबाइल में रखे गये फोटो या स्कैन कॉपी को डीटीओ या ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी कोई मान्यता नहीं देंगे और वाहन चालक को बिना कागजात गाड़ी चलाने के एवज में फाइन कर दिया जायेगा. पटना के डीटीओ अजय कुमार ठाकुर ने कहा कि वाहन चालक अपने चारों जरूरी प्रमाण पत्रों की मूल कॉपी लेकर चलें या डिजि लॉकर पर इन्हें अपलोड कर लें. डिजि लॉकर एप कोई भी व्यक्ति गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड कर सकता है और इसके इस्तेमाल की विधि भी आसान है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डिजिलॉकर में केवल उन्हीं दस्तावेजों को अपलोड किया जा सकता है जो डिजिलॉकर अकाउंट बनाने वाले व्यक्ति के नाम पर हो. वैसे दस्तावेजों को इस पर अपलोड नहीं किया जा सकता है जो दूसरे के नाम पर हो. उदाहरण के लिए यदि पिता या भाई के नाम पर वाहन का पंजीकरण हो तो अपने डिजिलॉकर में कोई व्यक्ति उसके आरसी को अपलोड नहीं कर सकता है. ऐसे में या तो वाहन स्वामी के नाम पर अकाउंट बनाइये या फिर आरसी की हार्ड कॉपी लेकर चलें.
इंश्योरेंस व ऑनलाइन पॉल्यूशन अपने आप हो जाता है अपडेट
डिजिलॉकर इंश्योरेंस को अपने आप अपडेट कर लेता है. यदि ऑनलाइन पॉल्यूशन हो तो उसे भी डिजिलॉकर अपने आप अपडेट कर लेता है लेकिन ऑफ लाइन करवाये गये इंश्योरेंस को अलग से लोड करने की जरूरत पड़ती है और कभी कभी इसमें काफी समय भी लगता है. पिछले दो-तीन महीने से ऑफ लाइन पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनना बंद हो गया है, लेकिन जिन लाेगों के पास पहले के सर्टिफिकेट हैं, उनको यह मशक्कत करनी पड़ रही है.
लर्निंग लाइसेंस सीखने के लिए है वाहन चलाने के लिए नहीं, पकड़े गये तो होगा 5000 फाइन
पटना. लर्निंग लाइसेंस वाहन चलाने के लिए नहीं, सीखने के लिए है. लर्निंग लाइसेंसधारी के वाहन पर एल लिखा होना चाहिए और उसके पीछे बैठे व्यक्ति के पास डीएल होना चाहिए. डीटीओ पटना अजय कुमार ठाकुर ने कहा कि इन दोनों प्रावधानों का पालन नहीं करने पर लर्निंग लाइसेंस लेकर वाहन चलाने वाले को बिना वैद्य दस्तावेज (डीएल) के वाहन चलाने वाला माना जायेगा और उस पर पांच हजार फाइन किया जायेगा. अत: जिन लोगों ने लर्निंग बनवा लिया है और उनके एक महीने की अवधि पूरी हो गयी है, वे जल्द-से-जल्द डीएल के लिए आवेदन देकर उसे बनवा लें और जिनका लर्निंग बनवाये हुए एक महीने की अवधि पूरी नहीं हुई है.
डिजिलॉकर में नहीं अपलोड होती लर्निंग
लर्निंग की स्वतंत्र रूप से अस्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के रूप में मान्यता नहीं है जैसा कि अधिकतर लोग समझते हैं. यही वजह है कि यह डिजिलॉकर में भी अपलोड नहीं किया जा सकता है और इसकी हार्ड कॉपी लेकर चलना व्यक्ति की मजबूरी है.
वाहन चेकिंग अभियान चलाने के पहले चालान की राशि कम करें नीतीश :
पटना: आम आदमी पार्टी बिहार की प्रदेश प्रवक्ता गुलफिशा यूसुफ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मोटर वाहन अधिनियिम 2019 में संशोधन के बाद ही वाहन चेकिंग का मेगा अभियान चलाने की मांग की है. उन्होंने रविवार को कहा है कि सरकार वाहन चेकिंग के नाम पर चालान नहीं लगान वसूलना चाहती है. मोटर व्हीकल एक्ट 2019 आम जनता के लिए डर का सबब बन गया है.

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