नयी दिल्ली : बिहार के नियोजित शिक्षकों को शीर्ष अदालत से सुप्रीम झटका लगा है. ‘समान काम, समान वेतन’ को लेकर नियोजित शिक्षकों द्वारा दाखिल की गयी पुनर्विचार याचिका पर पुनर्विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. इस फैसले का असर बिहार के करीब 3.5 लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों पर पड़ेगा. वहीं, शिक्षक संघ का कहना है कि अब क्यूरिटी पिटीशन दाखिल किया जायेगा.
मालूम हो कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका मंजूर करते हुए नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार किया था. बिहार सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता. कारण बताते हुए बिहार सरकार ने कहा था कि नियोजित शिक्षक समान काम के लिए समान वेतन की श्रेणी में नहीं आते हैं. साथ ही कहा था कि अगर नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर वेतन दिया जाता है, तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ जायेगा. वहीं, मामले में केंद्र सरकार ने कहा था कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को लाभ नहीं दिया जा सकता. बिहार के नियोजित शिक्षकों को अगर लाभ दिया गया, तो अन्य राज्यों में भी इस तरह की मांग उठने लगेगी.
केंद्र सरकार 70 फीसदी और राज्य सरकार 30 फीसदी पैसा देती है
नियोजित शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार देती है. जबकि, 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है. वर्तमान में प्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों को 20 से 25 हजार रुपये मानदेय मिलता है. अगर ये नियमित शिक्षकों की मांग पूरी होती तो उन्हें 35 से 44 हजार रुपये प्रतिमाह मिल सकते थे. इसलिए शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे थे.