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पटना : इंटर स्कूलों का दावा- जिमखाने चालू, पर मिले ताले

राजदेव पांडेय, पटना : करीब 10 साल पहले शिक्षा विभाग की तरफ से सरकारी इंटरमीडिएट स्कूलों के बच्चों को फिजिकली स्मार्ट बनाने के मकसद से खोले गये अधिकतर जिमखानाें पर इन दिनों ताले लटके हैं. इन जिमखानों के लिए सामान खरीदने के लिए तब शिक्षा विभाग ने करीब 10 लाख की राशि प्रदेश के इंटर […]

राजदेव पांडेय, पटना : करीब 10 साल पहले शिक्षा विभाग की तरफ से सरकारी इंटरमीडिएट स्कूलों के बच्चों को फिजिकली स्मार्ट बनाने के मकसद से खोले गये अधिकतर जिमखानाें पर इन दिनों ताले लटके हैं. इन जिमखानों के लिए सामान खरीदने के लिए तब शिक्षा विभाग ने करीब 10 लाख की राशि प्रदेश के इंटर स्कूलों को भेजी थी. अलबत्ता अभी सच्चाई यह है कि जिम का सामान स्कूल के कबाड़ के रूप में भरा पड़ा है.

कथित तौर पर जिन हॉल या कमरों को जिमखाना बताया जा रहा है, उनके दरवाजों पर लगे मकड़ी के जाले बता रहे हैं कि उनके दरवाजे बच्चों की कसरत के लिए सालों से नहीं खुले हैं. प्रभात खबर ने इस मामले में कई इंटर स्कूलों में पहुंचकर जिम व उसके सामान की खोज की. कहीं भी जिमखाने का पता नहीं चला. अधिकतर प्राचार्यों ने कहा कि आज जिम खोलने वाले शिक्षक नहीं आये हैं. कुछ दिन बाद आयेंगे. बच्चों ने भी जिम न होने की बात कही
देवीपद चौधरी स्मारक मिलर (इंटर) स्कूल
यहां जाने पर सच्चाई यह दिखी कि स्कूल के परिसर में ही सबसे पीछे बड़ी घास और गंदगी के बीच में बने एक हॉल में कथित जिम मिला. जिम चलाने वाले शिक्षक नहीं थे. कथित जिम के दरवाजे और खिड़कियों पर मकड़ी के जाले थे, यानी वह बहुत दिनों से खुला नहीं है. बच्चों को जिम के होने की जानकारी भी नहीं है. हालांकि प्राचार्य आजाद चंद्र शेखर ने बताया कि जिम खुलता है.
दयानंद स्कूल, मीठापुर
यहां जिम नहीं मिला. प्राचार्य सत्येंद्र नारायण सिंह ने स्वीकार किया कि हमारे यहां जिम नहीं है. उस समय क्या हुआ? इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है.
शहीद राजेंद्र सिंह हाइस्कूल
यहां एक कमरे में कुल दो उपकरण और एक साइकिल थी. प्राचार्य रविरंजन ने बताया कि मैंने हाल ही में इन मशीनों को दुरुस्त करा कर अच्छी जगह रखा है. उन्होंने कहा कि उस समय कितना सामान खरीदा गया, मुझे नहीं पता.
क्यों फेल हो गयी योजना
जिम के लिए सरकार ने सब कुछ दिया, लेकिन किसी भी स्कूल में इसके लिए अलग से अतिरिक्त समय नहीं दिया गया. अधिकांश स्कूलों में जिम का अभ्यास कराने वाले शिक्षक नहीं हैं, जिससे यह योजना फेल हो गयी.
क्या थी यह योजना : आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वर्ष 2007 से लेकर 2010 तक कई चरणों में जिम खोलने के लिए करीब 10 लाख की राशि दी गयी थी.
बेहद महत्वाकांक्षी योजना एक दो साल तो ठीक से चली, उसके बाद जिम का सामान अस्त-व्यस्त हो गया. दरअसल उस समय स्कूलों में जिम के अलावा लैब, पुस्तकालय, स्कूलों में अच्छे फर्नीचर और प्लसद्धटू की बिल्डिंग के लिए कुल मिला कर प्रत्येक इंटर स्कूल को 56 लाख रुपये दिये गये थे. इन 56 लाख रुपयों में प्लस टू स्कूल की अलग से बिल्डिंग बनाने के लिए 26 लाख रुपये दिये गये थे.

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