हाइकोर्ट : पुराने पैटर्न पर ही होगा पैक्स चुनाव
पटना : पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) के सदस्यों के लिए ऑनलाइन मतदाता सूची तैयार करने पर रोक लगा दी.
पैक्स के ऑनलाइन बने सदस्य अब न मतदाता माने जायेंगे और न ही वे चुनाव लड़ सकेंगे. इसके साथ ही कोर्ट ने पैक्स चुनाव की घोषणा को भी अवैध करार कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने बाबू बंध पैक्स के अध्यक्ष और अन्य द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने निबंधक सहयोग समितियों के रजिस्ट्रार के आदेश पर रोक लगाते हुए पुराने पैटर्न पर ही मतदाता सूची बनाने और चुनाव लड़ने की छूट दे दी है.
दर्जनों पैक्स अध्यक्षों की ओर से वरीय अधिवक्ता यदुवंश गिरि ने कहा कि राज्य सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था के तहत पैक्स का चुनाव नहीं कराना चाहती है. को-आॅपरेटिव एक्ट में भी ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत ऑनलाइन मतदाता सूची तैयार कर की जा सके. इसके बावजूद गलत तरीके से राज्य सरकार प्रबंध समिति का गठन कराना चाहती है .
मालूम हो कि प्रदेश में 8430 पैक्स हैं, जिनमें एक अध्यक्ष पद और कार्यकारिणी समिति के सदस्यों का चुनाव होना है . पहले प्रत्येक पैक्स द्वारा ही मतदाता सूची बनायी जाती थी. सदस्यता शुल्क के रूप में एक रुपया लिया जाता था और जिन्हें चुनाव लड़ना होता था, उन्हें 10 रुपये का शेयर खरीदना पड़ता था.
लेकिन राज्य सरकार ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर नयी व्यवस्था लागू कर दी थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि 14 अगस्त से नामांकन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब मामला हाईकोर्ट में लंबित था तो चुनाव प्रक्रिया शुरू करने की क्या हड़बड़ी थी. इसके साथ ही अदालत ने दो सप्ताह के अंदर राज्य सरकार, राज्य चुनाव आयोग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. इस मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जायेगी.
छह चरणों में 14 सिंतबर से होना था चुनाव
इसके पहले राज्य निर्वाचन प्राधिकार ने छह चरणों में पैक्स चुनाव कराने की घाेषणा की थी. सोमवार को हुई इस घोषणा के तहत 22 अगस्त से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होनी थी. 14 सितंबर से मतदान और मतों की गिनती शुरू होनी थी.