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आदिवासियों का महुआ व जामुन खरीदेगी सरकार

पटना : आदिवासियों द्वारा जगलों से लाये गये महुआ और जामुन अब सरकार खरीदेगी. राज्य के छह जिलों में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों को जंगल से लाये खाने-पीने के सामानों का उचित मूल्य दिये जायेंगे. इसके लिए जनवरी तक पूर्णिया, बांका, कटिहार, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण व जमुई में बंधन विकास केंद्र खुलेंगे. इसके लिए […]

पटना : आदिवासियों द्वारा जगलों से लाये गये महुआ और जामुन अब सरकार खरीदेगी. राज्य के छह जिलों में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों को जंगल से लाये खाने-पीने के सामानों का उचित मूल्य दिये जायेंगे. इसके लिए जनवरी तक पूर्णिया, बांका, कटिहार, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण व जमुई में बंधन विकास केंद्र खुलेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार की टीम ने इन जिलों का सर्वे कर मुख्य सचिव के स्तर पर पहल की है. बिहार सरकार की सहमति के बाद इस योजना की शुरुआत की जायेगी.

क्या है बंधन विकास केंद्र : जंगलों में ऐसे बहुत से खाने-पीने का सामान पेड़ों में सालों आते हैं, जिनका लोग उपयोग करते हैं. लेकिन, इन सामानों की कीमत बाजार में आने के बाद भी अनुसूचित जनजातियों को नहीं मिलता है और बिचौलिया उसे कम कीमत में खरीद कर ले जाते है. अब बंधन विकास केंद्र में उनके सामान का उचित मूल्य दिया जायेगा और उनके सामान को बेहतर कर सरकार अपने स्तर से भेजेगी.
लगेगा प्रोसेसिंग यूनिट : जंगल में महुआ की बिक्री बहुत है और यह जंगल वासियों के लिए हर मर्ज की दवा है. महुआ का बीज, फूल से कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जाता है. वहीं, जंगलों में आयरन से भरपूर फालसा, शहतूत, करौदा, बेर, जामुन और कई तरह के फल, फूल सब्जियों की उपज अधिक होती है. इसे अनुसूचित जनजातियों के माध्यम से उचित मूल्य में खरीद कर उसका प्रोसेसिंग होगा. इसके िलए प्रोसेसिंग यूनिट लगाया जायेगा.

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