पटना : जदयू को इस साल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है. इसकी अधिकतर शर्तों को पार्टी ने पूरा कर लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू की यह बड़ी सफलता है. जॉर्ज फर्नांडीस के जमाने में जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था. अब एक बार फिर जब से नीतीश कुमार ने पार्टी अध्यक्ष का दायित्व संभाला है, जदयू को दूसरे प्रांतों में भी सफलता मिल रही है. अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू आठ सीटें जीतकर दूसरी बड़ी पार्टी बन गया है.
साथ ही 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता की हैसियत भी हासिल कर ली है. अरुणाचल की सफलता के बाद इस साल जम्मू-कश्मीर आैर झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी जदयू अपने उम्मीदवार उतारेगा. जम्मू-कश्मीर में पार्टी के कई नेता स्थानीय निकाय चुनाव जीत चुके हैं. नगालैंड में भी जदयू के एक विधायक हैं और सरकार में मंत्री भी हैं.
दयू के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल दो राज्यों की विधानसभाओं में जदयू के विधायक हैं. पार्टी नेता बताते है कि कश्मीर में 13% वोट पाने वाले नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता सांसद और सरकार बनाने की हैसियत पा लेते हैं. जदयू भी इस बार के चुनाव में अपनी किस्मत आजमायेगा.
झारखंड में महतो-आदिवासी का गठजोड़ बनायेगा जदयू : झारखंड में जदयू महतो (कुरमी) और आदिवासी गठजोड़ के पुराने फाॅर्मुले को अपनायेगा. जदयू ने आदिवासियों के मुखर नेता सालखन मूर्मू को झारखंड में पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके अलावा महतो समुदाय के एक प्रखर युवा नेता को पार्टी संयोजन की जिम्मेदारी दी गयी है. झारखंड में जदयू का पूर्व का आधार रहा है. वहां इसके कई विधायक हुए और मंत्री भी बने. अभी झारखंड में भाजपा और जदयू अलग-अलग हैं.
अरुणाचल में मिले 10 फीसदी वोट
बिहार में जदयू ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 71 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2018 में नगालैंड विधानसभा चुनाव में जदयू के 12 प्रत्याशी चुनाव लड़े, जिनमें से एक पर जीत हासिल हुई थी, जबकि पांच सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. नगालैंड विधानसभा चुनाव में जदयू को करीब पांच फीसदी वोट मिले थे.