पटना : नगर निगम के वार्ड स्तर पर बेहतर सफाई के लिए करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पिछले छह माह में 375 ऑटो टीपर, 75 बड़े जेसीबी, 75 छोटे जेसीबी, छह हाइवा, चार पोकलेन की खरीदारी नगर निगम ने की. मगर निगम के पास इन वाहनों को रखने को न तो बेहतर पार्किंग है और न ही मरम्मत का कोई ठिकाना (गराज) ही विकसित किया जा सका है.
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सड़क पर खड़ी रहती हैं निगम की गाड़ियां, रखरखाव को अंचल स्तर पर यार्ड में जगह नहीं है
पटना : नगर निगम के वार्ड स्तर पर बेहतर सफाई के लिए करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पिछले छह माह में 375 ऑटो टीपर, 75 बड़े जेसीबी, 75 छोटे जेसीबी, छह हाइवा, चार पोकलेन की खरीदारी नगर निगम ने की. मगर निगम के पास इन वाहनों को रखने को न तो […]
मजबूरन नगर निगम रात में शहर की सड़कों पर अतिक्रमण कर वाहनाें को खड़ा करता है. इन वाहनों की बेहतर रखरखाव के लिए अंचल स्तर पर यार्ड में जगह नहीं है. साथ ही गाड़ियों की रोजाना सफाई भी नहीं हो रही है.
मेंटेनेंस के अभाव में खराब हो रहे हैं वाहन
निगम प्रशासन ने ऑटो-टीपर की खरीदारी टाटा मोटर्स से की है. खरीदारी के साथ ही पांच वर्षों तक मेंटेनेंस के लिए एग्रीमेंट भी किया है. लेकिन, नियमित रूप से गाड़ियों की मेंटेनेंस नहीं की जा रही है. इससे अमूमन 50 से अधिक गाड़ियां ब्रेकडाउन हो रही हैं. इसका असर वार्डों के सफाई पर पड़ रहा है.
आठ माह बाद भी नहीं हुआ है रजिस्ट्रेशन
नगर निगम व टाटा मोटर्स के साथ हुए एकरारनामा के अनुसार सितंबर माह से ऑटो-टीपर की आपूर्ति होने लगी थी. दो अक्तूबर से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में ऑटो-टीपर लगा भी दिया गया है. अक्तूबर से लेकर मई माह तक आठ माह होने वाला है. लेकिन, अब तक एक भी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. सभी गाड़ियां बिना नंबर के ही सड़कों पर चल रही हैं.
नहीं हो रही है सफाई
नगर आयुक्त ने सफाई कार्य में लगे गाड़ियों की रोजाना सफाई के लिए निजी एजेंसी को जिम्मेदारी दी है. साफ-सफाई को लेकर यार्ड में व्यवस्था भी की गयी है. लेकिन, अंचल स्तर पर शत-प्रतिशत गाड़ियों की सफाई नहीं हो रही है. निजी एजेंसी गाड़ियों की आधी-अधूरी सफाई कर पैसा ले रही है.
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