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ग्रामीण क्षेत्रों में 2% डॉक्टर चिंता का विषय : प्रधान सचिव पटना : उद्घाटन भाषण में मुख्य सचिव ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश में तेजी से कार्य हो रहे हैं. कैंसर की बीमारी के प्रति अब लोगों में तेजी से जागरूकता देखने को मिल रही है और जागरूकता ही इसका बचाव है. […]
ग्रामीण क्षेत्रों में 2% डॉक्टर चिंता का विषय : प्रधान सचिव
पटना : उद्घाटन भाषण में मुख्य सचिव ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश में तेजी से कार्य हो रहे हैं. कैंसर की बीमारी के प्रति अब लोगों में तेजी से जागरूकता देखने को मिल रही है और जागरूकता ही इसका बचाव है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बढ़ती आबादी के मुताबिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर न हाेने पर चिंता जताते हुए डॉक्टरों से इसमें तकनीकी सहयोग और सलाह की अपील की. उन्होंने कहा कि डब्लूएचओ के मानकों के मुताबिक 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर के हिसाब से सूबे में 1.20 लाख डॉक्टर होने चाहिए. लेकिन, वर्तमान में 43 हजार डॉक्टर ही उपलब्ध हैं, जबकि 80 हजार की जरूरत है.
हम हर साल मात्र 1350 एमबीबीएस डॉक्टर ही बना पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में मात्र 460 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं. प्रधान सचिव ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों से कहा कि इसको लेकर गंभीरता से सोचना होगा. उन्होंने कहा कि मात्र दो फीसदी डॉक्टर ही ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं, जबकि 88 फीसदी जनता ग्रामीण क्षेत्र में रहती है.
करीब 73 फीसदी डॉक्टर शहरी क्षेत्र व 25% डॉक्टर अर्द्धशहरी क्षेत्रों में तैनात हैं. उन्होंने मांग के हिसाब से बेड की कमी पर भी चिंता जतायी. इस मौके पर आइजीआइसी हृदय रोग विभाग के डॉ एके झा, आइजीआइएमएस के डॉ ओम कुमार सहित 300 से अधिक किडनी व कैंसर रोग विशेषज्ञ उपस्थित थे.
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